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सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए देश में पहली बार एआइ आधारित पीओसी तैयार

नई तकनीक : आइआइटी बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने विकसित की, परीक्षण जल्द

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सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए देश में पहली बार एआइ आधारित पीओसी तैयार

सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए देश में पहली बार एआइ आधारित पीओसी तैयार

मुंबई. सिकल सेल एनीमिया की जांच के लिए आइआइटी बॉम्बे ने कृत्रिम बैद्धिकता (एआइ) आधारित पॉइंट ऑफ केयर (पीओसी) तकनीक विकसित की है। देश में अपने किस्म की इस पहली तकनीक को 'शेप डीएक्स' नाम दिया गया है। इसकी मदद से आधे घंटे में जांच रिपोर्ट हासिल की जा सकती है।आइआइटी बॉम्बे की शोधकर्ता ओशिन शर्मा का कहना है कि देश में सिकल सेल एनीमिया के तेजी से बढ़ते मामले और इसके बारे में जागरूकता नहीं होने से यह जेनेटिक डिसॉर्डर चिंता का विषय है। अक्सर हीमोग्लोबिन कम होने, जॉइंट पेन, थकान आदि पर लोग आर्थराइटिस और हीमोग्लोबिन बढ़ाने की दवाई ले लेते हैं, लेकिन स्वस्थ नहीं होते। ऐसे लोग सिकल सेल एनीमिया से पीडि़त हो सकते हैं। शर्मा के मुताबिक इस बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी है कि इसकी जांच रिपोर्ट एक्यूरेट हो और स्क्रीनिंग मौके पर तुरंत हो सके। उन्हें उम्मीद है कि उनकी टीम की ओर से विकसित माइक्रोस्कॉपी आधारित जांच को पेटेंट मिल जाएगा। जल्द ही सरकारी अस्पतालों के साथ मिलकर देश में इसकी टेस्टिंग शुरू की जाएगी।

करोड़ों लोगों को मिलेगा फायदा

ओशिन शर्मा ने बताया कि इस पीओसी के उत्पादन और व्यापार के लिए आइआइटी बॉम्बे ने लॉड्र्स मार्क इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी की है। इसका फायदा उन करोड़ों लोगों को होगा, जो सूदुर इलाकों में रहते हैं और जिनके सेंपल अभी जांच में तीन-चार दिन लगने के कारण डिहाइड्रेटेड हो जाते हैं।

क्या है सिकल सेल एनीमिया

यह रक्त विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सी शेप या सिकेल शेप (अर्धचंद्राकार) में बदल जाती हैं। रक्त की कमी से जुड़े इस जेनेटिक डिसॉर्डर में रक्त कोशिकाएं ब्लॉक होने लगती हैं। इससे हीमोग्लोबिन कम हो जाता है, हड्डियों-मांसपेशियों में दर्द और हाथ-पैरों में सूजन रहती है।