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सालभर से कर रहे है शौचालय बनने का इंतेजार

सालभर से कर रहे है शौचालय बनने का इंतेजार

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सालभर से कर रहे है शौचालय बनने का इंतेजार

नीमच। देश स्वछता को लेकर चलाए जा रहे अभियान को उस वक्त पलीता लग रहा है, जब शौचालयों के निर्माण के करोड़ों रुपए का भुगतान अधिकारियों की उपेक्षा के चलते कई जिलों में अटक गया है। नीमच जिले का भी कुछ ऐसा ही हाल है। इस मामले में जहां अधिकारियों का कहना है कि फ ाइलों में कमी से कुछ लोगों के शौचालय के पैसे अटके हुए हैं, वहीं पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों का आरोप है कि कमीशन के फेर में अधिकारी उन्हें पैसे देने में आनाकानी कर रहे हैं। मामला चाहे जो भी हो, लेकिन पैसे अटकने के कारण लोगों ने सरपंचों का जीना मुश्किल कर दिया है। इसके चलते सरपंचों ने शौचालय के निर्माण कार्य से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।

स्वच्छ भारत अभियान की कलई तब खुल रही है, जब नगरपालिका ने शहर की कई बस्तियों में शौचालय विहिन घरों में शौचालय निर्माण के लिए हितग्राहियों से राशि जमा कराकर रसीदें कटवाई थी। रसीदें कटवाने के बावजूद शहर कई इलाकों में अब भी लोगों के घरों में पक्के शौचालय नहीं बन सके हैं। इन इलाकों के हितग्राहियों को अब भी शौच के लिए घर से बाहर जाने को मजबूर होना पड़ता है।

एक साल बीता, नहीं बने शौचालय
अंबेडकर कॉलोनी समीप बस्ती निवासी सुखराम चंद्रवंशी ने बताया कि बंगला नंबर 60 नगरपालिका से तीन साल पहले 250 परिवार को विस्थापित किया गया था। यहां पर लोगों को स्थान देकर विश्वास दिलाया गया था, उन्हें यहां पर मकान बनाने के लिए लोन दिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। स्वच्छ भारत अभियान के तहत बस्ती में ऐसे परिवार जिनके घरों के पक्के शौचालय नहीं थे, उन्हें अभियान के तहत हुए सर्वे में शामिल किया गया था। इन परिवारों के नाम सूची में आने के बाद नगरपालिका ने करीब 1500 रुपए की रसीदे कटवाई थी। रसीदें कटवाने के बाद भी नपा प्रशासन उन हितग्राहियों के घरों में टॉयलेट निर्माण का काम चालू करना ही भूल गया है। रसीद कटने के बाद से ही लोगों को अपने घरों में शौचालय बनने का इंतेजार हैं।

पूरी बस्ती में पांच के घर के आगे बने पक्के टॉयलेट
जयसिंह रोड पर बस्ती निवासी मुकेश भील ने बताया कि बस्ती में कई परिवार ऐसे है, जहां पर हितग्राहियों को अब भी घर में शौचालय बनाने का इंतेजार है। इन परिवारों में रहने वाले लोग टॉयलेट के लिए अब भी बाहर खुले में जाने को मजबूर है। बस्ती में करीब 150 घर ऐसे है, जिनके घरों में टॉयलेट नहीं हैं। महिलाओं ने नहाने के लिए साड़ी व चादर से चार दीवारी कर बॉथरूम बना रखा है। एक साल से अधिक हो गया शौचालय बनाने के लिए रसीद काटे जाने का, लेकिन अभी तक शौचालय बनाने नहीं आए हैं।

जल्द बनेंगे बाकी के शौचालय
शहर में अधिकांश हितग्राहियों के घर में शौचालय बनाए जा चुके हैं। कुछ लोगों ने हो सकता है कि बाद में रसीद कटाई होगी, जिससे उनके यहां पर काम नहीं हो पाया होगा। विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता में भी कार्य बंद हो गए थे। जो हितग्राही रह गए हैं, उनके यहां भी जल्द से जल्द शौचालय का निर्माण शुरू होगा।
- संजेश गुप्ता, सीएमओ नीमच।