मेरे सोचने के तरीके पर डाला असर पुतिन ने कहा कि मुझे पहली बार समझ में आया कि जब कोई कोने में फंस जाता है तो वह किस हद तक जा सकता है। इस घटना ने मेरे सोचने के तरीके पर गहरा असर डाला। खासतौर पर तब, जब हमें लगे कि हमारा अस्तित्व खतरे में है। पुतिन के बचपन की यह घटना से उनके व्यक्तित्व और युक्रेन युद्ध में उनके रवैये को लेकर खुलासा करती है।
यूक्रेन युद्ध से क्या कनेक्शन विश्लेषकों की मानें तो पुतिन खुद को उस कोने में घेरे गए चूहे की तरह देखते हैं, जिसे जब कोई विकल्प नहीं दिखता, तो वह पलटकर हमला करता है। यह मनोवृत्ति यूक्रेन युद्ध में भी देखी जा सकती है, जहां पुतिन ने नाटो के विस्तार और पश्चिमी दबाव को अपने लिए सीधा खतरा मानते हुए सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुना। यूक्रेन युद्ध के दौरान पुतिन की रणनीति में आक्रामकता, जिद और अस्तित्व की लड़ाई जैसा भाव देखा जा रहा है।