
होली दहन के बाद प्रात:काल में निकली परंपरागत गेर
सांवेर. धुलेंडी का पर्व सांवेर नगर के साथ ही क्षेत्र के सभी गांवों में भी मंगलवार को ही परंपराओं का निर्वाह करते हुए हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सुबह जगह-जगह होलिका दहन हुआ। वहीं रंगारंग गेरे भी परंपरानुसार निकली। केशरीपुरा में क्षत्रिय कुमावत समाज की विशाल गेर निकली। वहीं अन्य समाजों के समूह गेर के रूप में रंग डालने गमी वाले घरों पर गए।
सोमवार शाम को नगर में जगह-जगह होलिका सजाई गई थी, जिनका दहन सोमवार को अलसुबह किया गया। होलिका दहन के बाद ही महिला, पुरुष, बच्चे होली तपने के लिए घरों से निकल पड़े थे। परंपरा और मान्यताओं के तहत कई लोग होली की आग में गेहूं की उंबी सेकने के लिए लाए थे, कई लोग होली के अंगारों में नमक सेंकने लाए थे। गत होली के बाद पैदा हुए बच्चों को होली के फेरे लगवाने विशेष रूप से लाया गया था। होलिका दहन के पश्चात जैन समाज, ब्राह्मण समाज, गवली यादव समाज, क्षत्रिय राठौर समाज, भावसार समाज, बलाई समाज, रविदास समाज की अपनी गेर समाजजनों के समूहों के रूप में निकली, जो समाज के गमी वाले घरों पर रंग डालने पहुंची। केशरीपुरा में क्षत्रिय कुमावत समाज की विशाल गेर में महिलाएं भी बराबरी की संख्या में शामिल थीं। कुड़ाना में भी होलिका दहन के साथ चंद्रवंशीय खाती समाज की विशाल गेर निकली। मंगलवार को नगर के रांवेर में होली की परंपरागत जत्रा भी भरी जिसमें नगर ही नहीं आसपास के गांवों की ग्रामीण महिलाएं व बच्चे भी बड़ी संख्या में उमड़े। गल देवता के सामने महिलाएं नंगे पैर अंगारों पर चलकर निकली और चूल फिरने की मन्नत पूरी की।
सामाजिक समरसता की मिसाल
सांवेर नगर के केशरीपुरा में नगर पंचायत के तीन वार्ड होने और करीब तीन हजार की आबादी में क्षत्रिय कुमावत समाज के बाहुल्य के बीच आधा दर्जन से ज्यादा दिगर समाज (जिनमें दलित भी है) भी निवासरत् होने के बावजूद यहां गांव बसा तभी से एक ही होली जलाई जाती है और एक ही गेर निकलती है। इस साल भी यहां एक ही स्थान पर होलिका दहन हुआ। एक होली, एक गेर के माध्यम से केशरीपुरा की सामाजिक समरसता व एकता की झलक तो मिलती ही है। यहां जंगल बचाने का संदेश भी पिछले वर्षों की तरह मिला।
महिलाओं ने की होली ठंडी
केशरीपुरा में गमी वाले घरों पर रंग डालने की रस्म पूरी करके कुमावत समाज की गेर का भ्रमण पूरा हुआ तो गेर में शामिल सभी महिला-पुरुष होलिका दहन स्थल पर पहुंचे, यहां महिअलाओं में लोटों में भरे जल से सामूहिक रूप से होली ठंडी करने की परंपरा का निर्वाह किया और यहीं से गेर भी विसर्जित हो गई। रंग-गुलाल खेलते कुछ बच्चे ही नजर आए होली के रंगों का असली रंग तो रविवार को रंगपंचमी के दिन ही देखने को मिलेगा। उस दिन केशरीपुरा में अलग ही माहौल होगा कि कई घरों से सेंव-परमल बंटेगी तो किसी कई से आइसक्रीम या मिठाई।
चित्र 1 दृ केशरीपुरा में निकली कुमावत समाज की विशाल गेरण् 2 होली ठंडी करती केशरीपुरा की महिलाऐं 3 सांवेर में बच्चों की होली
Published on:
08 Mar 2023 01:46 am
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