
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो- पत्रिका)
मद्रास हाई कोर्ट ने एक महिला और उसके लिव-इन पार्टनर को उम्र कैद की सजा सुनाई है। महिला पर आरोप था कि उसने अपनी नाबालिग बेटी का लिव-इन पार्टनर से बार-बार रेप कराया। इस मामले में दोनों दोषी पाए गए।
सबसे पहले कोयंबटूर की एक अदालत ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस (पॉक्सो) एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में महिला और उसके साथी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
महिला को अपराध में मदद करने और अपराध की रिपोर्ट न करने के लिए सजा दी गई। वहीं, उसके लिव-इन पार्टनर को उसके नाबालिग बच्चे पर बार-बार पेनिट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट करने के लिए सजा दी गई।
इस फैसले को चुनौती देते हुए दोनों ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसे अदालत ने खारिज करते हुए कोयंबटूर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
हाई कोर्ट में जस्टिस पी वेलमुरुगन और एम जोतिरामन की डिवीज बेंच ने हाल के एक आदेश में कहा- एक मां का सबसे पहला कर्तव्य अपने बच्चों की सुरक्षा, भावनात्मक भलाई और नैतिक परवरिश सुनिश्चित करना है। जब ऐसी पवित्र जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया जाता है, तो यह परिवार और समाज की नींव पर ही चोट करता है।
बता दें कि मां और उसका लिव-इन पार्टनर दोनों कोयंबटूर के रहने वाले हैं। यह मामला साल 2017 का है। 20 जून को लिव इन पाटर्नर ने बच्ची के साथ रेप किया था। तब बच्ची अपनी मां और उसी लिव-इन पार्टनर के साथ ही रह रही थी।
रेप की घटना के बाद लिव-इन पार्टनर ने पीड़िता को धमकी भी दी। उसने कहा कि अगर किसी को इसके बारे में बताया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इसके बाद पीड़िता ने अपनी मां को लिव-इन पार्टनर की सारी करतूत बताई। जिस पर उसने जवाब दिया कि ऐसी बातें हर जगह होती हैं, इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताना चाहिए।
बार-बार यौन उत्पीड़न से परेशान होकर पीड़िता अपने पिता के पास रहने चली गई। उसने पिता को घटना के बारे में विस्तार से बताया। इसके बाद, पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।
Published on:
28 Dec 2025 09:17 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
