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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पुलिस भर्ती और अग्निशमन सेवा के अभ्यर्थियों को झटका! हाईकोर्ट का फैसला पलटा

तेलंगाना पुलिस और फायर सर्विसेज में ड्राइवर भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला पलटते हुए सख्त रुख अपनाया है। इससे तेलंगाना पुलिस और फायर सर्विसेज के उन अभ्यर्थियों को करारा झटका लगा है, जिनके लाईसेंस बीच में एक्सपायर हो गए थे।

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supreme court overturns high court order in telangana police and fire services driver recruitment case

तेलंगाना पुलिस और फायर सर्विसेज में ड्राइवर भर्ती से जुड़े मामले पर सप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई

तेलंगाना पुलिस और फायर सर्विसेज में ड्राइवर भर्ती से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले का पूरी तरह पलट दिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने की। यह विवाद तब सामने आया जब कुछ अभ्यर्थियों के ड्राइविंग लाइसेंस बीच में एक्सपायर हो गए थे और बाद में नवीनीकरण कराया गया था। ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता और उसके लगातार बने रहने को लेकर उठे सवालों पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। साथ ही चयन प्रक्रिया में पात्रता के नियमों को लेकर कंफ्यूजन को भी दूर कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुनवाई को दौरान बेंच ने साफ कहा कि जब भर्ती की नोटिफिकेशन में “दो साल तक लगातार वैध ड्राइविंग लाइसेंस" की रखी गई है, जिसका मतलब है - बिना किसी रुकावट के। कोर्ट ने कहा कि लाइसेंस के एक्सपायर होने से उसके नवीनीकरण के बीच का चाहे कोई भी गैप हो, कितना भी छोटा हो, वह लाइसेंस के लगातार होने की शर्त को तोड़ देता है। बेंच ने तेलंगाना हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए गैप के बाद अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में भाग लेने की इजाजत देने से इनकार कर दिया।

अब जानिए विवाद क्या है?

लाइव लॉ के अनुसार, तेलंगानाराज्य स्तरीय पुलिस भर्ती बोर्ड ने अप्रैल-मई 2022 में पुलिस कांस्टेबल (ड्राइवर) और फायर सर्विस ड्राइवर ऑपरेटर के 325 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। भर्ती की नोटिफिकेशन में साफ तौर पर शर्त यह रखी गई थी कि अभ्यर्थी के पास नोटिफिकेशन तारीख तक कम से कम दो साल से बिना किसी रुकावट के वैध एलएमवी या एचएमवी ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए। लेकिन भर्ती प्रक्रिया में सामने आया कि कुछ अभ्यर्थियों के ड्राइविंग लाइसेंस इस दो साल के ड्यूरेशन में एक्सपायर हो गए थे। हालांकि, उन अभ्यर्थियों ने बाद में लाइसेंसों का मोटर वाहन कानून के तहत तय समय सीमा के अंदर नवीनीकरण करा लिया गया था। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने इस मामले में अभ्यर्थियों को राहत दे दी थी और चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए अनुमति दे दी थी।

हाईकोर्ट का फैसला क्यों बदला गया?

सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 पर विशेष जोर देते हुए कहा कि लाइसेंस एक्सपायर होते ही तुरंत अमान्य हो जाता है और जब तक लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होता है, तब तक उसके पास वाहन चलाने के लिए भी मान्यता नहीं होती है। इसी वजह से एक्सपायर और नवीनीकरण के बीच का गैप लगातार वाली शर्त को तोड़ रहा है। साथ ही बेंच ने यह भी कहा कि खासकर पुलिस या आपदा सेवाओं में वाहन चलाने की रेगुलर प्रैक्टिस होती है, ऐसे में अगर अभ्यर्थी कानूनी रूप से वाहन नहीं चला सकता, वह अवधि अनुभव की निरंतरता में साफ ब्रेक है। इन्हीं सब कारणों की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती बोर्ड की अपील को स्वीकार किया और जो अभ्यर्थी दो साल की शर्त पूरी नहीं कर रहे थे, उन्हें चयन प्रक्रिया के लिए अयोग्य बताया।


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