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इन तरीकों से आप भी जान सकते हैं, आपके लिए कौनसी चीज सबसे ज्यादा लकी है

अशुभ संकेतों को देखकर अशुभकारी ग्रहों का पता लगाया जा सकता है और उनसे संबंधित जप-दान और आराधना कर शांति भी पाई जा सकती है

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Sunil Sharma

Sep 06, 2017

December 2007 vrat pooja and festivals, shiv pooja vidhi, lord surya pooja vrat katha, hindu vrat katha pooja, vrat katha pooja in hindi

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जीवन में कष्ट नव ग्रहों के अशुभ होने पर आने लगते हैं। कौनसा ग्रह अशुभ फल दे रहा है, यह जानने के लिए कुंडली का अध्ययन किया जाता है। कुंडली या सही जन्म की तारीख और समय न होने की दशा में जीवन में आए दिन नजर आने वाले पूर्व संकेतों से भी अशुभकारी ग्रह को जाना जा सकता है।

सूर्य-शुक्र के बाधा संकेत
सोने या तांबे के बर्तन या आभूषण गुम होने लगें, अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, तनाव, घबराहट या पित्त रोग होने लगे, पिता को कष्ट हो तो कहा जा सकता है कि सूर्य बाधाकारी ग्रह है। इसी प्रकार अगर पानी से भरा बर्तन या मिट्टी का कोई बर्तन अचानक टूट जाए, माता या कन्या संतान को कष्ट होने लगे, मानसिक तनाव, घबराहट, बेचैनी हो तो यह माना जा सकता है कि चंद्र बाधाकारी ग्रह सिद्ध हो रहा है। मंगल के बाधाकारी ग्रह होने की दशा में अचानक ही मकान या जमीन को नुकसान होता है, पढ़ाई-लिखाई में व्यवधान आने के संकेतों से पता चलता है कि बुध बाधाकारी ग्रह हो गया है। गुरु ग्रह के बाधाकारी हो जाने से धर्म एवं आध्यात्म में रुचि कम होने लगती है, सोने या पीतल के बने बर्तन या आभूषण गुम हो जाते हैं और सिर के बाल उडऩे लगते हैं।

शुक्र-केतु अशुभ लक्षण
शुक्र ग्रह के बाध्यकारी होने की वजह से त्वचा और गुप्त रोग परेशान करने लगते हैं। आलस्य एवं नींद की अधिकता होने, अस्त्र-शस्त्र या लोहे की वास्तु या वाहन से चोट लगने जैसी समस्याएं शनि के बाधाकारी ग्रह होने का पूर्व संकेत हैं। राहु के बाधाकारी ग्रह होने के कारण घर के पालतू जानवर अचानक या तो घर छोडक़र चले जाते हैं या फिर उनकी मृत्यु हो सकती है। वहीं केतु के बाधाकारी ग्रह हो जाने से हमारी बातचीत की भाषा में कड़वाहट आने लगती है। सावधानी बरतने के बाद भी कार्यों में गलतियां होने लगती हैं, अचानक पागल **** के काटने की आशंका बन जाती है, घर के पालतू पक्षी की बीमारी की वजह से मृत्यु हो सकती है और अचानक ही किसी अच्छी या बुरी खबर का सामना करना पड़ सकता है।

नव ग्रहों के बाधाकारी होने के ये पूर्व संकेत पूर्ण नहीं हैं। इनके अलावा अन्य संकेत भी हो सकते हैं जिन्हें अनुभव के द्वारा महसूस किया जा सकता है। किसी ग्रह के बाधाकारी होने पर उसकी शांति और प्रसन्नता के लिए ग्रहों के अनुसार जप-दान और संबंधित ग्रहों की आराधना करना श्रेष्ठ होता है।

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