5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सुरक्षा परिषद की बेहतरी के लिए भारत की स्थाई सदस्यता जरूरीः फ्रांस

- भारत में फ्रांस के राजदूत इमानुएल लेनैन के साथ राजस्थान पत्रिका की खास बातचीत- कहा, भारत दुनिया की एक जिम्मेदार शक्ति, स्थाई सदस्यता के लिए देंगे और ज्यादा जोर

3 min read
Google source verification
सुरक्षा परिषद की बेहतरी के लिए भारत की स्थाई सदस्यता जरूरीः फ्रांस

भारत में फ्रांस के राजदूत इमानुएल लेनैन

सुरेश व्यास

नई दिल्ली। फ्रांस ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद के औचित्य और कार्यकुशलता के लिए यह जरूरी है कि वह मौजूदा अंतरराष्ट्रीय वास्तविकताओं का बेहतर प्रतिनिधित्व करे। इसके लिए परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता जरूरी है।

भारत में फ्रांस के राजदूत इमानुएल लेनैन ने 'राजस्थान पत्रिका' को दिए एक्सक्लुसिव इंटरव्यू में यह बात कही। लेनैन ने रूस-यूक्रेन युद्ध, भारत को जी-20 की अध्यक्षता, भारत-फ्रांस के सामरिक सम्बन्धों, भारत में निवेश और भविष्य की योजनाओं जैसे कई मुद्दों पर बातचीत की। पेश है बातचीत के संपादित अंश-

फ्रांस हमेशा सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का पक्षधर रहा है। वहां भारत की मौजूदगी का फ्रांस के लिए क्या अर्थ होगा?

- हमने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का हमेशा समर्थन किया है। भारत एक ऐसा राष्ट्र है जिसके पास नियम आधारित विश्व व्यवस्था के लिए खड़े होने की इच्छा व साधन दोनों है। बहुत से देश इस श्रेणी में नहीं है। फ्रांस भारत को एक प्रमुख व जिम्मेदार शक्ति के रूप में देखता है। इसलिए हमारा मानना है कि स्थाई सदस्यता मिलने पर भारत सुरक्षा परिषद में अच्छाई की ताकत होगा। हम सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता जैसे सुधारों के लिए और अधिक जोर देंगे।

भारत जी-20 जैसे अहम समूह की अध्यक्षता कर रहा है। समूह के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में फ्रांस उभरती शक्ति के रूप में भारत की भूमिका को कैसे देखता है?

- जी-20 के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। इसके एक सदस्य रूस ने बहुपक्षवाद के बुनियादी नियमों पर हमला कर वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। भारत एक सेतु के रूप में काम करने और दुनिया को साथ लाने की विशिष्ट स्थिति में है। हमें भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दृष्टिकोण की जरूरत है। इसलिए हम भारतीय अध्यक्षता को पूरा समर्थन दे रहे हैं ताकि जी-20 अपनी भूमिका निभा सके।

दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुके रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर फ्रांस की स्थिति क्या है और आप भारत के रूख को कैसे देखते हैं।

- युक्रेन में रूसी युद्ध विश्वव्यापी परिणामों के साथ एक एकथनीय त्रासदी है। न तो फ्रांस और न ही भारत ऐसे विश्व को स्वीकार करते हैं, जहां शक्तिशाली ही सही है। इसीलिए राष्ट्रपति मैक्रों ने राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री मोदी की नसीहत कि 'आज का युग युद्ध का नहीं है...' की प्रशंसा की है।

भारत-फ्रांस सामरिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उभरती हुई नई चुनौतियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की क्या योजना है?

- फ्रांस-भारत की सामरिक साझेदारी वास्तविक में अनूठी है। दोनों देश अच्छे-बुरे समय में एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं। हमने इस उत्कृष्ट भरोसे को सामरिक क्षेत्रों में महत्वाकांक्षी सहयोग परियोजनाओं में परिवर्तित कर दिया है। हम भारत के साथ उन सभी क्षेत्रों में हाथ मिलाना चाहते हैं जो रक्षा से लेकर अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों तक हमारे राष्ट्रों की स्वतंत्रता के लिए मायने रखते हैं। हम अगले 25 वर्षों के लिए रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं।

क्या फ्रांस भारत में निवेश बढ़ाने का इच्छुक है और वे कौनसे क्षेत्र हैं जिनमें फ्रांसीसी कम्पनियां भारत में रुचि रखती हैं?

उत्तर- फ्रांसीसी कंपनियों ने भारत की आर्थिक सफलता में हमेशा विश्वास और निवेश किया है। आज भारत में 600 से अधिक फ्रांसीसी कंपनियों में चार लाख से अधिक कर्मचारी उत्पादन, आविष्कार और नवाचार करते हैं। भविष्य में फ्रांसीसी कंपनियां ऊर्जा, शहरी विकास, एयरोस्पेस और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। दूसरी दिशा में, हम अधिक से अधिक भारतीय निवेशकों को विशेष रूप से ब्रेक्सिट के बाद यूरोपीय बाजार के प्रवेश द्वार के रूप में फ्रांस को चुनते हुए देखकर उत्साहित हैं।

सामरिक क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध क्या क्रेता-विक्रेता के ही रहेंगे या संयुक्त उद्यम की दिशा में भी बढ़ेंगे?

- रक्षा उत्पादन के मामले में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने और 'आत्मनिर्भर भारत' के मार्ग में महत्वपूर्ण भागीदार बनने के लिए फ्रांस की रणनीतिक प्रतिबद्धता है। लड़ाकू विमान रफाल के कम्पोनेंट नागपुर में एक संयुक्त उद्यम में बन रहे हैं और कोयम्बटूर में ऐसे ही संयुक्त उद्यम में मिसाइल कम्पोनेंट बनाए जा रहे हैं। फ्रांसीसी कंपनियां भविष्य में भारत के प्रमुख रक्षा कार्यक्रमों में योगदान को तैयार हैं, चाहे वह नई पनडुब्बी परियोजनाएं हों, भविष्य के विमान इंजन। सामरिक स्वायत्तता के लिए हम हर कदम पर भारत के साथ रहेंगे।