5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सबसे पहले आईने में किस वयक्ति ने देखा था अपना चेहरा, जानिए किसने की थी इसकी खोज!

शीशे का आविष्कार 1835 में हुआ था। इससे पहले शीशा प्रचलन में नहीं था। मुख्यतौर पर गरीब तबके के लोगों के पास शीशे होते ही नहीं थे। ऐसे में लोग पानी में ही अपना अक्स देखा करते थे।

2 min read
Google source verification
सबसे पहले आईने में किस वयक्ति ने देखा था अपना चेहरा, जानिए किसने की थी इसकी खोज!

सबसे पहले आईने में किस वयक्ति ने देखा था अपना चेहरा, जानिए किसने की थी इसकी खोज!

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आईना न होता तो क्या होता? आप खुद को कैसे देख पाते? हम कैसे दिख रहे हैं, कैसा दिखना चाहिए, खुद को पैंपर करना, खुद का ख्याल रखना हमें इस शीशे ने ही तो सिखाया है। घर से बाहर निकलते समय, बाल बनाते समय, खुद पर कुछ नया ट्राई करते समय या खुद को पैंपर करते समय, हम दिन में न जाने कितनी बार आईने में खुद को देखते हैं। ये हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन कभी आपने क्या ये सोचा है कि आखिर इसका आविष्कार किसने किया और पहली बार शीशे में चेहरा किसने देखा था? तो चलिए जानते हैं आईने के बारे में कुछ रोचक बातें।

आईना कहें या दर्पण, लेकिन आम बोलचाल में इसे शीशा कहा जाता है और हम सभी मानते हैं कि शीशा हमारे जीवन में बहुत अहम है। अब तक हमें जानकारी मिली थी कि शीशे का आविष्कार 1835 में हुआ था। जर्मन रसायन विज्ञानी 'जस्टस वॉन लिबिग' ने कांच के एक फलक की सतह पर मैटलिक सिल्वर की पतली परत लगाने का तरीका इजाद किया था।

मगर आपको बता दें, दर्पण का इस्तेमाल आज से करीब 8,000 साल पहले एनाटोलिया में किया जाता था, जिसे अब तुर्की के नाम से जाना जाता है। साथ ही प्राचीन मेक्सिको के लोग भी इसी तरह के शीशे का इस्तेमाल करते थे। रोचक बात ये है कि उस दौर में आईनों को जादुई उपकरण माना जाता था, जिसके जरिए देवताओं और उनके पूर्वजों की दुनिया को भी देखा जा सकता था।

तांबे को पॉलिश करके बनाए गए शीशे मेसोपोटामिया (अब इराक) के अलावा मिस्र में 4000 से 3000 ईसा पूर्व के आसपास बनाए गए थे। इसके करीब 1,000 साल बाद, दक्षिण अमेरिका में पॉलिश किए गए पत्थर से शीशे बनाए गए थे। रोमन लेखक प्लिनी द एल्डर ने पहली शताब्दी ईस्वी में कांच के दर्पण का ज़िक्र किया था। लेकिन बताया जाता है कि उनमें आजकल के शीशों की तरह दर्पणों का प्रतिबिंब नहीं दिखता था। साथ ही वे आकार में बहुत छोटे भी हुआ करते थे।

यह भी पढ़ें: जैस ही सऊदी अरब के मस्जिद में घुसे पाकिस्तानी PM शहबाज शरीफ, लगने लगे 'चोर-चोर' के नारे

आपको बता दें, आईना देखना प्राचीन काल में बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। तो वहीं जिस व्यक्ति ने इसे पहली बार देखा था उसका नाम 'तेलिबी' था, उसने आईने को बड़े प्यार से देखा था। फिर उसके कबीले के सरदार- 'पुया' ने इसे खुद देखना चाहा। आईने में खुद को देखकर वो चौंककर उछल पड़ा था। उसने तेबिली को आईना पकड़ने का कहा और अलग-अलग एंगल से, पास और दूर से अपना प्रतिबिंब देखा।

यह भी पढ़ें: बांग्लादेश ने दिया भारत को तोहफा, कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए दिया चटगाँव बंदरगाह के इस्तेमाल का प्रस्ताव