
Work Begins On Sharda Temple Along LoC in Jammu Kashmir
कश्मीर को धरती की जन्नत कहा जाता है, क्योंकि यहां की वादियां हर किसी का मन मोह लेती हैं, लेकिन कश्मीर जितना खूबसूरत है, उतने ही कांटे भी इसमें देखने को मिलते हैं। फिर चाहे बात राजनीति की हो, आंतकवादी घटनाओं की या फिर कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की। इस तरह की तमाम घटनाओं ने इन खूबसूरत वादियों पर कलंक लगाने का काम किया है। हालांकि, अब धीरे-धीरे ही सही चीजें बदल रही हैं और इसी कड़ी में अब नाम कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रतीक कहे जाने वाले शारदा पीठ मंदिर की, जो 100 या 200 साल नहीं, बल्कि 5000 साल से पुराना मंदिर है, जो अब खंडहर का रूप ले चुका है, लेकिन अब इसका जीर्णोद्धार होने जा रहा है।
शारदा पीठ उत्तर कश्मीर के तीतवाल क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के नजदीक है, जिसकी स्थापना का कार्य शुरू हो गया है। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है कि शारदा बचाओ समिति (एसएससी) ने इस मंदिर को फिर से स्थापित करने का फैसला किया था।
कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में इस मंदिर का निर्माण शताब्दियों पुरानी उस तीर्थयात्रा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में स्थित शारदापीठ में होती थी। इस बारे में एसएससी के प्रमुख रविंद्र पंडित ने कहा, "शारदा यात्रा मंदिर समिति (एसवाईटीसी) ने कश्मीर में तीतवाल क्षेत्र में एलओसी पर प्राचीन शारदा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। निर्माण स्थल पर एक पूजा भी हुई, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए कश्मीरी हिन्दुओं ने भाग लिया।"
यह भी पढ़े -
इतिहास को कुरेदकर देखें तो पता चलता है कि कश्मीर में दर्जनों पवित्र स्थल हैं, लेकिन ज्यादातर नष्ट हो चुके हैं या होने वाले हैं। उन्हीं में से एक प्राचीन मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok) में हैं, जो प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। हालांकि, अब यह शक्तिपीठ एक खंडहर का रूप ले चुका है। यह कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। एस समय पर ये स्थान शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। शारदा पीठ मुजफ्फराबाद से लगभग 140 किलोमीटर और कुपवाड़ा से करीब 30 किलोमीटर दूर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास नीलम नगीं के पास है।
इतिहास की मानें तो इस मंदिर को महाराज अशोक ने 237 ईसा पूर्व में बनवाया था, जो शिक्षा का प्रमुख केंद्र था और इस मंदिर पर कश्मीरी पंडितों सहित पूरे भारत के लोग यहां दर्शन करने आते थे। इतिहासकारों की मानें तो शारदा पीठ मंदिर अमरनाथ और अनंतनाग के मार्तंड सूर्य मंदिर की तरह की कश्मीरी पंडितों के लिए श्रद्धा का केंद्र रहा है। हालांकि, इस मंदिर में पिछले 70 साल से पूजा नहीं हुई है, लेकिन अब कश्मीरी पंडितों को उनका हक मिलने जा रहा है।
मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि शारदा पीठ शाक्त संप्रदाय को समर्पित प्रथम तीर्थ स्थल है और कश्मीर के इसी मंदिर में सर्वप्रथम देवी की आराधना शुरू हुई थी। इसके बाद में खीर भवानी और वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना हुई। कश्मीरी पंडितों का मानना है कि शारदा पीठ मंदिर में पूजी जाने वाली मां शारदा तीन शक्तियों का संगम है, जिनमें पहली शारदा (शिक्षा की देवी) दूसरी सरस्वती (ज्ञान की देवी) और तीसरी वाग्देवी (वाणी की देवी) है।
Published on:
29 Mar 2022 11:33 am
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
