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कमाल का गणित: ढाई लाख रुपए बचाने के चक्कर में एक साल में फूंक रहे ७८ लाख रुपए

-जिला अस्पताल में हवा से जनरेट होने वाला ऑक्सीजन प्लांट बंद, प्रबंधन इसे चालू कराने नहीं ले सका मंजूरी
-इधर, मरीजों को संजीवनी की सप्लाई के लिए भोपाल से खरीदी जा रही ऑक्सीजन

दमोहDec 18, 2024 / 11:53 am

आकाश तिवारी

दमोह. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान जिला अस्पताल में हवा से ऑक्सीजन जनरेट करने वाला प्लांट स्थापित किया था। हालांकि अब यह प्लांट बंद पड़ा हुआ है। पिछले दो साल से यह प्लांट सफेद हाथी बना हुआ है। इधर, हैरानी की बात यह है कि प्रबंधन ने बीते दो साल में लगभग सवा करोड़ रुपए ऑक्सीजन खरीदी पर खर्च कर दिए हैं। जबकि ढाई लाख रुपए खर्च कर प्रबंधन इस बंद प्लांट को चालू करा सकता था। अब इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. राकेश राय का कहना है कि उन्होंने इस मसले पर एक बैठक बुलाई थी और प्लांट को चालू कराने के लिए संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी है।
बता दें कि जिला अस्पताल में दो तरह के ऑक्सीजन प्लांट लगे हुए हैं। इसमें पीएसए प्लांट और एलएमओ प्लांट शामिल हैं। पीएसए प्लांट हवा से ऑक्सीजन जरनेट करता है। जबकि लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन(एलएमओ) प्लांट में लिक्विड ऑक्सीजन की रिफलिंग की जाती है। यहां से सेंट्रलाइज्ड तरीके से वार्डों में ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। भोपाल से यह लिक्विड ऑक्सीजन आती है।
-एक महीने में ७२ लाख रुपए का बन रहा बिल
पड़ताल के दौरान मालूम चला है कि एलएमओ की एवज में प्रबंधन हर महीने ६ लाख रुपए की ऑक्सीजन खरीद रहा है। हालांकि बिल वेरीफाई प्रबंधन के हाथ में है। राशि का भुगतान शासन स्तर से किया जा रहा है। साल में यह राशि ७२ लाख रुपए तक पहुंच रही है।
-कुछ वार्डों में सिलेंडर से हो रही ऑक्सीजन की सप्लाई
हैरानी की बात यह है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडरों के जरिए भी हो रही है। कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है। यहां पर सिलेंडर उपयोग किए जा रहे हैं। इनमें आई विभाग के कुछ वार्ड, इमरजेंसी वार्ड आदि शामिल हैं।
-१५ दिन में हो रही रिफलिंग
पीएसए प्लांट के बंद होने से अस्पताल में हर १५ दिन में ऑक्सीजन की रिफलिंग हो रही है। यहां पर जीपीएस सिस्टम लगा होना बताया जा रहा है। भोपाल से इसे मॉनीटर किया जाता है। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर लिक्विड ऑक्सीजन भोपाल से आ जाती है।
वर्शन
पीएसए प्लांट के बंद होने के संबंध में मैंने जांच की है। दो साल पहले इसे चालू कराने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन वहां से अभी तक जवाब नहीं मिला।
डॉ. राकेश राय, सिविल सर्जन दमोह

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