बंशी गुर्जर हत्याकांड की तर्ज दिया था घनश्याम धाकड़ ने भी हत्याकांड को अंजाम
नीमच। बंशी गुर्जर हत्याकांड की तर्ज पर नीमच में हत्याकांड को अंजाम देने वाले शातिर तस्कर को आखिरकार न्यायालय ने आजीवन सलाखों के पीछे भेज दिया। जिला सत्र न्यायाधीश ह्देश श्रीवास्तव की कोर्ट ने आरोपी तस्कर घनश्याम धाकड़ को स्वयं की मृत बताकर साक्ष्य छुपाने के मामले में अन्य व्यक्ति की हत्या में आरोपी छह लोगों को आजीवन कारावास की गुरुवार को सजा सुनाई है। वहीं तीन आरोपियों को साक्ष्य का लाभ देकर बरी किया है। जबकि एक मृत और एक फरार है।
लोक अभियोजक मनीष जोशी ने बताया कि दिनांक 10 मार्च 2011 को थाना नीमच कैंट को पुलिस कंट्रोल रूम नीमच से सूचना प्राप्त हुई थी कि बायपास हाईवे रोड पर किसी व्यक्ति का एक्सीडेंट होकर घायल अवस्था में वह व्यक्ति माटरसाईकिल सहित रोड की साइड में पड़ा है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटना की तस्दीक की। मृतक की जेब से भारत निर्वाचन आयोग के पहचान पत्र एंव फोटो तथा मोबाइल के आधार पर तलब किए गए। बंशीलाल पिता जयराज धाकड़ ने मौके पर आकर अज्ञात मृतक की पहचान घनश्याम पिता मांगीलाल धाकड़ निवासी मोतीपुरा थाना छोटी सादड़ी राजस्थान के रूप में की। अपनी सगी बहन का लड़का होना बताया। पुलिस ने शव का पंचनामा कर शव घनश्याम धाकड़ के भाई महेश धाकड़ को सौंप दिया। पुलिस ने बंशीलाल और महेश धाकड़ के बयान दर्ज किए। वहीं मौके से बिना नंबर की मोटरसाइकिल भी जब्त की। वहीं अज्ञात चालक के खिलाफ धारा 304 ए में प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की। इस दौरान जनचर्चा में सामने आया कि मृत बताये जा रहे घनश्याम धाकड़ जीवित है, मृत व्यक्ति अन्य कोई है। पुन: घटना दिनांक 10 मार्च 2011 में मृत बताए जा रहे घनश्याम धाकड़ के पिता मांगीलाल धाकड़, मामा बंशीलाल धाकड़, भाई महेश धाकड़ को तलब कर पूछताछ करने व घटनास्थल पर मृतावस्था में मिले व्यक्ति की फोटो की पहचान करवाने पर उन्होंने फोटो घनश्याम का नहीं होना बताया। जिससे घनश्याम धाकड़ के जीवित होने का संदेह बढ़ गया। मामले में जांच थाना प्रभारी बसंत श्रीवास्तव ने की थी।
दुर्घटना में नहीं सिर पर सरिया मारने से हुई मौत
डॉ. महेंद्र भटनागर ने पुलिस पोस्टमार्टम जांच में स्पष्ट किया कि दुर्घटना के दौरान व्यक्ति के शरीर पर अन्य स्थान पर कोई चोट नहीं थी। मृतक के केवल ललाट पर सरिया मारने से हार्ड एंड ब्लंट चोट थी। पुलिस ने घनश्याम के बारे में जानकारी एकत्र की, इस दौरान वह वर्ष 2008 में आरोपी घनश्याम को एनसीबी जोधपुर द्वारा 50 किलोग्राम अफीम के साथ गिरफ्तार किया गया था। उसके विरूद्ध थाना निम्बाहेड़ा में एनडीपीएस एकट व थाना पाली में एनडीपीएस एक्ट में प्रकरण पंजीबद्ध होना पाया गया। वह सभी प्रकरणों में फरार था, उसने अपने आपको बचाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से षडयंत्र रचकर किसी अन्य व्यक्ति की हत्या कर उसकी जेब में अपना पहचान पत्र, फोटो, मोबाइल रखकर अपनी पहचान बनाकर स्वयं को मृत घोषित करने का प्रयास किया। नीमच कैंट पुलिस ने उक्त प्रकरण धारा 304 ए के स्थान पर धारा 302, 201, 120 बी आईपीसी में प्रकरण दर्ज कर आरोपी घनश्याम धाकड़ की तलाश प्रारंभ की। जिसे मुखबिर सूचना पर दिनांक 25 सितंबर 2012 को ग्राम बावल व रतनपुरिया जाने के रास्ते से आरोपी घनश्याम धाकड़ को गिरफ्तार किया था। पुछताछ के बाद उसने पूरी वारदात और षड़यंत्र को कबूल किया।
इनके खिलाफ हुआ प्रकरण दर्ज
पुलिस ने हत्या कर साक्ष्य छुपाने के मामले में आरोपी राजस्थान के छोटी सादड़ी में मोतीपुरा निवासी घनश्याम (38) पिता मांगीलाल धाकड़, मांगीलाल (56) पिता गोपाल धाकड़, मनासा के शीतल बाग निवासी महेंद्र उर्फ पप्पू गुर्जर (33) पिता रामदयाल गुर्जर, बघाना के दारूखेड़ा गांव निवासी बंशीलाल (45) पिता जयराज धाकड़, उमाशंकर उर्फ निर्मल (24) पिता रामचंद्र धाकड़, कुकडेश्वर निवासी गोपाल (43) पिता दुलीचंद गुर्जर, रामकरण (54) पिता नाथूलाल पाटीदार, बंशी उर्फ शिवा गुर्जर (32) पिता रामलाल गुर्जर, कनेरा निवासी उमाशंकर (38) पिता बद्रीलाल धाकड़, रामपुरा निवासी कवंरलाल मीणा (53) पिता रतनलाल मीणा और जावद के रतनपुरिया निवासी गुडि़या उर्फ भीम सिंह बंजारा पिता गोमा बंजारा के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी।
यह हुई सजा
न्यायालय द्वारा मामले में आरोपीगण घनश्याम धाकड़, महेंद्र उर्फ पप्पू गुर्जर, उमाशंकर उर्फ निर्मल पिता रामचंद्र धाकड़, उमाशंकर पिता बद्रीलाल धाकड़, बंशीलाल, बंशी उर्फ शिवा गुर्जर में से प्रत्येक को धारा 302, 120बी आईपीसी के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वहीं धारा १९३ आईपीसी के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। जबकि आरोपी बंशीलाल धाकड़ को धारा २०१ के तहत पांच वर्ष सश्रम करावास की सजा सुनाई है। आरोपी उमाशंकर उर्फ निर्मल धाकड़ पिता रामचंद्र धाकड़ को धारा 212 आईपीसी के तहत चार वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। वहीं मामले में आरोपी मांगीलाल धाकड़ के मृत होने पर उसका केस खत्म कर दिया गया है। जबकि साक्ष्य के अभाव में लाभ देते हुए आरोपी गोपाल गुर्जर, रामकरण पाटीदार, कंवरलाल मीणा को बरी करने के आदेश दिए है। वहीं मामले में गुडिया उर्फ भीम सिंह बंजारा फरार है।
इतने समय से रहे जेल में बंद
प्रकरण में आरोपी घनश्याम धाकड़ 25 सितंबर 2012 को गिरफ्तार किया, जिसके बाद 26 सितंबर 2012 से 9 अक्टूबर 2012 तक पुलिस अभिरक्षा में और 9 अक्टूबर 2012 से 30 अक्टूबर 2018 तक न्यायिक अभिरक्षा में रहा है। आरोपी महेंद्र उर्फ पप्पू गुर्जर दिनांक 27 सितंबर 2012 को गिरफ्तार किया। दिनांक 27 सितंबर 2012 से 9 अक्टूबर 2012 तक पुलिस अभिरक्षा में 9 अक्टूबर 2012 से 16 सितंबर 2013 तक न्यायिक अभिरक्षा में रहा है। आरोपी बंशीलाल धाकड़ दिनांक 27 सितंबर 2012 को गिरफ्तार होकर दिनांक 27 सितंबर 2012 से 20 मार्च 2013 तक न्यायिक अभिरक्षा में व आरोपी उमाशंकर उर्फ निर्मल धाकड़ दिनांक 27 सितंबर 2012 गिरफ्तार होकर दिनांक 27 सितंबर 2012 से 16 अप्रेल 2013 न्यायिक अभिरक्षा में एवं आरेापी बंशी उर्फ शिवा गुर्जर दिनांक २० नवंबर २०१२ को गिरफ्तार होकर दिनांक 21 नवंबर 2012 से 03 दिसंबर 2012 तक पुलिस अभिरक्षा में एंव दिनांक 3 दिसंबर 2012 से आज दिनांक 12 दिसंबर 2019 तक निरंतर न्यायिक अभिरक्षा में एवं आरोपी उमाशंकर धाकड़ दिनांक 12 दिसंबर 2012 को गिरफ्तार होकर दिनांक 27 नवंबर 2012 से 20 मार्च 2013 तक जेल में रहा है। सभी की जेल अवधि सजा में समायोजित करने के न्यायालय ने आदेश दिए हैं।