
WFI Controversies: भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भारत को मेडल दिलाने वाले कई पहलवान 23 अप्रैल से ही धरने पर बैठे हैं। इस मुद्दे पर देशभर का पक्ष-विपक्ष आमने सामने है। शुरुआत में तो पहलवानों को खेल से जुड़े बड़े नामों का समर्थन नहीं मिला, हर जगह चुप्पी छाई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इन्हें अपने हीं लोगों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है। अनिल कुंबले से लेकर भारत की फुटबॉल टीम के पूर्व मिडफील्डर मेहताब हुसैन तक इनके समर्थन में आ गए हैं। इसी बीच क्रिकेट के गॉड कहे जाने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के मुंबई स्थित घर के बाहर यूथ कांग्रेस ने एक बड़ा पोस्टर लगाया है और लिखा है की आप इस बेहद गंभीर मसले पर चुप क्यों हैं।
आप खेल जगत के भगवान, फिर भी चुप क्यों?
अब तक सचिन तेंदुलकर ने पहलवानों से जुड़े इस मुद्दे पर एक भी बयान नहीं दिया है। इसी को लेकर मुंबई में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पहलवानों का समर्थन न करने को लेकर पूर्व दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के घर के बाहर बुधवार को पोस्टर लगा दिया,जिसे बाद में पुलिस ने हटा दिया। ये पोस्टर युवा कांग्रेस की सदस्य रंजीता गोरे की तरफ से लगाया गया था। पोस्टर में लिखा गया था कि आप खेल जगत में 'भगवान' हैं, लेकिन जब कुछ महिला खिलाड़ी यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा रही हैं, सरकार से लड़ रही है तो आपकी इंसानियत नहीं नजर आती। इस बेहद गंभीर मुद्दे पर आपका चुप रहना शोभा नहीं देता।
कुंबले हो गए थे निराश
भारत के महानतम गेंदबाजों में शुमार अनिल कुंबले भी पहलवानों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार से काफी निराश हैं। उन्होंने लिखा था- हमारे पहलवानों के साथ जो हाथापाई हुई, उसे सुनकर काफी निराश हूं। हर चीज उचित बातचीत से सुलझाई जा सकती है। इस मुद्दे के जल्द हल निकलने की उम्मीद करता हूं।
बंगाल की सीएम ममता उतरी सड़कों पर, पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी भी शामिल हुए
बुधवार को पहलवानों के समर्थन में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी कोलकाता की सड़कों पर उतरी। इस दौरान उनके साथ कई मंत्री और खिलाड़ी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाथों में इस मार्च के दौरान "हम न्याय चाहते हैं" लिखा हुआ पोस्टर था। यह रैली हाजरा से रविंद्र सरोवर तक निकाली गई थी।
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि हमारे पहलवानों को पीटा गया और प्रताड़ित किया गया।यह देश के लिए एक कलंक जैसा है की जिस खिलाड़ियों में देश को मेडल दिलाने में अपना सबकुछ झोंक दिया उनके साथ ऐसा बर्ताव हो रहा है। उन्होंने पहलवानों से बात की और उन्हें अपना समर्थन दिया है। हम उनके साथ एकजुटता जताते हैं। उन्होंने पूछा कि एक व्यक्ति पर शारीरिक शोषण का आरोप है, उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है। बहुत जल्द तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल आंदोलन कर रहे खिलाड़ियों से मुलाकात करेगा।
पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए भारत की फुटबॉल टीम के पूर्व मिडफील्डर मेहताब हुसैन भी बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के नेतृत्व में शहर में विरोध मार्च में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जब खिलाड़ी ने ओलिंपिक पदक दिलाए तो प्रधानमंत्री के पास चाय-नाश्ते पर उनकी मेजबानी करने और फोटो खिंचवाने के लिए समय था लेकिन इन खिलाड़ियों की बात सुनने के लिए मोदी के पास पांच मिनट का समय नहीं है, अगर मोदी इनकी बात सुन लेते को मुद्दा इस मुकाम तक पहुंचता हीं नहीं।
अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ?
विवाद क्या है, अब तक क्या हुआ, इस बारे में शुरू से शुरू करते हैं, 18 जनवरी को जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के साथ बजरंग पूनिया ने धरना शुरू किया। आरोप लगाया कि WFI के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने महिला पहलवानों का यौन शोषण किया। 21 जनवरी को विवाद बढ़ने के बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों से मुलाकात कर कमेटी बनाई, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
इसी कारण 23 अप्रैल को पहलवान फिर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए और कहा कि जब तक बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं होती, धरना जारी रहेगा। 28 अप्रैल को पहलवानों की याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण पर छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट में 2 एफआईआर दर्ज की।
3 मई की रात को पहलवानों और पुलिसकर्मियों के बीच जंतर-मंतर पर झड़प हो गई। झड़प में कई पहलवान और 5 पुलिस वाले घायल हुए। 7 मई को जंतर-मंतर पर हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब की खापों की महापंचायत हुई। इसमें बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया।
21 मई को फिर महापंचायत हुई और इंडिया गेट पर कैंडल मार्च और 28 मई को नए संसद भवन पर महिला महापंचायत करने का फैसला लिया गया। 26 मई को पहलवानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 28 मई को वे धरनास्थल से नए संसद भवन तक पैदल मार्च करेंगे।
28 मई को पहलवानों ने नए संसद भवन के सामने महापंचायत के लिए जाने की कोशिश की तो सुरक्षाकर्मी ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 29 मई को सारा दिन पहलवान घर पर रहे और मेडल गंगा में बहाने व इंडिया गेट पर आमरण अनशन का फैसला किया।
30 मई को पहलवान हरिद्वार हर की पौड़ी में मेडल बहाने गए। जहां किसान नेता नरेश टिकैत के मनाने पर सरकार को 5 दिन का अल्टीमेटम देकर उन्होंने फैसला टाल दिया। 31 मई को दिल्ली पुलिस ने बताया की अभी उनके पास बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है। हालांकि बाद में दिल्ली पुलिस ने ट्वीट करके इसका खंडन किया और कहा- जांच अभी जारी है।
Published on:
01 Jun 2023 11:26 am
बड़ी खबरें
View Allनई दिल्ली
दिल्ली न्यूज़
ट्रेंडिंग
