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बैक्टीरियल इंफेक्शन के सबसे ज्यादा 10 लाख मामले भारत में, आठ फीसदी में ही सही इलाज

शोध में खुलासा : आठ देशों में 15 लाख संक्रमण पर एंटीबायोटिक निष्प्रभावी

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न्यूयॉर्क. एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 2019 में बैक्टीरियल इंफेक्शन (जीवाणु संक्रमण) के करीब 15 लाख मामले सामने आए। इनमें 10 लाख से ज्यादा भारत में पाए गए। भारत में सिर्फ आठ फीसदी ऐसे मामलों में सही इलाज हो पाया।द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में छपे शोध के मुताबिक भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मेक्सिको जैसे आठ देशों में शक्तिशाली एंटीबायोटिक करीब 15 लाख जीवाणु संक्रमण पर निष्प्रभावी थे। शोध स्विट्जरलैंड के वैश्विक एंटीबायोटिक अनुसंधान-विकास साझेदारी संगठन और अमरीकी कंपनी आइक्यूवीआइए के डेटा के आधार पर किया गया। इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर वैश्विक अध्ययन के आंकड़े भी शामिल थे। शोध के मुताबिक एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (दवाओं का असर न करना) गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। खतरे से निपटने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कार्रवाई की जरूरत है।

3.9 करोड़ को खतरा

द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक अगर हालात नहीं सुधरे तो अगले 25 साल में दुनियाभर में 3.9 करोड़ लोग संक्रमणों की चपेट में आ सकते हैं। एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के कारण 1990 से 2021 के बीच हर साल 10 लाख से ज्यादा मौतें हुईं।

सर्वाधिक दवाएं खरीदी

शोध में बताया गया कि भारत ने बैक्टीरियल इंफेक्शन से निपटने के लिए सबसे ज्यादा (करीब 80.5 फीसदी) दवाएं खरीदीं, लेकिन महज 7.8 फीसदी मरीजों का सही इलाज हो पाया। इनमें बैक्टीरियल इंफेक्शन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दवा टाइगेसाइक्लिन शामिल थी। यह आमतौर पर गंभीर संक्रमणों में दी जाती है।


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