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पैसा किसी दूसरे खाते में न चला जाए…रेखा सरकार की घोषणा पर सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब बनी रहने के चलते रेखा सरकार ने निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को 10-10 हजार रुपये आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की।

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Air pollution crisis in Delhi-NCR Supreme Court Order Rekha government on Labor compensation

सुप्रीम कोर्ट ने रेखा सरकार की घोषणा पर दिया बड़ा आदेश।

Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण सबसे खतरनाक लेवल पर है। इसके चलते रेखा गुप्ता सरकार ने ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंध लागू किए हैं। इसकी सबसे ज्यादा मार उन मजदूर परिवारों पर पड़ रही है, जो लोग निर्माण कार्य से जुड़े हैं। दिल्ली में ऐसे करीब ढाई लाख मजदूर परिवार रहते हैं। इनमें से अभी तक रेखा सरकार ने सात हजार का सत्यापन पूरा कर लिया है। दूसरी ओर दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदूषण पर गहरी चिंता जताई। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए केवल तात्कालिक कदम नहीं, बल्कि व्यावहारिक, टिकाऊ और प्रभावी समाधान तलाशने की जरूरत है।

सहायता राशि की निगरानी का सुप्रीम आदेश

बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर लगाए गए प्रतिबंधों का सीधा असर दिहाड़ी और निर्माण श्रमिकों पर पड़ता है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसपर सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने दिल्ली की रेखा सरकार द्वारा की गई घोषणा की उच्चतम न्यायालय को जानकारी दी। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा श्रमिकों के खातों में पैसे ट्रांसफर करने की पूरी निगरानी की जाए। ऐसा न हो कि पैसा किसी दूसरे के खाते में चला जाए और श्रमिकों तक मदद ही न पहुंचे।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की रेखा सरकार को आदेश दिया कि ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान)-4 के तहत लगे प्रतिबंधों के चलते काम से वंचित हुए निर्माण श्रमिकों का पारदर्शी तरीके से सत्यापन किया जाए। सत्यापन के बाद पात्र श्रमिकों के बैंक खातों में सीधे आर्थिक सहायता ट्रांसफर की जाए। अदालत ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि श्रमिकों के नाम पर जारी की गई धनराशि कहीं और न चली जाए या इसमें किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना न हो। ऐसा नहीं होना चाहिए कि मजदूरों के खातों में भेजी गई राशि गायब हो जाए या किसी दूसरे खाते में पहुंच जाए। इसके साथ मजदूरों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्‍था पर भी विचार किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने माना-सबसे ज्यादा श्रमिकों पर असर

सुनवाई के दौरान देश की सर्वोच्च अदालत ने माना कि लंबे समय तक काम बंद रहने से श्रमिकों की आजीविका पर गहरा असर पड़ता है। इसपर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में करीब ढाई लाख निर्माण श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से करीब 7,000 श्रमिकों का सरकार ने सत्यापन पूरा कर लिया है। उनके बैंक खातों में जल्द ही आर्थिक सहायता के रूप में धनराशि ट्रांसफर कर दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली सरकार ने यह भरोसा भी दिलाया कि शेष श्रमिकों का सत्यापन भी तेजी से किया जा रहा है, जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।

दिल्ली के कानून मंत्री ने की थी घोषणा

इससे पहले बुधवार को कही दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार में कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने ग्रैप-4 के तहत लगे प्रतिबंधों से प्रभावित निर्माण मजदूरों को 10-10 हजार रुपये बतौर मुआवजा देने का ऐलान किया था। उन्होंने बताया कि पिछले 16 दिनों से ग्रैप का तीसरा चरण लागू है। इसके अलावा प्रदूषण की स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर ग्रैप-4 भी लगाया गया, जिसके चलते कई निर्माण गतिविधियां पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। इसका सबसे ज्यादा असर निर्माण कार्यों में लगे मजदूरों की आमदनी पर पड़ा है। कपिल मिश्रा ने कहा कि सरकार मजदूरों के हितों को लेकर गंभीर है और ग्रैप का चौथा चरण लागू होने की स्थिति में भी इसी तरह मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सहायता केवल सरकारी तौर पर पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को ही मिलेगी। साथ ही, जिन मजदूरों का पंजीकरण अभी नहीं हुआ है, उनके लिए पंजीकरण की प्रक्रिया जारी है, ताकि अधिक से अधिक श्रमिक इस योजना का लाभ उठा सकें।