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भीलवाड़ा में 800 श्वानों की नसबंदी, फिर भी मोहल्लों में संकट बरकरार

भीलवाड़ा शहर में नसबंदी होने के बावजूद आवारा श्वान खतरे का प्रर्याय बने हुए हैं। पकड़े जाने के बाद उनका ठिकाना नहीं बदले जाने से क्षेत्र के लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। हालात ये है कि शहर में रोजाना पन्द्रह से अधिक लोग आवारा श्वानों का शिकार होकर इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। शहर में आवारा श्वानों की आबादी करीब पांच हजार से अधिक है।

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भीलवाड़ा। शहर में नसबंदी होने के बावजूद आवारा श्वान खतरे का प्रर्याय बने हुए हैं। पकड़े जाने के बाद उनका ठिकाना नहीं बदले जाने से क्षेत्र के लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। हालात ये है कि शहर में रोजाना पन्द्रह से अधिक लोग आवारा श्वानों का शिकार होकर इलाज कराने को मजबूर हो रहे हैं। शहर में आवारा श्वानों की आबादी करीब पांच हजार से अधिक है।

दो पारी में टीमें करती हैं काम

नगर निगम ने शहर में आवारा श्वानों को पकड़ने के लिए मुहिम शुरू की है। विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में आवारा श्वानों को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने एवं टीकाकरण के लिए विशेष टीम गठित की है। यह टीम अभी शहर में दो पारी में आवारा श्वानों को पकड़ने में लगी हुई है। प्रत्येक टीम में चार जने लगे हुए हैं। यह जाल के जरिए आवारा श्वानों को पकड़ रहे हैं। कई मौके पर दोपहर में तीसरी टीम भी काम करती है।

आटूण में कर रहे इलाज

शहर के निकट आटूण में आवारा श्वानों के इलाज के लिए केन्द्र बनाया हुआ है। यहां उन्हें दो से चार दिन के मध्य रखा जाता है। यहां उनकी दो चिकित्सकों की मौजूदगी में नसबंदी व टीकारण कार्य होता है। जहां से पकड़ कर लाए जाते हैं, वहीं से उन्हें छोड़ा भी जाता है।

नसबंदी के बाद, स्वभाव में पड़ता फर्क

नगर निगम के पशु चिकित्सक डॉ. मोहित सहारण बताते है कि मार्च से अभी तक 800 आवारा श्वानों को पकड़े जाने के साथ उनकी नसबंदी कर टीकाकरण किया गया है। कुल 3200 श्वानों की नसबंदी करनी है। नसबंदी व टीकारण के बाद आवारा श्वानों की हमले की क्षमता कम हो जाती है। उनके स्वभाव में बदलाव भी आता है। काट लेने की िस्थति में घाव को ढंके नहीं, तुरंत साफ पानी से करीब पांच से दस मिनट तक धोंवें, साबुन का उपयोग कर सकते हैं। इसके तुरंत एंटी रेबिज वैक्सीनेशन कोर्स लेंवे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश

आवारा श्वानों के पकड़ने व उनके इलाज में पूरी सावधानी बरती जाती है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि श्वानों को जिस स्थान से पकड़ें, नसबंदी व टीकाकरण के बाद उन्हें फिर से वहीं छोड़ा जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में ऐसा ही किया जा रहा है। हालांकि क्षेत्र में इसका लोग विरोध भी करते हैं।

हेमाराम चौधरी, आयुक्त, नगर निगम