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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के पक्ष में नहीं केंद्र सरकार, 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ करेगी सुनवाई

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की संविधान पीठ के पास ट्रांसफर कर दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई संविधान पीठ 18 अप्रैल को करेगी।

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Legal recognition of same-sex marriage: Supreme Court refers pleas to 5-judge constitution bench, hearing to begin from April 16

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर अब 18 अप्रैल को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज मामले को 5 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए इन याचिकाओं का विरोध किया है। इसके साथ ही केंद्र ने समलैंगिक विवाह को भारतीय फैमिली के अवधारणा के खिलाफ बताते हुए कहा कि इसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है। समान-लिंग वाले व्यक्तियों के संबंधों की तुलना भारतीय परिवार की पति-पत्नी से पैदा हुए बच्चों के कॉनसेप्ट से नहीं कर सकते हैं। फैमिली अवधारणा पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से होती है।

इस मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील एन के कौल ने कहा कि इस मामले के बारे में पूरा देश जानना चाहता है, इसलिए इस मामले की सुनवाई की भी लाइव स्ट्रीमिंग होनी चाहिए।

एक सकारात्मक फैसले की उम्मीद: वकील
न्यूज एजेंसी से इस मामले में बात करते हुए वकील निहारिका करंजवाला ने कहा कि "इस मामले को लेकर हम एक सकारात्मक फैसले की उम्मीद कर रहे हैं। मामले को संविधान पीठ के आगे रखने का निर्देश दिया गया है जिससे हम खुश हैं।

सहमति से समलैंगिक यौन संबंध अपराध नहीं
सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय बेंच ने 6 सितंबर 2018 को सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा था कि देश में वयस्कों के बीच आपसी सहमति से निजी स्थान पर बनने वाले समलैंगिक या विपरीत जेंडर के लोगों के बीच यौन संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं आएंगे।

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