
बच्चों ने नहीं देखी राम, कृष्ण व बुद्ध के लघुचित्रों वाली संविधान की मूल प्रति-उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बच्चों को संविधान सभा के सदस्यों की हस्ताक्षरित व राम, कृष्ण, बुद्ध के लघुचित्रों वाली संविधान की प्रति नहीं दिखाए जाने पर दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस मूल दस्तावेज में 22 लघु चित्र शामिल हैं, जिनके जरिए संविधान निर्माताओं ने देश की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति का सार व्यक्त किया है, लेकिन ये पुस्तकों का हिस्सा नहीं होने के कारण बच्चे इसे नहीं देख पाते।
धनखड़ ने बुधवार को यहां गणतंत्र भारत के 75वें वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में 'हमारा संविधान, हमारा सम्मान' अभियान का उद्घाटन करने के बाद आयोजित समारोह में मौजूद केंद्रीय विधि राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल से देश को प्रामाणिक रूप में संविधान की हू-ब-हू प्रति उपलब्ध करवाने की पहल सुनिश्चित करने की अपील की।
उन्होंने मौलिक अधिकारों को लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्टता व लोकतांत्रिक मूल्यों का एक अविभाज्य पहलू बताते हुए कहा कि यदि किसी को मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं हैं तो वह एक लोकतंत्र में रहने का दावा नहीं कर सकता। मौलिक कर्तव्यों को संविधान का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए उपराष्ट्रपति ने सभी से मौलिक कर्तव्यों का अनुपालन करने का अनुरोध किया। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर सुदूर क्षेत्रों तक कानूनी सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए तैयार टेली-सुविधा सेवा- न्याय सेतु का लोकार्पण भी किया।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ऐतिहासिक क्षण
धनखड़ ने अयोध्या में राम लला की प्राण- प्रतिष्ठा समारोह को एक ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि नियती और आधुनिकता के साथ साक्षात्कार के बाद देश ने 22 जनवरी को देवत्व के साथ साक्षात्कार किया है। राम मंदिर का निर्माण एक बहुत लंबी व दर्द देने वाली प्रक्रिया थी। फिर भी यह कानून के अनुरूप प्राप्त किया गया। इससे यह पता चलता है कि देश कानून के शासन में विश्वास करता है।
Published on:
24 Jan 2024 08:33 pm
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