बेकन की ईंधन कोशिकओं ने अपोलो मिशन के लिए सेकंडरी ऊर्जा प्रदान की, जिससे संचार, एयर कंडीशनिंग और रोशनी के साथ ही अंतरिक्षयात्रियों के लिए पानी उपलब्ध हो सका। बेकन ने खुद अपोलो मिशन के चांद पर उतरने से पहले रेडियो पर कहा था, बैटरी समय के साथ खत्म हो जाती है और इसे रिचार्ज करना पड़ता है। लेकिन इस ऊर्जा उपकरण में जब तक आप ऑक्सीजन-हाइड्रोजन डालते रहेंगे, यह अनिश्चितकाल तक बिजली और पानी देता रहेगा।
बेकन ने 1932 में कंपनी के परिसर में गुप्त रूप से अत्यधिक ज्वलनशील गैसों के साथ प्रयोग शुरू किया। जब उनसे कहा गया कि या तो वे काम बंद कर दें या जगह छोड़ दें तो उन्होंने अपनी नौकरी ही छोड़ दी और पूरा जीवन अपने आविष्कार को समर्पित कर दिया। उनसे करीब एक सदी पहले भौतिक विज्ञानी विलियम ग्रोव ने 1839 में ईंधन कोशिकाओं की सैद्धांतिक अवधारणा प्रस्तुत की, लेकिन वह पर्याप्त बिजली पैदा करने में विफल रहे।