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यूपी विधानसभा चुनाव : पॉलिटिकल टूल्स के रूप में केंद्र सरकार भारतीय रेल का  करेगी इस्तेमाल

यूपी में चुनाव करीब आते ही वोट की राजनीति का मीटर तेजी से दौडऩे लगा है। इस रेस में अब केंद्र सरकार भी कूद पड़ी है और रेलगाडिय़ों के नाम महान विभूतियों केनाम रखा जाने लगा है।

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Dhirendra Kumar Mishra

Nov 14, 2016

Indian Railways names trains after personalities

Indian Railways names trains after personalities

नई दिल्ली. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं। प्रदेश सरकार जहां एक के बाद एक नई योजनाओं की घोषणा करने में लगी हैं, वहीं केंद्र सरकार विभिन्न वर्गों के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए नवंबर के अंत तक 6 नई रेलगाडिय़ां शुरू करने की योजना पर काम कर रही हैं। इससे पहले भी कई रेलगाडिय़ों कानाम प्रदेश के महान शख्सियतों के नाम पर रखा जा चुका है। ट्रेन का नामकरण विभिन्न वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। ताकि चुनाव के दौरान मदाताओं का जातीय संतुलन अपने पक्ष में रहे।



वोट बैंक की राजनीति
इस योजना पर काम करते हुए नई दिल्ली से पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के लिए सबसे पहले एक नई ट्रेन चलाया गया जिसका नाम महामना एक्सप्रेस रखा गया। देश भर के लोग पं. मदन मोहन मालवीय को महानमा के नाम से जानते हैं। बनारस में उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। नामकरण के बाद इस ट्रेन को अति आधुनिक सुविधाओं से सुसज्ति किया गया। दिल्ली से गाजीपुर और बलिया के लिए आनंद विहार-गाजीपुर एक्सप्रेस का नाम बदलकर सुहालदेव के नाम पर किया गया। पूर्वी यूपी में ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए ऐसा किया गया है। सुहालदेव 11वीं सदी में इस क्षेत्र से लोकप्रिय राजा हुआ करते थे। गोरक्षा और हिंदु संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। गाजीपुर रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा का संसदीय क्षेत्र भी है। इस क्षेत्र में राजभर समुदायों के लोग बड़ी संख्या में रहते है। इनमें से अधिकांश भूमिहीन श्रमिक हैं। परंपरागत रूप से ये लोग बसपा के समर्थक हैं। इसके अलावा फरवरी में बहराइच में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सुहालदेव के स्टेचू का भी अनावरण किया था।



निर्भया एक्सप्रेस
पहले आनंद विहार से बलिया एक्सप्रेस को सात ऋषियों में से एक भृगु ऋषि के नाम पर रखा गया। इस नाम पर विवाद होने के बाद इसे बदलकर दिसंबर, 2012 में देश को हिलाकर रख देने वाला गैंगरेप कांड की पीडि़ता के नाम पर निर्भया एक्सप्रेस कर दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि निर्भया के परिजन मूलरूप से इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं।



व्यक्ति के नाम पर ट्रेन का नाम
अभी तक रेलवे की परंपरा यह रही है कि व्यक्ति के नाम पर ट्रेनों का नाम नहीं रखा जाता रहा है। यही वजह है कि भारतीय ट्रेनों का नाम राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, झेलम एक्सप्रेस, जम्मूतवी एक्सप्रेस, मालदा एक्सप्रेस आदि है। पहली बार ऐसा हुआ है कि केंद्र सरकार ने महान शख्सियतों के नाम पर ट्रेन का नाम रखने का फैसला लिया है। कुछ ट्रेनों के नाम बदले जा चुके हैं और कुछ को बदलने की योजना है।



6 नई रेलगाडिय़ां शुरू करने की तैयारी
राजनीतिक रूप से अति संवेदनशील यूपी में रेल मंत्रालय नवंबर के अंत तक 6 और नई रेलगाडिय़ों को शुरू करने की योजना पर विचार कर रही है। ये रेलगाडिय़ां अभी तक यूपी में संचालित 142 विशेष रेलगाडिंयों से अलग होंगी। जबकि 550 ऐसी रेलगाडिय़ां ऐसी हैं जो यूपी से होकर गुजरती हैं। 10 हमसफर में पहले एससी-3 हमसफर एक्सप्रेस की शुरुआत भी इस महीने के अंत तक यूपी से होना है।