कालेधन और आतंकवाद को रोकने के लिए बीते 8 नवंबर की आधी रात से नोटबंदी का एलान तो पीएम मोदी ने कर दिया लेकिन बिना किसी तैयारी के उठाए गए इस कदम के साइड इफेक्ट्स देश की आम जनता पर बुरी तरह लगातार भुगतने पड़ रहे हैं। कई परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
जहां एक ओर सरकार 500 और 1000 रुपए के नोटों पर बैन लगाकर कालेधन पर लगाम लगाने का दम भर रही है, वहीं दूसरी ओर नोटों पर बैन लगने की वजह से बैंकों और एटीएम के बाहर लाइनों में लगकर लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ताज़ा खबर यह है कि नोटों के बैन होने के बाद मौतों का यह आंकड़ा 34 तक पहुँच चुका है। इन मौतों का नोटो के विमुद्रीकरण से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ताल्लुक ज़रूर है। यूँ तो पीएम मोदी ने हालात सुधारने के लिए 50 दिन का वक़्त माँगा है लेकिन अगर जल्द ही सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो स्थिति और बद से बदतर हो सकती है।