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मां नर्मदा का हर कंकर शंकर है, इनकी प्रतिष्ठा जरूरी नहीं

शिवपुराण कथा का छठा दिन : दीदी ने 12 ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन करते हुए उनके स्थानों के नाम बताए

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मां नर्मदा का हर कंकर शंकर है, इनकी प्रतिष्ठा जरूरी नहीं

शिव महापुराण के छठेे दिन की कथा में भावना मार्कण्डेय दीदी ने कहा कि शिव ही चराचर जगत् के एकमात्र देवता हैं

खंडवा. ग्राम दोंदवाड़ा में चल रही शिव महापुराण के छठेे दिन की कथा में भावना मार्कण्डेय दीदी ने कहा कि शिव ही चराचर जगत् के एकमात्र देवता हैं। शिव के ' निर्गुण और सगुण रूप का विवेचन करते हुए दीदी ने कहा कि शिव एक ही हैं, जो समस्त प्राणियों पर दया करते हैं। इस कार्य के लिए ही वे सगुण रूप धारण करते हैं। जिस प्रकार अग्नि और जल तत्व को किसी रूप विशेष में रखकर लाया जाता है, उसी प्रकार शिव अपना कल्याणकारी स्वरूप साकार मूर्ति के रूप में प्रकट करके पीडि़त व्यक्ति के सम्मुख आते हैं। जिससे उसका कल्याण हो।
दीदी ने 12 ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन करते हुए उनके स्थानों के नाम बताए सौराष्ट्र गुजरात में सोमनाथ, श्रीशैल पर मल्लिकार्जुन आंध्र प्रदेश, उज्जैन में महाकाल मध्य प्रदेश, ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश, परली में वैद्यनाथ झारखंड, डाकिनी में भीमाशंकर महाराष्ट, सेतुबंध पर रामेश्वरम तमिलनाडु, नागेश्वर नाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात, विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ उत्तर प्रदेश, त्र्यम्बकेश्वर महाराष्ट्र, हिमालय पर केदारनाथ उत्तराखंड और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में है। ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते है , रोगी रोग से मुक्त हो जाता है भोगी भोग से मुक्त हो कर शिव की भक्ति में लीन हो जाता है ।
महादेव की कृपा पाने का सरल उपाय है शिव की भक्ति
मां नर्मदा से प्राप्त पत्थर को प्रतिष्ठा की जरूर नहंी है उसे सीधे लाकर पूजन किया जा सकता है, एक मां नर्मदा है जिसमे से नर्मदेश्वर शिव हमे कई सुंदर रूपों में प्राप्त होते है।जिसकी पूजा हम करते है। विभिन्न प्रकार के शिव लिंगों की पूजा करने का विधान शिव पुराण में है. जैसे- स्वयंभू शिवलिंग, नर्मदेश्वर शिवलिंग, जनेऊधारी शिवलिंग, सोने और चांदी के शिवलिंग और पारद शिवलिंग,पार्थेश्वर , इनमें से नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और फलदायी मानी जाती है।