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हर 15 मिनट में एक बच्ची रेप का शिकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-छोटी उम्र से ही बच्चों को देनी होगी यौन शिक्षा

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार एवं न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि यौन शिक्षा केवल 9वीं कक्षा से शुरू नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे छोटी उम्र से ही शुरू करना चाहिए।

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Supreme Court ordered sex education for children before Class 9 and granted bail accused minor girl Rape

सुप्रीम कोर्ट मासूम से रेप मामले में आरोपी किशोर को जमानत दी।

Supreme Court: देश में लगभग हर 15 मिनट पर एक बच्ची दुष्कर्म या यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही है। यह बात एनसीआरबी के आंकड़ों के आधार पर साबित होती है। हालांकि यह आंकड़ा तीन साल पहले का है। हाल के दिनों की बात करें तो संख्या ज्यादा भी हो सकती है। इसपर अब सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। इसके साथ दुष्कर्म के एक 15 साल के किशोर को सशर्त जमानत भी दी है। किशोर की जमानत याचिका मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा "यौन शिक्षा सिर्फ 9वीं कक्षा से शुरू नहीं होनी चाह‌िए, बल्कि छोटी उम्र से ही बच्चों को इसके बारे में जागरूक करना होगा। प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल करना अनिवार्य होना चाहिए। ताकि छोटी उम्र से ही बच्चों को हार्मोनल बदलावों और शारीरिक देखभाल का उचित ज्ञान कराया जा सके।"

क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़ें?

बात अगर देशभर में होने वाले यौन अपराधों की करें तो हर 15 मिनट में एक बच्ची रेप या यौन उत्पीड़न का शिकार होती है। हालांकि यह आंकड़ा तीन साल पुराना है। आज की स्थिति शायद कुछ अलग हो सकती है, क्योंकि भारत में आज भी ज्यादातर लोग लोक लाज के चलते ऐसे मामलों को दबा लेते हैं। एनसीआरबी की साल 2022 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में बच्चों के खिलाफ यौन उत्‍पीड़न के 64469 मामलों में से 38444 मामले सिर्फ बच्चियों से यौन उत्पीड़न के थे। यानी हर घंटे चार और हर 15 मिनट में एक बच्ची यौन उत्पीड़न का शिकार हुई। वहीं साल 2018 से साल 2020 के बीच देशभर में बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के 418385 मामले दर्ज हुए। इनमें से लगभग 134,383 मामले पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किए गए। यानी इन तीन सालों के बीच कुल मामलों में से एक तिहाई बच्चियां यौन उत्पीड़न का शिकार हुईं।

बच्चों के प्रति यौन अपराधों की प्रवृत्ति बढ़ी

एक शोध रिपोर्ट (Tikhute 2014–2021) में बताया गया है कि यौन अपराधों की प्रवृत्ति लगातार बढ़ी है। 2014 से 2020 तक देश में जहां बच्चों के खिलाफ यौन अपराध की दर लगभग 12.1% थी। वह साल 2021 में बढ़कर 36% हो गई। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में कुल 1,49,404 मामले देशभर में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए। इनमें एक तिहाई यानी लगभग 33,348 मामले POCSO अधिनियम की धाराओं (penetrative sexual assault) में दर्ज हुए थे। इस शोध रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में हर तीसरा अपराध बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित है। यह आंकड़े पुलिस में दर्ज कराए गए मामलों पर आधारित हैं। वास्तविक स्थिति इनसे कहीं गंभीर हो सकती है, क्योंकि आज भी ज्यादातर लोग लोक लाज और पारिवारिक स्थिति के चलते ऐसे मामलों में चुप्पी साध लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों और क्या कहा?

दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट बच्ची के साथ रेप के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की यौन शिक्षा (सेक्स एजुकेशन) पर संवेदनशील और महत्वपूर्ण टिप्पणी की। न्यायमूर्ति संजय कुमार एवं न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि यौन शिक्षा केवल 9वीं कक्षा से शुरू नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे छोटी उम्र से ही शुरू करना चाहिए। कोर्ट ने यह निर्देश दिए हैं कि विद्यालयों में उच्चतर माध्यमिक स्तर से यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। ताकि छोटी उम्र से ही बच्चों को किशोरावस्‍था में होने वाले हार्मोनल बदलावों की जानकारी रहे। इसके अलावा बच्चियों को शारीरिक देखभाल और सावधानियों से भी समय रहते रूबरू कराया जा सके।

15 साल के किशोर पर मासूम से रेप का आरोप

यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत ने एक 15 साल के किशोर को बलात्कार और धमकी की धाराओं, साथ ही POCSO अधिनियम की गंभीर यौन उत्पीड़न की धारा 6 के आरोपों के तहत जमानत दी। अदालत ने कहा कि सुझाव देकर यह मामला तय नहीं किया गया है, बल्कि जवाबदेह अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुधारात्मक कदम उठाएं जाएं। आधिकारिक पक्षों को यह बताने का निर्देश दिया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार किस प्रकार 9वीं से 12वीं तक के छात्रों को यौन शिक्षा प्रदान करती है। साथ ही, कोर्ट ने यह सुझाव दिया कि इससे पहले की कक्षाओं में भी यह शिक्षा दी जानी चाहिए। इस विचार को कोर्ट ने 'आवश्यक सुधार' कहा है। ताकि बच्चों को समय रहते ही सुरक्षित जानकारी मिल सके।

क्या है बच्ची के साथ रेप का पूरा मामला?

दरअसल, यह मामला उत्तर प्रदेश के संभल जिले से संबंधित है, जहां एक 15 साल के किशोर पर IPC की धारा 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और POCSO अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के अंतर्गत आरोप लगाए गए थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहले उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि इस किशोर को नाबालिग माना जाए और किशोर न्याय बोर्ड द्वारा तय शर्तों के आधार पर जमानत दी जाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पर्याप्त नहीं है कि यौन शिक्षा केवल 9वीं कक्षा से हो, यदि यह शिक्षा पहले दी जाए तो बच्चों को बढ़ती उम्र में होने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों की समझ मिलेगी।