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राज्यसभा में तल्खी के साथ शेर-ओ-शायरी व हंसीके भी नजारे

- 'उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, आईना साफ करता रहा...।'

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राज्यसभा में तल्खी के साथ शेर-ओ-शायरी व हंसीके भी नजारे

राज्यसभा में तल्खी के साथ शेर-ओ-शायरी व हंसीके भी नजारे

नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच तल्खी के साथ शेरो-शायरी के साथ कई बार हल्के-फुल्के नजारे भी दरपेश आए।

नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाषण के दौरान सदन में मौजूद प्रधानमंत्री की ओर इंगित करते हुए कहा कि मोदी हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं। इधर संसद चल रही है और उधर वे मेरे संसदीय क्षेत्र गुलबर्गा चले गए। उन्होंने जैसे ही कहा कि 'अरे भई मेरा एक ही संसदीय क्षेत्र है और आपको वही मिल रहा है...और वहां एक भी नहीं दो-दो मीटिंग कर रहे हैं' तो सदन में हंसी के ठहाके गूंज उठे। मोदी भी खरगे की बात पर हंसने लगे तो खरगे ने उनकी ओर देखते हुए कहा कि मोदी साहब पहली बार हंस रहे हैं।

भाषण के अंत में खरगे ने शेर पढ़ा कि 'नजर नहीं है नजारों की बात करते हैं, जमीं पर चांद सितारों की बात करतें हैं, वो हाथ जोड़कर बस्ती को लूटने वाले, भरी सभा में सुधारों की बात करते हैं... बड़ा हसीन हैं उनकी जबान का जादू, लगा के आग बहारों की बात करते हैं, मिली कमान तो अटकी नजर खजानों पर, नदी सुखाकर किनारों की बात करते हैं... गरीब बनाते हैं आम लोगों को, वही नसीब के मारों की बात करते हैं' तो सभापति धनखड़ भी हंसी नहीं रोक पाए।

धनखड़ ने यह कहते कि खरगे ने मेरे भीतर का शाइर भी जगा दिया है, शेर पढ़ दिया 'उम्र भर गालिब यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी, आईना साफ करता रहा...।' सदन में हंसी फूटी तो उन्होंने कहा कि मेरा ही है यह शेर,,,मैं ही ऑथर हूं इसका।