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आधार मामला दमोह: 22 दिन में पुलिस पता नहीं कर पाई आईडी ऑपरेटर की जानकारी, एक का रेकॉर्ड गायब

आधार आईडी फर्जीवाड़ा मामले में ढीलासाही, मामले को दबाने का हो रहा प्रयास

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दमोह

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Samved Jain

May 24, 2025

Rajasthan 12 Lakh Families Ration Card When Linked to Aadhaar Card 30 September is Last Date

फाइल फोटो

दमोह. आधार आईडी फर्जीवाड़ा मामले में कलेक्टर के प्रतिवेदन पर २ मई को सिटी कोतवाली में अज्ञात व्यक्ति के तहत विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया, जिसके 22 दिन बीतने के बाद भी पुलिस की जांच अब तक वहीं स्थिर है। पुलिस यह भी पता नहीं लगा सकी है कि आधार आईडी का ऑपरेटर कौन है, जबकि यह जानकारी यूआईडी की वेबसाइट पर २ मिनट में ही पता की जा सकती है। इससे स्पष्ट है कि इस राष्ट्र स्तर पर हुए बड़े फर्जीवाड़े को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। विदित हो कि दमोह की दो आधार आईडी में एक मप्र के डेढ़ दर्जन जिलों में तो दूसरी आइडी पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान प्रांत में एक्टिव पाई गई थीं।

एक आईडी का वेबसाइट से ही रेकॉर्ड गायब
प्रकरण में दमोह की दो आधार आईडी में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा पाया गया है। जिसमें ई-गवर्नेंस प्रबंधक महेश अग्रवाल ने एक आधार आईडी लोक सेवा केंद्र दमयंतीपुरम में संचालित होना बताई थी। जिसका ऑपरेटर आईडी यूआईडीएआई की एनएसईआईटीई वेबसाइट पर डालने पर ऑपरेटर का सर्टिफिकेट शो हो रहा है। एफआईआर में दर्ज आईडी के आधार पर यह जानकारी आसानी से देखी जा सकती है। इसके अलावा ्रग्राम पंचायत गोलापटी की जो आईडी बताई गई है, उनका सर्टिफिकेट भी उक्त वेबसाइट से गायब कर दिया गया है। एफआइआर में दर्ज ऑपरेटर आईडी डालने पर नो रेकॉर्ड दर्शा रहा है। इससे स्पष्ट है कि इस आईडी के रेकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी है। जो कि किसी अन्य प्रदेश या जिले के व्यक्ति के नाम से संचालित हो सकती है।

आधार जैसे गंभीर मामले में क्यों दी जा रही ढील
एक तरह जहां देश में विदेशी मुखबिरतंत्र को समाप्त करने तेजी से काम हो रहा है, वहीं आधार कार्ड जैसे संवेदनशील मामले में पुलिस और प्रशासन की ढील समझ के परे हैं। प्रकरण के २ महीने और पुलिस जांच के १७ दिन बीतने के बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। जबकि आरोप है कि पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के जिन जिलों में यह आईडी एक्टिव रही हैं, वहां से बांग्लादेश, पाकिस्तान के लोगों को भारत में फर्जी नागरिकता आधार के माध्यम से देने के प्रकरण सामने आ सकते हैं। हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं है।

मामले में अधिकारियों ने भी साधी चुप्पी
इस प्रकरण में अब अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली है। कलेक्टर सुधीर कोचर बीते चार दिनों से इस संबंध में कॉल नहीं ले रहे हैं। जबकि ई-गवर्नेंस प्रबंधक महेश अग्रवाल भी कॉल नहीं ले रहे है। कलेक्टर ने इन्हे प्रकरण में पूरी जानकारी देने के लिए अधिकृत किया था, जबकि प्रमुख आरोप इन्हीं पर है।

वर्शन
प्रकरण में जांच की जा रही है। जैसे ही तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे कार्रवाई होगी। ऑपरेटर से भी पूछताछ की जाएगी। जांच में देरी जरूर हो रही है, लेकिन एक भी आरोपी इसमें नहीं बचेगा।
अभिषेक तिवारी, सीएसपी दमोह