
some interesting facts about budget
देश के संचालन में बजट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बजट को लेकर हमेशा चर्चा बनी रहती है। पूरे देश के लोग बजट का बेसब्री से इंतजार करते हैं। क्या आप जानते हैं बजट शब्द आया कहां से अगर नहीं, तो हम आपको बता दें कि ये खास शब्द फ्रेंच भाषा के लैटिन शब्द 'बुल्गा' से उत्पन्न हुआ है। जिसका अर्थ होता है ‘चमड़े का थैला।’ फिर बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट की उत्पति हुई। इसके बाद अंग्रेजी शब्द बोगेट प्रकाश में आया। फिर इसी बोगेट शब्द से बजट शब्द की उत्पत्ति हुई है। इसलिए पहले बजट चमड़े के बैग में लाया जाता था। कोरोना महामारी के दौरान 2021-22 पहली बार पेपरलेस बजट पेश किया गया था।
मोरारजी देसाई के नाम दर्ज है ये रिकॉर्ड
बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 6वीं बार बजट पेश करने जा रही हैं। क्या आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड किसके नाम है। दरअसल, मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बार देश का बजट पेश किया है। उन्होंने सन् 1959-60 से 1963-64 तक बजट पेश करने के साथ 1967 से 1970 तक देश का बजट पेश किया। इसके अलावा 1962-63 में एक अंतरिम बजट भी देसाई ने ही पेश किया था।
जब प्रधानमंत्रियों ने पढ़ा बजट
आजादी के बाद देश का आम बजट हमेशा वित्त मंत्री पेश करते आ रहे हैं। बता दें कि इस बीच तीन बार ऐसे मौके भी आए हैं, जब वित्त मंत्री की जगह देश के प्रधानमंत्रियों ने संसद में बजट पढ़कर पेश किया। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत का बजट पेश करने वाले इस कड़ी में पहले व्यक्ति थे। 13 फरवरी 1958 को उन्होंने वित्त विभाग संभाला और बजट पेश किया। इसके अलावा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए बजट पेश किया था।
क्या है हलवा परोसे जाने की रस्म
देश के आम बजट की प्रिंटिंग की प्रक्रिया हलवा परोसे जाने की रस्म के साथ शुरू होती है। यह प्रथा वर्षों से चली आ रही है। एक बड़ी सी कड़ाही में पहले हलवा बनाया जाता है। फिर उसे वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को परोसा जाता है। इसके साथ ही बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारियों को अपने परिवार से अलग रहना होता है। जब तक बजट बनकर उसका प्रिंट तैयार नहीं हो जाता वे सभी घर-परिवार से दूर नॉर्थ ब्लॉक के प्रेस में रहते हैं।
कौन है देश का ऐसा वित्त मंत्री जिसने बजट पेश नहीं किया
भारत के बजट इतिहास में एक वित्त मंत्री (फाइनेंस मिनिस्टर)ऐसे भी थे, जो अपने पूरे कार्यकाल में कोई बजट ही पेश नहीं कर पाए। इनका नाम केसी नियोगी है। यह भारत के अकेले ऐसे वित्त मंत्री रहे हैं जिन्होंने इस पद पर रहते हुए भी एक भी बजट पेश नहीं किय। दरअसल,1948 में यह महज 35 दिनों तक वित्त मंत्री के पद पर रहे थे।
Updated on:
22 Jan 2024 03:15 pm
Published on:
22 Jan 2024 03:07 pm
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