
जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति कार्यालय
जिले में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) कार्डधारकों की सूची में बड़ा घोटाला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि कई ऐसे परिवार वर्षों से बीपीएल कार्ड पर गरीबों का राशन उठा रहे थे जिनकी वार्षिक आय छह लाख रुपए से अधिक थी या जिनका कारोबार लाखों रुपए का था। आयकर और जीएसटी विभाग की रिपोर्ट के बाद 1710 अपात्र कार्डधारकों ने अपनी पात्रता पर्ची सरेंडर कर दी है, जबकि 80 परिवारों की जांच अभी भी जारी है।
खाद्य विभाग को आयकर और जीएसटी से प्राप्त रिपोर्ट में 1790 परिवारों की वार्षिक आय छह लाख से अधिक और 25 परिवारों का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपए से ज्यादा बताया गया है। इनमें सरकारी कर्मचारी, व्यापारी, जीएसटी फर्म संचालक और कुछ पत्रकार तक शामिल हैं। इन सभी ने लंबे समय से गरीबों के हिस्से का राशन, गैस सब्सिडी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया।
खाद्य विभाग ने जब इन परिवारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, तो कानूनी कार्रवाई के डर से कई लखपति-करोड़पति बीपीएल कार्डधारकों ने अपनी पात्रता पर्ची सरेंडर कर दी। विभागीय सूत्रों के अनुसार कुछ मामलों में बैंक खातों और संपत्ति की जांच भी चल रही है।
-6 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले 1790 परिवारों की पहचान।
-25 लाख से ऊपर टर्नओवर वाले 25 व्यापारी और फर्म संचालक पाए गए।
-378 कंपनी डायरेक्टरों का नाम भी बीपीएल सूची में दर्ज मिला।
- 1710 अपात्रों की पात्रता रद्द, जबकि 80 पर कार्रवाई जारी।
जिला आपूर्ति अधिकारी सीताराम कोठारे ने बताया कि आयकर और जीएसटी से प्राप्त इनपुट के आधार पर 1710 अपात्र उपभोक्ताओं की पात्रता बंद की गई है। अब केवल 80 मामलों में जांच चल रही है। विभाग परिवारवार सत्यापन कर रहा है ताकि पात्रों को ही लाभ मिल सके।
प्रदेश सरकार ने निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों में बीपीएल सूची की पुन: जांच और छंटनी कर सही पात्रों की नई सूची बनाई जाए। छतरपुर में फिलहाल डाटा वेरिफिकेशन और नोटिस प्रक्रिया जारी है।
हालांकि 1710 अपात्र परिवारों ने पर्ची लौटाई है, लेकिन अब तक किसी पर एफआईआर दर्ज नहीं हुई। सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है, जिले में अब भी हजारों फर्जी बीपीएल कार्डधारक सक्रिय हैं। उनका मानना है कि अगर सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती तो यह पूरा सिस्टम गरीबों के हक पर चोट करता रहेगा।
Published on:
11 Nov 2025 10:36 am
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