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चमत्कारी है देवी का यह मंदिर, प्राकृतिक आपदा आने से पहले काला हो जाता है कुंड का पानी

प्राकृतिक आपदा के आने से पहले काला पड़ जाता है कुंड का पानी

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भोपाल

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Tanvi Sharma

Jun 30, 2019

kheer bhawani mandir

चमत्कारी है देवी का यह मंदिर, प्राकृतिक आपदा आने से पहले काला हो जाता है कुंड का पानी

भारत देश में कई चमत्कारी व अनोखे मंदिर हैं जिनके चमत्कारों के बारे में वैज्ञानिक भी आज तक पता नहीं लगा पाए। इन सभी मंदिरों से जुड़ी रोचक कहानियां भी होती हैं और इनसे धार्मिक आस्था भी जुड़ी हुई होती हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक कश्मीर का खीर भवानी मंदिर ( Kheer Bhawani mandir ) भी है। यह प्रसिद्ध मंदिर जम्मू कश्मीर ( jammu kashmir ) के गंदेरबल जिले में स्थापित है। इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार मंदिर की स्थापना कश्मीर में हनुमान जी ने की थी। स्थानिय लोगों के बीच यह मंदिर राज्ञा देवी मंदिर ( ragya devi mandir ) के नाम से भी जाना जाता है।

हर साल लगता है मेला

मंदिर में हर साल एक पारंपरिक मेला लगता है। जो की पारंपरिक श्रद्धा एवं हर्षोल्लास से मनाए जाता है। हर साल लगने वाले इस मेले को खीर भवानी मेला कहते हैं। यहां आऩे वाले श्रद्धालुओं धार्मिक मंत्रोच्चार के बीच मंदिर में घंटे बजाकर देवी के के दर्शन करते हैं। खीर भवानी मेला इस विस्थापित समुदाय का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है। यह मेला राज्य के सांप्रदयिक सौहार्द के प्रतीकों में शामिल है। खास बात तो यह है कि हिंदू मान्यताओं से जुड़े इस मेले के लिए बहुत से प्रबंध मुसलमान समुदाय के लोग करते हैं।

नंगे पांव दर्शन के लिए आते हैं श्रद्धालु

श्रद्धालु नंगे पांव देवी मां के दर्शन करने के लिए मंदिर आते हैं। पुरूष श्रद्धालु मंदिर के समीप जलधारा में स्नान करते हैं। श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित जलकुण्ड में खीर चढ़ाते हैं। माना जाता है कि, मंदिर के नीचे बहने वाली जलधारा के पानी का रंग घाटी के कल्याण का संकेत देता है। यदि इसका जल काला होता है, तो यह अशुभ माना जाता है।

प्राकृतिक आपदा आने से पहले पानी हो जाता है काला

किसी प्राकृतिक आपदा के आने से पहले मंदिर के कुंड का पानी काला पड़ जाता है। इस तरह स्थानीय लोगों को संकट की सूचना पहले ही मिल जाती है। लोग इसे माता का चमत्कार मानते हैं। हिंदुओं के साथ ही गैर-हिंदुओं की भी यहां भारी आस्था है।

पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर का महत्व

यह रामाणय काल की बात है। पहले खीर भवानी माता का मंदिर श्रीलंका में था। यहां माता की स्थापना रावण ने की थी। रावण ने कड़ी साधना कर माता को प्रसन्न किया था और मंदिर बनाया था। हालांकि बाद में रावण के बुरे कार्यों से माता रुठ गई थी। माता सीता की तलाश में जब हनुमानजी लंका पहुंचे तो माता ने इस राम भक्त से कहा कि वह उन्हें अन्यत्र स्थापित करे। तब हनुमानजी ने माता को कश्मीर के तुलमुल गांव में स्थापित किया था। आज भी यह मंदिर श्रीनगर से 14 किलोमीटर दूर गान्दरबल जिले में स्थित है।


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