
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का 22 जनवरी को उद्घाटन होने जा रहा है। लेकिन इससे पहले मंदिर के फैसले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, सोमवार (1 जनवरी) को मीडिया से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी वाई चंद्रचू्ड़ ने बड़ी टिप्पणी की है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि आखिर क्यों उस जज का नाम सामने नहीं आएगा, जिन्होंने राम मंदिर का फैसला लिखा था।
जानिए क्यों नहीं जान पाएंगे नाम?
सीजेआई ने सोमवार को राम मंदिर के फैसले को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अयोध्या मामले में न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि फैसला किसने लिखा है, उसका उल्लेख नहीं होगा। संघर्ष के लंबे इतिहास और विविध दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में एक स्वर में फैसला सुनाने का निर्णय लिया था।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के रामजन्मभूमि मामले को लेकर 9 नवंबर 2019 को फैसला सुनाया था। तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच में (जिसमें जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (वर्तमान सीजेआई), जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर) ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था। इसके बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए थे।
ये भी पढ़ें: बहन की शादी से 15 दिन पहले भाई की मौत, पसरा मातम
Published on:
01 Jan 2024 07:24 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
