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जनगणना की बज गई डुगडुगी, गृहमंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

-सरकारी सूची से मिलान कर जातियों की गिनती कराने की तैयारी -मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए होगी डिजिटल जनगणना, लोग खुद से भी भर सकेंगे डेटा -2011 में सर्वे के दौरान 46 लाख जातियों की संख्या निकल गई थी, खामी के कारण केंद्र ने आंकड़े जारी करने पर लगाई थी रोक

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1947 के बाद से जातीय जनगणना नहीं हुई (Photo-Patrika)

नवनीत मिश्र

नई दिल्ली। गृहमंत्रालय ने कोविड आदि कारणों से पिछले पांच साल से टल रही जनगणना की अधिसूचना आखिरकार सोमवार को जारी कर दी। कुल दो चरणों में एक मार्च 2027 तक देश में जनगणना कराने की तैयारी है। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, इस बार केंद्र और राज्यों की ओबीसी, एससी-एसटी लिस्ट से मिलान कर ही जातीय जनगणना कराई जाएगी। वही जातियां दर्ज होंगी, जो लिस्ट में होंगी। जिससे जातीय जनगणना के सही आंकड़े आएंगे।

देश में कुल 34 लाख प्रगणक और 1.3 लाख जनगणना पदाधिकारी लगेंगे। देश में जनगणना प्रक्रिया शुरू होने के बाद से 16वीं जनगणना है और स्वतंत्रता के बाद 8वीं जनगणना है।

दरअसल, यूपीए सरकार ने 2011 में जब सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना कराई थी तो देश में 46 लाख जातियां निकल गईं थीं। लोगों ने गोत्र आदि दर्ज कराए थे। सिस्टम से जुड़े लोग भी जातियों के आंकड़े देखकर हैरान रह गए थे। सवाल उठा था कि इससे पूर्व आखिरी बार 1931 में हुई जातीय जनगणना के दौरान दर्ज 4,147 जातियों वाले देश में संख्या इतनी कैसे बढ़ सकती है? आंकड़ों पर संदेह होने के बाद सरकार ने रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। 2021 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने हलफनामा देकर 2011 के जातीय आंकड़ों को खामियों से भरा बताया था। पिछली बार की चूक से सबक लेते हुए इस बार वैज्ञानिक विधि से जातीय जनगणना कराने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय और राज्यों की लिस्ट के आधार पर सूची तैयार कर जातीय आंकड़े लिए जा सकते हैं। अब सिर्फ केंद्र की लिस्ट के आधार पर गणना होगी या फिर राज्यों की लिस्ट भी शामिल होगी, इस पर निर्णय लेना है। केंद्र की लिस्ट में 2,650 ओबीसी जातियां, 1100 से अधिक एससी और 700 से अधिक एसटी जातियां दर्ज हैं।

स्व गणना की भी सूविधा

इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। मोबाइल अप्लीकेशन का इस्तेमाल कर कर्मी तुरंत डेटा अपडेट करेंगे। खास बात है कि लोग खुद भी अपने परिवार का डेटा भर सकेंगे। पहली बार स्व गणना की भी सुविधा दी जाएगी। जो लोग खुद से डेटा भरेंगे, उसे बाद में कर्मी घर जाकर वेरिफाई करेंगे।

अधिसूचना के बाद आगे क्या

गृहमंत्रालय की अधिसूचना के साथ ही जनगणना प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अब जनगणना से जुड़े कर्मियों की नियुक्ति, नए फॉर्मेट की ट्रेनिंग आदि होगा। इसके बाद घर-घर प्रगणकों के जाने के बारे में अलग से भी अधिसूचना जारी होगी। गृहमंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की ओर से देश में जनगणना कराई जाती है।

दो चरणों में जनगणना

-उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पहाड़ी राज्यों में एक अक्टूबर 2026 तक जनगणना पूरी होगी

- मैदानी राज्यों में एक मार्च 2027 को जनगणना पूरी होगी

क्या है रेफरेंस डेट

मैदानी राज्यों के लिए एक मार्च 2027 रात 12 बजे रेफरेंस डेट है तो पहाड़ी राज्यों के लिए एक अक्टूबर 2026। रेफरेंस डेट का अर्थ होता है कि इस तिथि और समय तक देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, वही रेकार्ड में दर्ज होगा।

ऐसे होगी जनगणना

जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण में मकान सूचीकरण और मकानों की गणना में प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण यानी जनगणना (पीई) में हर घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य जानकारी एकत्र की जाएगी।

ये डेटा लिए जाएंगे

नाम, आयु, जन्मतिथि, शिक्षा, वैवाहिक स्थिति, रोजगार, धर्म, जाति, उपजाति, मुखिया, आवास, शौचालय, बिजली, वाहन आदि