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पार्टी की छवि से होगी भाजपा की जीत, कांग्रेस में ‘नए’ चेहरे पर खेलना होगा दांव

सर्वे के आधार पर नीमच और मनासा विधायक की दावेदारी कमजोर

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नीमच

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Mukesh Sharaiya

Dec 25, 2022

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मुकेश सहारिया, नीमच. भाजपा की छवि और प्रदेश सरकार की कार्यशैली विधानसभा चुनाव में फिर से जीत में महत्वपूर्ण किरदार निभाएगी, लेकिन नीमच जिले में मनासा और नीमच सीट पर प्रत्याशियों की धूमिल होती छवि जीत में रोड़ा बन सकती है। इन दोनों सीटों पर भाजपा को नए चेहरे उतारना होंगे। वहीं कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनावों से सबक लेती है तो बेहतर रहेगा। जीत हासिल करने की मंशा से कांग्रेस मैदान में उतरना चाहती है तो तीनों सीटों पर 'नए' चेहरों पर दांव खेलना उनकी मजबूरी रहेगी।

जिला पंचायत और 12 परिषदों पर भाजपा, फिर भी संकट
नीमच जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है। इससे प्रमाणित होता है जनता के बीच प्रदेश की भाजपाा सरकार और पार्टी की छवि अच्छी है। ग्रामीण सरकार (जिला पंचायत) पर भी भाजपा का कब्जा है। मात्र एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। यह सीट भी कांगे्रस की परम्परागत सीट मानी जाती है। 12 नगरीय निकायों में केवल जीरन नगरपारिषद को छोड़कर शेष पर भाजपा काबिज है। जिले के तीनों सिटिंग एमएलए में से जावद को छोड़कर नीमच और मनासा विधायकों की पार्टी स्तर पर 'सीआर' (गुप्त सर्वे के अनुसार) काफी कमजोर साबित हुई है। दोनों विधायकों की संगठन और व्यक्तिगत परफार्मेंस पर नकारात्मक छवि उभरी है। नगरीय निकाय चुनाव में जीरन में जिस प्रकार के हालात बने यह किसी से छुपे नहीं हैं। जीरन में घटे घटनाक्रम में नीमच विधायक की भूमिका से संगठन भी वाकिफ है। नीमच नगरपालिका में भ्रष्टाचार, जनता के बीच नकारात्मक छवि, जनहित कार्यों में लेटलाली, कमजोर प्रशासनिक पकड़ आदि को लेकर विधायक दिलीपसिंह परिहार की दावेदारी काफी कमजोर साबित होती दिख रही है। मनासा विधायक अनिरुद्ध माधव मारू जब तक विधायक नहीं बने थे तब तक उनका कोई विकल्प नहीं था। विधायक बनने और जिला पंचायत चुनाव में भाजपा के सामने निर्मित हुए हालात किसी से छुपे नहीं है। रामपुरा नगर परिषद में भाजपा नेताओं के बगावती तेवर भी उनकी दावेदारी को कमजोर करते दिख रहे हैं। संघ और संगठन स्तर पर हुए सर्वे में केवल जावद सीट सुरक्षित बताई गई है। यहां से ओमप्रकाश सखलेचा जीते हैं और वर्तमान भाजपा सरकार में मंत्री भी हैं। जावद सीट से कांगे्रस के पास फिलहाल ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं है जो सखलेचा को कांटे की टक्कर दे सके। नगर परिषद नयागांव में कांग्रेस का बहुमत होने के बाद भी अध्यक्ष भाजपा के पाले में लाने उनकी बड़ी जीत साबित हुई है।

प्रमुख दावेदार स्वयं एक-दूसरे के लिए बनेंगे रोड़ा
मनासा और नीमच सीट से भाजपा में दावेदारों की लम्बी 'फेहरिस्त' है। अंदरखाने की खबर से चौकाने वाली बात सामने आई है। नीमच सीट से अब तक जितने भी दावेदार सामने आए हैं उनमें से किसी को टिकट मिलना 'दूर की कौड़ी' लगता है। इस सीट से दावेदारों ने एक-दूसरे ने फाइलें तैयार कर ली है। विधायक परिहार नहीं तो दूसरे प्रमुख दावेदारों को भी आसानी से टिकट मिल जाए यह संभव नहीं है। नीमच सीट से जैन समाज के जो दावेदार मंसूबे पाले बैठे हैं उनके हाथ भी मायूसी ही लगेगी। नीमच जिले की तीन में से एक ही सीट पर जैन प्रत्याशी उतारा जा सकता है, दो-दो नहीं। नीमच सीट पर संघ किसी 'नएÓ चेहरे को मैदान में उतार सकता है। मनासा सीट से पटवा और सिंधिया गुट नया तालमेल बैठा मारू का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। विजेंद्रङ्क्षसह मालाहेड़ा और राजेश लढ़ा विकल्प के रूप में सामने आ सकते हैं। कैलाश चावला उम्र की वजह से मात खा सकते हैं। संघ द्वारा यहां भी नए चेहरे की खोज से इंकार नहीं किया जा सकता। पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के नतीजे यह प्रमाणित कर चुके हैं कि नीमच और मनासा सीट पर भाजपा संगठन व प्रदेश सरकार की छवि ही जीत का सबसे बड़ा आधार बनेगी। जावद सीट से भाजपा सखलेचा को ही मैदान में उतारती है तो उन्हें भीतरघात का सामना करना पड़ेगा। भाजपा का कोई न कोई नेता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरकर भाजपा वोट बैंक में सेंधमारी अवश्य करेगा। इसकी सुगबुगाहट अभी से नजर आने लगी है। दबी जबान एक नाम भी सामने आया है।

कांग्रेस को पिछले चुनावों से लेना होगा सबक
नीमच जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर टिकट वितरण कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम रहेगा। टिकट वितरण में हाईकमान को पुराने अनुभवों से सबक लेना होगा। जावद सीट पर ऐसा प्रत्याशी मैदान में उतराना होगा जो सकलेचा को टक्कर दे सके। पहले समंदर पटेल के रूप में कांग्रेस के सामने एक विकल्प था, लेकिन सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद से दूसरा विकल्प तलाशना एक चुनौती होगा। नीमच में कांग्रस से जो नाम चल रहे हैं उनमें उस चेहरे पर ही दांव खेला जा सकता है जो नीमच शहरी क्षेत्र में प्रभाव रहता हो। अब तक सामने आए नामों में कोई ऐसा दमदार चेहरा नहीं दिख रहा है। पुराने प्रत्याशियों पर दांव खेलना कांग्रेस के लिए नुकसान दायक हो सकता है। मनासा से विजेंद्रसिंह मालाहेड़ा कांग्रेस के दमदार प्रत्याशी थे, लेकिन अब वे भाजपा के हो गए हैं। यहां भी कांग्रेस को 'नए' और स्थानीय चेहरे की तलाश रहेगी।