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प्रयोग : धरती पर मंगल जैसे वातावरण में 378 दिन बिताकर बाहर निकले चार वैज्ञानिक

वैज्ञानिक एंका सेलारियू, रॉस ब्रॉकवेल, नाथन जोन्स और कनाडाई जीव विज्ञानी केली हेस्टन विशेष कमरे में 378 दिन बिताने के बाद शनिवार को बाहर आए।

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वाशिंगटन. नासा 2030 तक इंसानों को मंगल भेजने की तैयार कर रहा है। मंगल पर इंसान कैसे रहेंगे, इसी को लेकर किया ट्रायल पूरा हुआ। इसके लिए हृयूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर में 1700 वर्ग फीट का एक 3डी प्रिंटेड कक्ष तैयार किया गया, जिसका वातावरण पूरी तरह मंगल ग्रह जैसा था। इसके लिए नासा ने चार लोगों का चयन किया था। इनमें वैज्ञानिक एंका सेलारियू, रॉस ब्रॉकवेल, नाथन जोन्स और कनाडाई जीव विज्ञानी केली हेस्टन थी। ये सभी इस विशेष कमरे में 378 दिन बिताने के बाद शनिवार को बाहर आए। नासा के एक अंतरिक्ष यात्री ने कक्ष के दरवाजे के पीछे तीन बार जोर से पूछा कि आप बाहर आने के लिए तैयार हैं? जब तक उनका उत्तर सुन पाता, सभी एक-एक कर बाहर आ गए। इनके लिए मंगल जैसे वातावरण में रहना जितना मुश्किल था, उतना ही इंसानी संपर्कों से दूर रहना चुनौतीपूर्ण था।

परिवार को देखते हुए भावुक
शनिवार को जब ये घर से बाहर निकले तो इनके बाल थोड़े बिखरे हुए थे, लेकिन चेहरे पर खुशी थी। बाहर निकलते ही परिजनों को देखकर ये भावुक हो गए।

कैसा है विशेष कक्ष
3डी प्रिंटेड कक्ष में चार बैडरूम, जिम, किचन और रिसर्च सेंटर बनाया गया है। घर को एयरलॉक से अलग किया गया था। शून्य गे्रविटी में वैज्ञानिकों ने मार्स वॉक का अभ्यास भी किया।