शांति वार्ता नहीं हो सकी: यूक्रेन युद्ध के दौरान साफ दिखाई देती है बचपन की सीख
मॉस्को. रूस और यूक्रेन के बीच गुरुवार को तुर्किए में होने वाली शांति वार्ता नहीं हो सकी। यूक्रेन के बीच 3 साल से अधिक समय युद्ध लड़ रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बचपन में चूहे से डर गए थे। पुतिन का कहना है कि यह उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक था। माना जा रहा है कि इसी सबक ने उनकी युद्ध नीति की नींव रखी।यूके्रन की शांति वार्ता की चर्चा के बीच पुतिन का एक 25 साल पुराना इंटरव्यू चर्चा में आया है। इसमें पुतिन ने कहा, 'हम बचपन में लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) की एक जर्जर बिल्डिंग में रहते थे। मैं वहां के संकरे गलियारों में दोस्तों के साथ लाठियों से चूहों को भगाया करते थे। एक दिन हमने एक बड़े चूहे को कोने में घेर लिया। लेकिन तभी चूहा पलटा और मुझ पर झपट पड़ा, जिससे मैं घबरा गया और डरकर भागने लगा।
मेरे सोचने के तरीके पर डाला असर
पुतिन ने कहा कि मुझे पहली बार समझ में आया कि जब कोई कोने में फंस जाता है तो वह किस हद तक जा सकता है। इस घटना ने मेरे सोचने के तरीके पर गहरा असर डाला। खासतौर पर तब, जब हमें लगे कि हमारा अस्तित्व खतरे में है। पुतिन के बचपन की यह घटना से उनके व्यक्तित्व और युक्रेन युद्ध में उनके रवैये को लेकर खुलासा करती है।
यूक्रेन युद्ध से क्या कनेक्शन
विश्लेषकों की मानें तो पुतिन खुद को उस कोने में घेरे गए चूहे की तरह देखते हैं, जिसे जब कोई विकल्प नहीं दिखता, तो वह पलटकर हमला करता है। यह मनोवृत्ति यूक्रेन युद्ध में भी देखी जा सकती है, जहां पुतिन ने नाटो के विस्तार और पश्चिमी दबाव को अपने लिए सीधा खतरा मानते हुए सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुना। यूक्रेन युद्ध के दौरान पुतिन की रणनीति में आक्रामकता, जिद और अस्तित्व की लड़ाई जैसा भाव देखा जा रहा है।