
पहले के समय में लोगों को बैंक से पैसे निकालने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता था, लेकिन एटीएम आने के बाद से चीजें आसान होती गई। आज के दौर में जरूरत के समय कभी भी केवल कार्ड का उपयोग करके आसानी से एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) से कैश निकाल सकते हैं। आइए जानते हैं दुनिया में एटीएम की शुरुआत कैसे हुई।
चॉकलेट की मशीन देख आया ATM बनाने का आईडिया
भारत में जन्मे ब्रिटिश मूल के शेफर्ड बैरन को एटीएम की खोज का श्रेय दिया जाता है। एक बार वह बैंक से पैसे निकालने के लिए गए तो उन्हें घंटों लाइन में बिताने पड़े थे। इसके बाद उन्हें चॉकलेट की वेंडिंग मशीन को देखकर ख्याल आया कि जब मशीन चॉकलेट दे सकती है तो पैसे क्यों नहीं।
43 साल पहले हुई ATM की शुरुआत
इसके बाद बैरन खोज में लग गए और एटीएम का आविष्कार किया। एटीएम की शुरुआत आज से ठीक 43 साल पहले हुई थी। 2 सितंबर 1969 को अमेरिका में दुनिया का पहला कार्ड बेस्ड एटीएम लगाया गया था। यह एटीएम न्यूयॉर्क के रॉकविले सेंटर के केमिकल बैंक में खोला गया था।
हमारा बैंक खुलेगा और फिर कभी बंद नहीं होगा
जानकारी के मुताबिक, बैंक की ओर से दुनिया का पहला एटीएम लगाए जाने का प्रचार करते हुए कहा गया था, "2 सितंबर को हमारा बैंक खुलेगा और फिर कभी बंद नहीं होगा।" इसके बाद एटीएम मशीन धीरे-धीरे पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गई। भारत में पहला एटीएम वर्ष 1987 में एचएसबीसी बैंक द्वारा लगाया गया था। एटीएम के सुविधाजनक होने के कारण देश में इसका नेटवर्क तेजी से बढ़ा और अगले दस वर्षों में देश में एटीएम की संख्या बढ़कर 1,500 तक पहुंच गई। आज के समय में देश में 2.5 लाख से ज्यादा एटीएम हैं।
ATM के है कई नाम
एटीएम आज के समय में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है और बड़े स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। इसे दुनियाभर में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यूके में इसे 'कैश प्वाइंट्स' और ऑस्ट्रेलिया में 'मनी मशीन' के नाम से भी जाना जाता है।
Updated on:
03 Sept 2024 10:39 am
Published on:
02 Sept 2024 04:25 pm
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