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मंदिर में स्थित शिवलिंग की पाताल तक है लंबाई, स्पर्श करने के लिए 14 सीढ़ियां नीचे उतरते हैं भक्त

मंदिर में स्थित शिवलिंग की पाताल तक है लंबाई, स्पर्श करने के लिए 14 सीढ़ियां नीचे उतरते हैं भक्त

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Tanvi Sharma

Aug 28, 2018

dughdeshwar mahadev

मंदिर में स्थित शिवलिंग की पाताल तक है लंबाई, स्पर्श करने के लिए 14 सीढ़ियां नीचे उतरते हैं भक्त

देशभर में कई चमत्कारी शिवालय हैं जिनका आपना अलग पुरातात्विक और पौराणिक महत्व है। हिंदू धर्म में व पुराणों में बारह ज्योर्तिलिंग के अलावा भी अनेक शिवधामों का उल्लेख मिलता है। उन सभी शिवालयों से जुड़ी कथाएं प्रचलित हैं वहीं उनका महत्व ग्रंथों में भी मिलता है। ऐसा ही एक अद्भुत शिवधाम उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के रुद्रपुर में स्थित है। 11वीं सदी के अष्टकोण में बना प्रसिद्ध दुग्धेश्वरनाथ मंदिर अपनी अनूठी विशेषता के लिए विश्व भर में जाना जाता है। माना जाता है की इस शिवधाम में स्थित शिवलिंग की लंबाई पाताल लोक तक है। यहां विराजमान शिवलिंग धरती से प्रकट हुआ है, इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बनाया गया है। यही कारण है की Dugdheshwar nath mahadev मंदिर में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। भारत का यह अद्भुत मंदिर उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले में रुद्रपुर के पास स्थित है।

शिवलिंग स्पर्श के लिए 14 सीढिय़ां नीचे उतरते है भक्त

मंदिर में भक्तों को शिवलिंग को स्पर्श करने के लिए 14 सीढ़ियां नीचे उतरके जाना पड़ता है। यहां शिवलिंग सदैव भक्तों के दूध और जल के चढ़ावे में डूबा रहता है। कहा जाता है कि दुग्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भारत दौरे के दौरान दर्सन किए थे।Dugdheshwar nath mahadev उस समय मंदिर की विशालता एवं धार्मिक महत्व को देखते हुए उन्होंने चीनी भाषा में मंदिर परिसर में ही एक स्थान पर दीवार पर कुछ चीनी भाषा में टिप्पणी की थी, जो आज भी मंदिर की दिवार पर स्पष्ट रुप से दिखाई देती है।

रुद्रपुर नरेश ने कराया था मंदिर का निर्माण

मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की कई सैकड़ों वर्ष पूर्व यह स्थान घने जंगलों से घिरा था और जहां कुछ चरवाहे अपनी गायों को चराने के लिए आते थे। लोगों के अनुसार जंगल में एक टीले के पास एक गाय खड़ी हो जाती थी और उसके स्तनों से स्वत:दूध की धारा बहने लगती थी। धीरे धीरे यह बात आग की तरह फैल गई। इस बात की जानकारी उस समय के राजा हरी सिंह को हुई। उन्होंने इस संबंध में काशी के पंडितों से चर्चा की, और उस स्थान की खुदाई कराने लगे। खुदाई के बाद एक शिवलिंग दिखाई पड़ा लेकिन ज्यों ज्यों शिवलिंग को निकालने के लिए खुदाई होती गई, वह शिवलिंग अदंर की ओर धंसता गया। बाद में उस समय के राजा हरी सिंह ने 11 वीं सदी में काशी के पंडितों को बुलाकर वहां एक मंदिर बनवाया। वहीं मंदिर के पुजारियों का कहना है की प्राचीन मंदिर का वर्णन शिवपुराण में मिलता है। कहा जाता है की Dugdheshwar nath mahadev दुग्धेश्वरनाथ मंदिर को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, उज्जैन की भांति महत्ता प्रदान की गई है।