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जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल के उद्घोष के साथ हर्षोल्लास के साथ लौटे किसान

- वापसी में बोले अच्छी यादें लेकर जा रहे, किसी से कोई नाराजगी नहीं वाहेगुरु सबका भला करें - किसान नेताओं ने बंग्ला साहिब पहुंचकर मत्था टेका किया धन्यवाद ज्ञापित

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विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली। दिल्ली के सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर शनिवार को किसान आंदोलन स्थल से किसानों के जत्थे वापस अपने अपने गांवों की ओर रवाना हो गए। किसान धरना स्थल पर शनिवार को जश्न का माहौल था, ट्रक और ट्रेक्टरों से वापस लौटते हुए किसान गानों पर नाचते झूमते वापस निकल रहे थे। किसानों के चेहरे पर संतुष्टी के साथ ख़ुशी स्पष्ट नजर आ रही थी। सिंघू बॉर्डर पर किसान "जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल, वाहे गुरु जी की खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह" का उद्घोष कर रवाना हुए। हालांकि सड़कों को पूरी तरह साफ़ होने में अभी तीन से चार दिन लग सकते है, प्रशासन की ओर से जेसीबी लगाकर सीमेंट के बैरिकेडिंग हटाने का काम शुरू कर दिया गया है।



सिंघू बॉर्डर पर वापस लौट रहे किसानों के मन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति ज्यादा नाराजगी नहीं है, उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने प्रकाश पर्व के पावन दिन कानून वापसी की घोषणा की, माफ़ी मांग ली और संसद में कानून वापस लेकर हमारी मांग पूरी कर दी। आगे उम्मीद है किसानों के हित में वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी जल्द फैसला हो जाएगा। हालांकि कुछ किसानों में कानून वापसी में देरी पर नाराजगी थी लेकिन किसानों में एकबात को लेकर एकराय थी जो केंद्र के प्रति सहानुभूति दर्शा रही थी, कि छुटपुट घटनाओं के अलावा किसानों पर सरकार ने बल प्रयोग नहीं किया। किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों पर प्रधानमंत्री मोदी को कुछ लोगों ने गुमराह किया था। पंजाब के साथ हरियाणा और उत्तरप्रदेश के किसानों के एकत्रित होने का फायदा हुआ और तीनों कानून वापस हुए। हालांकि किसानों में आंदोलन के दौरान कुछ नेताओं और मीडिया वर्ग की ओर से बोले गए अपशब्दों से नाराजगी भी थी लेकिन वे यही कहते हुए निकले कि वे साल भर की अच्छी यादें लेकर लौट रहे है और मन में किसी के प्रति कोई कट्टूता नहीं है, "वाहेगुरु सबका भला करें"। वापसी करते हुए किसानों ने दिल्ली सरकार का आंदोलन स्थल पर बिजली, पानी और शौचालय के प्रबंध के लिए आभार प्रकट किया।

किसानों ने अपने टैंट, बल्लियां, खाने पीने और बिस्तर ट्रेक्टर पर लोड कर वापसी कर रहे थे। निहंग किसानों के छोटे छोटे समूह घोड़ों पर सवार थे, कुछ ग्रुप तलवारबाजी का प्रदर्शन कर ख़ुशी का इजहार कर रहे थे तो कोई लाठी घुमाकर ख़ुशी जता रहे थे। किसानों के एक समूह ने रवानगी से पहले वहां भजन पाठ भी किया। इसी दौरान आसपास के गरीब परिवार किसानों के पास आए और बल्लियां और पतरे अपने लिए मांगे तो कई किसानों ने अपनी बल्लियां और पतरे उन परिवारों को ख़ुशी ख़ुशी सौंप दिए।


कैसे बनी सहमति -
केंद्र सरकार ने किसानों को मनाने के की कवायद पंजाब से शुरू की थी। सूत्रों के मुताबिक, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आंदोलन के समाधान में सबसे अहम भूमिका निभाई। अमरिंदर ने अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के जरिए किसान नेताओं से सम्पर्क साध कर आंदोलन की समाप्ति का रास्ता तैयार किया। किसानों से बैकडोर बातचीत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने अहम भूमिका निभाई।