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गरीब तबके की आजीविका का साधन बने करौंदे, वनक्षेत्र में इस बार खूब भरमार

देश-विदेश के सैलानी ले रहे स्वाद -पेट के लिए फायदेमंद करौंदा

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माउंट आबू. माउंट आबू शहर में बिकने आए करौंदे।

माउंट आबू. माउंट आबू शहर में बिकने आए करौंदे।

माउंट आबू. पर्यटन स्थल माउंट आबू के वन्य क्षेत्र में इस बार करौंदे की झाड़ियों पर फलों की भरमार है। करौंदे के फल आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लोगों के लिए आजीविका का साधन बने हुए हैं। शहर में इन दिनों देश-विदेश से आने वाले सैलानी जगह-जगह बिकते करौंदे के फलों का स्वाद ले रहे हैं।

शहर में पर्यटकों की भीड़भाड़ वाले विभिन्न स्थानों पर छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग करौंदे के फलों की छोटी-छोटी कोन बनाकर दस, पंद्रह, बीस रुपए में बेचकर अपनी आजीविका अर्जन कर रहे हैं।

शहर से सटे वन्य क्षेत्र में बड़ी-बड़ी करौंदे की झाड़ियों में लदकद लगे पके हुए करौंदे को बच्चे सवेरे सूर्योदय से पूर्व ही तोड़ने के लिए पहुंच जाते हैं। थैलियों व टोकरियों में करौंदे भरकर शहर पहुंचने के बाद उसे छोटी-छोटी कागज की कोन बनाकर बिक्री के लिए सजाकर रख देते हैं।

लोग चाव से खाते हैं करौंदे

वन्यक्षेत्र में प्राकृतिक रूप से फलने वाले करौंदे आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों की आजीविका का स्रोत है। लोग यहां से करौंदे अहमदाबाद, मुंबई, सूरत, बड़ौदा, राजकोट सहित विभिन्न शहरों में भी ले जाते हैं। जहां लोग इन्हें बड़े चाव से खाते हैं। वन्य क्षेत्र की पहाड़ियों के विभिन्न स्थानों पर करौंदे अब पकने लगे हैं।

पक्षियों के लिए लाभदायक करौंदे

जानकारों के अनुसार करौंदे की झाड़ियों के इर्द-गिर्द निराई-गुड़ाई करने से झाड़ियों के आस-पास पनपने वाला उमश फाइकस ग्लोमरेटा का पौधा पक्षियों के लिए लाभदायक होता है। विशेषकर दुर्लभ प्रजाति की चिड़िया ग्रीन मुनिया के संरक्षण में यह लाभदायक है। वन्यक्षेत्र में करौंदे पकने आरंभ हो गए हैं। गर्मियों में पक्षी इन वनस्पतियों पर रहने के साथ ही उनके फलों का सेवन बड़े चाव से करते हैं।

पेट के लिए फायदेमंद

माउंट आबू की पहाडिय़ों सहित विभिन्न क्षेत्रों में करौंदे के पेड़ खूब मिलते हैं। ऊंचे पहाड़ों में जड़ जमाए 8-10 वर्ष में फल देने वाला कांटेदार यह पौधा 10 से 15 फीट लंबाई मेें होता है। इसका महत्व आम लोगों के लिए फल खाने तक सीमित हैं, जो मई व जून के महीने में पका हुआ मिलता है। काले रंग, दो-तीन बीजों वाला यह फल विशेषकर पेट के लिए काफी फायदेमंद है।

डॉ. कान्तिलाल माली, आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, माउंट आबू

माउंट आबू में सवेरे छाई रही गहरी धुंध, मौसम की ठंडक का आनंद ले रहे सैलानी

माउंट आबू ञ्च पत्रिका. पर्यटन स्थल माउंट आबू में दो दिन से रुकरुक कर रिमझिम बारिश होने से वातावरण में ठंडक घुली रही। माउंट में बुधवार सुबह तक बीते 24 घंटों में 9.6 मिलीमीटर बारिश हुई। बुधवार तड़के से ही वादियां गहरी धुंध में लिपटी रही। दिनभर धुंध का आवागमन बना रहा।

तापमापी के पारे में आई गिरावट के चलते अधिकतम 23.4 व न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस रहा। आसमान से उतरते बादलों का मनभावन नजारा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा।

देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटकों ने सवेरे नक्की झील परिक्रमा पथ पर भ्रमण करते हुए पर्यटन यात्रा का लुत्फ उठाया। सवेरे गहरी धुंध छाई रहने से वाहन चालकों को लाइटें जलाने के बाद ही वाहन चलाने पड़े। जिससे वाहन चालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा, वहीं दर्शनीय स्थलों का दीदार करने को आए सैलानियों ने पहाड़ियों को अपने आंचल में लेते आसमान से उतरते बादलों के आकर्षक नजारों को कैमरे में कैद करते हुए मौसम का आनंद लिया। सवेरे से ही वातावरण में ठंडक घुली रही। भ्रमणकारी पर्यटकों ने सड़कों व बाजारों में चहलकदमी करते हुए खुशनुमा मौसम के बीच चाय की थडियों पर चाय की चुस्कियां ली।