7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एनसीआर के इस जिले में 8000 मकानों को खाली करने का नोटिस, विरोध में उतरे लोग

Faridabad: नायब तहसीलदार ने 60 एकड़ में बसी कॉलोनी के 8000 मकानों को 15 दिन में खाली करने का आदेश दिया। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि किसी ने कब्जा खाली नहीं किया तो पुलिस बल की मदद ली जाएगी।

2 min read
Google source verification
Faridabad Nehru Colony

Faridabad: दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के फरीदाबाद जिले में 8000 मकानों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। प्रशासन ने 60 एकड़ जमीन में फैली नेहरू कॉलोनी को अवैध बताते हुए 15 दिन में खाली करने का नोटिस जारी किया है। यह नोटिस पुनर्वास विभाग के नायब तहसीलदार विजय सिंह ने जारी किया है। इसमें कहा गया है कि यह जमीन सरकार की है। जिसपर अवैध तरीके से लोगों ने कब्जा किया है। इसे 15 दिनों के अंदर खाली करना होगा। सभी कब्जाधारी फरीदाबाद लघु सचिवायल के कमरा नंबर 607 और 608 में उपस्थित होकर कब्जा औपचारिक रूप से सरेंडर करें।

10 जुलाई तक समय, उसके बाद एक्‍शन की चेतावनी

प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह जमीन राज्य सरकार की संपत्ति है। जिस पर सालों से अवैध कब्जा किया जा रहा है। नोटिस में ये भी स्पष्ट किया गया है कि यदि निर्धारित समयसीमा के भीतर कब्जाधारी स्वयं मकानों को खाली नहीं करते हैं तो 10 जुलाई को प्रशासन बलपूर्वक जमीन कब्जामुक्त कराएगा। इसके लिए स्‍थानीय पुलिस की मदद ली जाएगी। प्रशासन के इस आदेश से नेहरू कॉलोनी के 8000 मकानों में रहने वाले लोगों में हड़कंप मच गया है।

यह भी पढ़ें : खुलासा; बहू से रेप के बाद ससुर ने घोटा था गला, फरीदाबाद तनु हत्याकांड में नया मोड़

प्रशासन के आदेश की जानकारी मिलते ही शुक्रवार शाम को नेहरू कॉलोनी के सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। प्रशासनिक आदेश से गुस्साए लोगों ने सैनिक कॉलोनी-मस्जिद चौक पर जाम लगा दिया। इससे क्षेत्र में एक घंटे के अंदर भीषण जाम की स्थिति बन गई। इस दौरान प्रशर्दनकारियों ने बताया कि वह सालों से इस इलाके में रह रहे हैं। अब प्रशासन उन्हें अचानक कब्जा छोड़ने और मकान खाली करने को कह रहा है। प्रशासन का यह आदेश अमानवीय और असंवैधानिक है।

स्‍थानीय लोगों ने एक घंटे तक सड़क पर लगाया जाम

स्‍थानीय लोगों ने कहा कि सरकार को पहले पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। इस दौरान करीब एक घंटे तक भीषण जाम में लोग फंसे रहे। सड़क पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई। इसकी सूचना पर पहुंची स्‍थानीय पुलिस ने लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी ने कहा “हम यहां 30 साल से रह रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की दवा और रोजगार सबकुछ इसी बस्ती से जुड़ा है। अगर प्रशासन ने हमें बेघर कर दिया तो हम सड़क पर आ जाएंगे।” एक अन्य महिला ने रोते हुए कहा “घर टूट गया तो कहां जाएंगे? क्या सरकार को हमारी जिंदगी की कोई परवाह नहीं?”

यह भी पढ़ें : बात-बात किसी को समन जारी नहीं…ट्रेडिंग कंपनी के मामले में हाईकोर्ट ने निरस्त किया ट्रायल कोर्ट का आदेश

प्रशासन की ओर से यह भी कहा गया है कि यह कदम सरकारी भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने की व्यापक योजना का हिस्सा है। नायब तहसीलदार विजय सिंह ने कहा, “यह जमीन सरकार की है और विकास परियोजनाओं के लिए आरक्षित है। अवैध कब्जा न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि शहर के नियोजित विकास में भी बाधा है।”प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि विरोध हुआ तो पुलिस बल की मदद से सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि आगामी दिनों में प्रशासनिक कार्रवाई किस रूप में आगे बढ़ती है और इसका क्या प्रभाव स्थानीय लोगों पर पड़ता है।