
किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 58 .... बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (10 दिसंबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 58 में भेजी गई कहानियों में ये कहानियां सराहनीय रही हैं।
डाकू मोहन लाल
लव, उम्र-7 साल
एक बार मोहन लाल नाम का एक डाकू था। वह बहुत गांवों को लुटता था। उनसे बहुत धन, खाना-पानी लेता था। एक बार उससे गांव परेशान हो गया। वे लोग उससे छुटकारा पाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक उपाय सोचा। जब अगली बार वह डाकू वहां आया तो, वे लोग उसे कहने लगे कि तुम हमारे गांव की रखवाली करो तो हम तुम्हें धन और खाना-पानी देंगे। वह डाकू उनकी बात मान गया। अपनी जीवन शैली चलाने लगा।
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नन्हा घुड़ सवार
रिशिता टहलयानी, उम्र-10 साल
एक समय की बात है मयंक नाम का एक बच्चा था। वह हिमालय के पहाड़ों में रहता था। उसके पिता एक बहुत अच्छे घुड़ सवार थे। उसकी इच्छा थी कि वह भी बड़े होकर एक कुशल घुड़ सवार बने। एक दिन तेज बर्फबारी के कारण पर्यटकों के घोड़े पहाड़ों में अटक गए जिसके लिए बहुत से लोग मदद करने के लिए गए। मयंक भी अपने पापा के साथ उनकी मदद करने गया। उसका पहाड़ों के रास्तों पर घोड़ो पर संतुलन बहादुरी एवं समझदारी देख लोग बहुत प्रसन्न हुए। तब से वह नन्हे घुड़ सवार के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
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खड़क सिंह नाम का एक डाकू
मयंक मेघवाल, उम्र-12 साल
एक दिन की बात है।गांव में खड़क सिंह नाम का एक डाकू रहता था। गांव में उसका नाम सुनकर सारे गांव वासी कांपने लग जाते थे। उसके पास एक घोड़ा था। उसका नाम वीर था, उसको बाबा भारती का घोड़ा सुल्तान बहुत पसंद था। एक दिन खड़क सिंह बाबा भारती के पास उनके घोड़े को देखने गया। खड़क सिंह को बाबा भारती का घोड़ा बहुत पसंद आया। खड़क सिंह ने बाबा भारती को धीरे से कान में बोला कि यह घोड़ा मैं तुम्हारे पास ज्यादा दिन नहीं रहने दूंगा, इस कारण बाबा भारती दिन रात घोड़े की रखवाली में खड़े रहते थे। कुछ महीने बीत जाने के बाद बाबा भारती का भय खत्म हो गया। एक दिन बाबा भारती पास वाले गांव में जा रहे थे। उनको एक घायल व्यक्ति मिला वह खड़क सिंह था। उसने चादर ओढ़ रखी थी। खड़क सिंह ने बोला कि मुझे आगे वाला गांव तक छोड़ दो। बाबा भारती को दया आ गई। बाबा भारती ने घोड़ा उसे दे दिया और बोला कि घोड़े को आगे वाले गांव में बांध के रखना। मैं चलकर आता हूं। फिर खड़क सिंह ने चादर फेंक दी और बाबा भारती को अपना चेहरा बता दिया। फिर खड़क सिंह घोड़ा लेकर भाग गया। बाबा भारती घोड़े के पीछे दौड़े पर घोड़े की रफ्तार ज्यादा थी। इसलिए बाबा भारती कुछ नहीं कर सके। लेकिन बाबा भारती ने खड़क सिंह को जाते वक्त कहा कि ये बात किसी को बोलना मत। अगर लोगों को ये बात पता लग गई तो आगे से किसी जरुरतमंद व्यक्ति की मदद नहीं करेंगे यह बात सुनकर खड़क सिंह बहुत दुखी हुआ और उसने बाबा भारती को उनका घोड़ा लौटा दिया।
राजेंद्र का नाम युगों युगों तक बना रहा
शौर्य चौधरी उम्र 9 साल
एक बार की बात है एक गांव में एक राजेंद्र नाम का लड़का रहता था। उसके पास एक पालतू घोड़ा भी था। जिसका नाम विक्रम था। वह दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे। राजेंद्र का सपना था कि वह एक फौजी बने। उसने अपना सपना पूरा करने के लिए घुड़सवारी और बंदूक चलाना भी सीखा। उसे 8 साल के बच्चे ने एक विक्रम नाम के घोड़े पर चढ़कर के घुड़सवारी सीख ली। यह बात पूरे गांव में फैल गई और सारे लोग हैरान हो गए। वह एक खिलौने वाली बंदूक से बंदूक चलाना सीखा। जब वह 18 साल का हो गया तब उसके पिता ने उसे असली दो बंदूक लाकर दी। साथ में उसे एक शूटिंग बोर्ड भी लाकर दिया। जिसपर वह खूब बंदूक बाजी की तैयारी करता। समय बिता और राजेंद्र बड़ा हो गया वह आर्मी कैंप में गया। ट्रेनिंग ली, उधर उसने अपना एक जिगरी दोस्त भी बनाया। राजेंद्र की ट्रेनिंग पूरी हुई और वह फौजी बन गया। वह अपने घोड़े पर चढ़कर जंग लड़ता, एक जंग में उसका घोड़ा मारा गया उसे बहुत दुख हुआ और दुख के कारण रात को नींद भी नहीं आई। अगले दिन एक और जंग थी। उस जंग में उसके जिगरी दोस्त के बंदूक की गोलियां खत्म हो गई। राजेंद्र के पास गोलियों का स्टॉक था। उसमें से उसने गोलियां दोस्त को दे दी। दोस्त बहुत खुश हुआ परंतु कुछ देर बाद राजेंद्र की गोलियां भी खत्म हो गई। वह किसी से गोलियां मांगता उससे पहले ही उसकी छाती में गोली लग गई। उसने वंदे मातरम बोला और वीरगति को प्राप्त हो गया। उसके दोस्त को बहुत दुख हुआ। परंतु राजेंद्र का नाम युगों युगों तक बना रहा।
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दोस्ती
अंकिता उम्र, 12- साल
एक लड़का अपने घोड़े के साथ जंगल में घूम रहा था। उसका घोड़ा बहुत शक्तिशाली और तेज था। लड़के को घोड़े से बहुत प्यार था। तभी एक शेर ने उन्हें देखा और गुर्राने लगा। घोड़ा बहादुरी से शहर की और दौड़ा और शेर भाग गया। लड़का खुश हुआ और घोड़े को गले लगाकर चिल्ला कर कहा वाह! तुम बहुत बहादुर हो, घोड़ा खुश हो गया और लड़के को अपनी दोस्ती का एहसास कराया। लड़का और घोड़ा आगे बड़े और उन्होंने जंगल के कई रोमांचक अनुभव की वे एक साथ खुशी से घूमते रहे और उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो गई।
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घोड़े और रॉकी का प्यार
रोमिका चौधरी, उम्र-7 साल
एक गांव में एक लड़का रहता था। उसका नाम रॉकी था। वह जानवरों से बहुत प्यार करता था। इसलिए उसने बहुत सारे पालतू जानवर पाल रखे थे। जिसमें उसका सबसे फेवरेट जानवर घोड़ा था। वह घोड़े को बहुत प्यार करता था। वह उसे रोज नहलाता, उसका ख्याल रखना और उसे चारा डालता। घोड़ा भी रॉकी को बहुत पसंद करने लगा था। इसलिए दोनों खूब मस्ती करते थे। एक दिन रॉकी ने घोड़े को तैयार किया और घूमने निकला। वह घोड़े को लेकर जंगल की तरफ निकला, साथ ही उसने जंगली जानवरों से बचाव के लिए बंदूक रखी। उन दोनों ने खूब मस्ती करते हुए जंगल में घूमें। शाम होते ही दोनों घर की ओर चल पड़े दोनों बहुत खुश थे।
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खिलौने की जिद करने लगता है देवांशी पारीक, उम्र-13 साल
वीनू अपने माता पिता व भाई बहन के साथ घूमने गया है। वहां घुड़सवारी करवाने के लिए कहता है। तो उसके माता पिता उसे घोड़े पर बैठा देते हैं। फिर उसे खिलौने दिखता है तो वह खिलौने की जिद करने लगता है। तो व सब खिलौने की दुकान पर जाते हैं वीनू एक खिलौने वाली बंदूक लेता है। उसकी बहन भाई भी अपने-अपने पसंद के खिलौने लेते हैं। फिर सब लोग बहुत मजे करते हैं और रात का खाना पीना खाकर अपने घर पर आ जाता है।
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लकड़ी का घोड़ा
मिष्ठी वर्मा, उम्र-9 साल
एक बार कि बात है। एक छोटे से गांव में एक छोटा सा लड़का रहता था। उसे खिलोनो से खेलना अच्छा लगता था। वह एक दिन अपने खिलौनो से खेल रहा था। तभी उसे एक विचार आया की क्यों ना मैं खुद अपने लिए एक लकड़ी का खिलौना बनाऊ। उसने पूरे दो दिन जी-जान से मेहनत कि और अपने लिए एक लकड़ी का घोड़ा बना ही लिया। उसके अगले दिन जब वह सो रहा था। तभी एक परी उसके कमरे में आई और उस लकड़ी के घोड़े को एक असली घोड़े में बदल दिया। जब वह सुबह उठा तो वह आश्चर्यचकित रह गया कि उसने तो सिर्फ एक लकड़ी का घोड़ा बनाया था पर वहां तो एक असली का घोड़ा था।
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बगीचे में अपने दोस्तों के साथ चोर पुलिस
दित्या कुमावत, उम्र-4 साल
कृष्णा को एक बार सपना आया कि वह घोड़े पर बैठकर हाथ में बंदूक लेकर बगीचे में अपने दोस्तों के साथ चोर पुलिस खेलने जा रहा था और फिर पुलिस बनकर खेलने लगा अचानक घोड़ा भी उनके बीच आकर भागने लगा और फिर कृष्णा और उसके दोस्त घोड़े को देख कर जोर जोर से हसने और चिल्लाने लगे। एक साथ जोर से गाने लगे दौड़ा दौड़ा दुम उठाकर दौड़ा फिर अचानक उसकी नींद खुल गई उसने अपनी मम्मी को यह सपना बताया और खुश हुआ।
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घुड़सवार छोटा वीर
अरुन कीर, उम्र-23 साल
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में चिंटू नाम का खुशमिजाज लड़का रहता था। चिंटू का सबसे अच्छा दोस्त था उसका प्यारा घोड़ा बादल। बादल बहुत तेज दौड़ता था और चिंटू हर सुबह उसके साथ सैर पर निकलता था। एक दिन गांव में खबर फैली कि जंगल के रास्ते में कई बच्चे रास्ता भटक जाते हैं। यह सुनकर चिंटू ने तय किया कि वह लोगों की मदद करेगा। वह अपनी पीली कमीज पहनकर, बैग टांगकर और बादल घोड़े पर सवार होकर निकल पड़ा। रास्ते में उसने देखा कि दो छोटे बच्चे रो रहे थे। चिंटू ने उन्हें प्यार से पूछा, “क्या हुआ? तुम लोग रो क्यों रहे हो?” बच्चों ने बताया कि वे जंगल में खेलते-खेलते रास्ता भूल गए। चिंटू ने मुस्कुराते हुए कहा “चिंता मत करो, मैं हूं ना! बादल रास्ता ढूंढ लेगा।” चिंटू ने बादल की लगाम पकड़ी और उन्हें सुरक्षित गांव तक पहुंचा दिया। बच्चों ने खुशी से तालियां बजाईं और बोला, “चिंटू भैया, आप तो सच्चे हीरो हो!” उस दिन के बाद से चिंटू को गांव में छोटा वीर कहा जाने लगा। वह रोज बादल के साथ लोगों की मदद करता और सबके चेहरे पर मुस्कान लाता था।
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छोटा वीर और उसका घोड़ा
अनुष्का माथुर, उम्र-7 साल
एक गांव में एक छोटा-सा प्यारा लड़का रहता था। उसका नाम था छोटा वीर।
वीर को अपने दोस्त, उसके नन्हे घोड़े बादल पर सवारी करना बहुत पसंद था। बादल भी उसे उतना ही प्यार करता था।
हर सुबह वीर बादल को सहलाता और कहता, “चल मेरे दोस्त, आज कुछ नया सीखेंगे” एक दिन दोनों जंगल की ओर निकले। रास्ते में उन्हें एक छोटी चिड़िया मिली, जिसका पंख घायल था। वह उड़ नहीं पा रही थी। वीर तुरंत घोड़े से उतरा और बोला “बादल हमें इसकी मदद करनी चाहिए।” बादल ने अपनी गर्दन हिलाकर हां की, मानो कह रहा हो "चलो मदद करते हैं।" वीर ने चिड़िया को धीरे से उठाया, उसे पानी पिलाया और अपने रूमाल से उसके पंख पर पट्टी बांध दी। कुछ देर बाद चिड़िया चहकने लगी। वीर ने उसे प्यार से हवा में छोड़ दिया। चिड़िया खुशी-खुशी उड़ गई। बादल खुशी से हिनहिनाया। वीर बोला “देखा बादल, जो दूसरों की मदद करता है, उसे दिल में सच्ची खुशी मिलती है” दोनों दोस्त मुस्कुराते हुए घर लौटे अपने काम पर गर्व करते हुए।
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छोटे वीर की अनोखी सवारीप
पूर्वांश कुमावत, उम्र-6 साल
क समय की बात है, हरी-भरी पहाड़ियों से घिरे एक छोटे से गांव में पुरवांश कुमावत नाम का एक नटखट और बहादुर लड़का रहता था। पुरवांश को रोमांचक यात्राएं बहुत पसंद थीं। उसके पास एक प्यारा-सा घोड़ा था जिसका नाम था बादल। क्योंकि वह दौड़ता तो ऐसा लगता जैसे हवा को चीरता हुआ बादलों की तरह उड़ रहा हो। एक दिन सुबह-सुबह पुरवांश ने अपनी पीली कमीज पहनी, अपना छोटा-सा बैग उठाया और बादल पर सवार होकर जंगल की ओर निकल पड़ा। उसके माथे पर टोपी थी और चेहरे पर मुस्कान। क्योंकि आज वह एक नया रास्ता खोजने वाला था। जंगल में पहुंचकर उसने देखा कि रास्ता दो भागों में बंट गया है। एक रास्ता चौड़ा और साफ था, जबकि दूसरा पतला और घुमावदार। पुरवांश ने सोचा,“जो रास्ता मुश्किल दिखे, वही असली साहस का रास्ता होगा!” वह बादल को लेकर पतले रास्ते पर आगे बढ़ गया। कुछ दूर जाने पर उसे एक धीमी-सी आवाज़ सुनाई दी। आगे जाकर देखा तो एक छोटा-सा खरगोश झाड़ी में फंसा हुआ था। पुरवांश तुरंत घोड़े से उतरा और उसे सावधानी से बाहर निकाला। खरगोश ने खुशी-खुशी उछलते हुए उसे धन्यवाद कहा और उसे एक संकरी गुफा तक ले गया। गुफा के अंदर एक छोटी-सी चमकती हुई झील थी। उसकी रोशनी दीवारों पर ऐसे पड़ रही थी जैसे हजारों जुगनू चमक रहे हों। पुरवांश ने पहले कभी इतनी सुंदर जगह नहीं देखी थी। उसने कुछ देर वहां बैठकर झील की चमक का आनंद लिया और फिर बादल पर सवार होकर वापस गांव लौट आया। गांव पहुंचते ही सबने पुरवांश की बहादुरी और दयालुता की खूब सराहना की। उस दिन पुरवांश ने सीखा कि नई राहें हमेशा नए अनुभव लाती हैं और यह भी कि दूसरों की मदद करना असली वीरता है। इसके बाद जहां भी पुरवांश और बादल जाते, गांव के बच्चे मुस्कुराते हुए कहते “देखो, आ गया हमारा छोटा वीर!”
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घोड़े के पीछे दौड़े पर घोड़े की रफ्तार ज्यादा थी
मयंक मेघवाल, उम्र-12 साल
दिन कि बात है। खड़क सिंह नामक एक डाकू रहता था। गांव में उसका नाम सुनकर सारे गांव वासी कांपने लगा जाते थे। उसके पास एक घोड़ा था, उसका नाम था वीर। पर उसको उसके घोड़े से ज्यादा एक व्यक्ति का घोड़ा बहुत ज्यादा पसंद था। उस व्यक्ति का नाम था बाबा भारती। उनके पास जो घोड़ा था उसका नाम था सुल्तान। एक दिन खड़क सिंह बाबा भारती के पास उनके घोड़े को देखने गया खड़क सिंह को बाबा भारती का घोड़ा बहुत पसंद आया और खड़क सिंह ने बाबा भारती के धीरे से कान में बोला कि यह घो़ड़ा में तुम्हारे पास ज्यादा दिन नहीं रहने दूंगा। इस कारण बाबा भारती दिन रात घोड़े की रखवाली में खड़े रहते थे। कुछ महीने बीत जाने के बाद बाबा भारती का भाई खत्म हो गया। एक दिन बाबा भारती आगे वाले गांव में जा रहे थे। उनको एक घायल व्यक्ति मिला वहां खड़क सिंह जाता है। उसने चादर ओढ़ के रखी थी। खड़क सिंह ने बोला कि मुझे आगे वाला गांव तक छोड़ दो। बाबा भारती को दया आ गई। बाबा भारती ने घोड़ा उन्हें दे दिया और बोला कि घोड़े को आगे वाला गांव में बांध के रखना, मैं चलकर आता हूं। फिर खड़क सिंह ने चादर फेंक दी और बाबा भारती को अपना चेहरा बता दिया। फिर खड़क सिंह घोड़ा लेकर भाग गया। बाबा भारती क्या करते बाबा भारती घोड़े के पीछे दौड़े पर घोड़े की रफ्तार ज्यादा थी। इसलिए बाबा भारती कुछ ना कर सके।
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मोबाइल की लत भी छूट गई
जीविधा दवे, उम्र 13- साल
6 साल का रुद्राक्ष दूसरे कई बच्चों की तरह मोबाइल की लत में पड़ गया था। उसकी मम्मी ने बहुत तरीके से यह लत छुड़वाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना। एक दिन उसकी दीदी ने उसे एक बहादुर सिपाही की कहानी सुनाई जिसमें वह सिपाही अपनी पसंद की सब चीज छोड़कर देश के लिए लड़ने जाता है। अब तो रुद्राक्ष के सिर पर सिपाही बनने की धुन सवार हो गई। उसने अपनी दीदी से एक बंदूक और एक घोड़ा लाने की बात कही। उसकी दीदी ने उसे बंदूक और घोड़ा लाकर दिया। अब तो रुद्राक्ष दिन भर सिपाही बनकर खेलने लगा और उसके मोबाइल की लत भी छूट गई।
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छोटा सवार
हर्षिता शर्मा, उम्र-12 साल
रोहन एक बहादुर और खुशमिजाज लड़का था। उसे अपने घोड़े चंदा के साथ घूमना बहुत पसंद था। हर दिन स्कूल से लौटकर वह चंदा को घास खिलाता और थोड़ी देर बाद उसे लेकर खेतों की तरफ निकल जाता। एक दिन रोहन ने देखा कि गांव के बाहर एक छोटा बच्चा रो रहा है। रोहन ने घोड़ा रोका और पूछा, “क्या हुआ?” बच्चे ने कहा कि उसकी पतंग पेड़ पर फंस गई है और वह उसे निकाल नहीं पा रहा। रोहन ने तुरंत चंदा को पेड़ के पास ले जाकर उस पर खड़ा होकर पतंग को नीचे उतार दिया। बच्चा खुशी से उछल पड़ा और बोला, “धन्यवाद भैया!” रोहन मुस्कुराया और चंदा की गर्दन थपथपाते हुए बोला, “जब दोस्त साथ हों, कोई भी काम मुश्किल नहीं।” उस दिन रोहन और चंदा दोनों अपने-अपने छोटे हीरो बन गए।
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आज घोड़े का दिन था!
आदित्य प्रजापति, उम्र-10 साल
आज गांव में एक छोटा सा उत्सव था। पास के मैदान में घुड़सवारी की छोटी-सी प्रतियोगिता रखी गई थी। आरव, जो सिर्फ 13 साल का था, बहुत खुश था क्योंकि आज वह पहली बार अपने घोड़े शेरू पर बैठकर सबको दिखाने वाला था कि वह कितना अच्छा सवार है। सुबह-सुबह आरव ने शेरू को नहलाया, उसकी पीठ पर रंगीन कंबल लगाया और प्यार से बोला,“शेरू! आज सिर्फ मेरा नहीं, तुम्हारा भी दिन है।” जैसे ही प्रतियोगिता शुरू हुई, लोग ताली बजाने लगे। आरव शेरू पर बैठा और दोनों मैदान में दौड़ पड़े। हवा तेजी से चल रही थी, घास के ऊपर शेरू के कदमों की आवाज इतनी प्यारी लग रही थी जैसे कोई संगीत बज रहा हो। रास्ते में एक छोटा सा बच्चा गिर गया। आरव ने तुरंत शेरू को रोका, बच्चे को उठाया और कहा, “पहले इंसानियत, फिर जीत। लोगों ने उसकी इस बात की खूब तारीफ की। फिर आरव ने शेरू को हल्का-सा इशारा किया और दोनों ने दौड़ शुरू कर दी। अंत में आरव पहला पुरस्कार जीत गया, लेकिन उसने ट्रॉफी शेरू के पास रखते हुए कह “यह जीत हम दोनों की है।” आरव और शेरू दोनों खुश थे, क्योंकि आज सचमुच घोड़े का दिन था।
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जादुई घोड़े वाला वीर छोटा
रक्षा मोसतारा, उम्र-12 साल
उम्मीद नगर का बहादुर बच्चा छोटा (पीली शर्ट नीली प्तलून) अपने जादुई दोस्त बादल पर स्वार था। बादल के माथे पर एक चमकता हुआ सिंग था जो उसकी विशेष शक्ति थी। छोटा अपनी पीठ पर लकड़ी की एक छोटी रायफल तंगकर रोजाना हरे मेदानो मे निगरानी करता था। एक दिन छोटा को पता चला की पास के गांव को एक काला जादूगर परेशान कर रहा है बिना समय गंवाये छोटा और बादल उस गांव की तरफ तेजी से भागे छोटा ने डरने के बजाय मुस्कुरा कर जादूगर को ललकार बादल के सिंग से अचानक एक शक्ति शाली रोशनी निकली जिसने जादूगर के अन्धेर को तोड़ दिया और उसे भागने पर मजबूर कर दिया। छोटा ने अपने साहस और जादुई दोस्त की मदद से गांव को बचा लिया वह सबको सिखा गया की सचे वीर बनने के लिए उम्र नहीं बल्कि हिम्मत जरूरी होती हैं।
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चिराग के पास एक घोड़ा था
पलक योगा, उम्र-10 साल
दो सच्चे दोस्त थे। दोनों एक साथ खेलते थे। चिराग के पास एक घोड़ा था जिसका नाम बादल था। वे दोनों हर दिन साथ घूमने जाते थे। एक दिन दोनों घूमने निकले। थोड़ी दूर जाने पर बादल को प्यास लगी, तो वह पास की नदी पर पानी पीने चला गया। चिराग अकेले थोड़ा आगे बढ़ा, लेकिन चलते-चलते वह गिर गया और उसके पैर में मोच आ गई। यह देखकर बादल तुरंत उसके पास आया। उसने चिराग को अपनी पीठ पर बैठाया और उसे घर ले आया। घर पहुंचकर बादल ने चिराग का बहुत ख्याल रखा। उसकी देखभाल से चिराग का पैर ठीक हो गया। जब चिराग ठीक हुआ, तो दोनों फिर से पार्क में जाकर खेलने लगे। दोनों की दोस्ती और भी गहरी हो गई।
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पीताम्बरी घोड़े पर तानू हुआ सवार
दृष्टि कुमावत, उम्र-12 साल
पीली-नीली पहन कर वर्दी, पीताम्बरी घोड़े पर तानू हुआ सवार। बगल में दोनाली बंदूक लगाकर, हंसता-खिलता मित्र- मण्डली में पहुंचा। मित्रों ने हंसकर पूछा, वीर वेश में कहां चले तानू भाई। आज देश ने हमें पुकारा, सेवा को ललकारा है। सरहद पर जाता हूं यारों, आतंकवादी-पाक परस्तों को, धूल चटाकर आऊंगा। वंदे मातरम् का नाम बुलंद कर, हमारा भारत महान बनाऊंगा।
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एक नई उम्मीद
पंकज चौधरी, उम्र-9 साल
यह कहानी एक लड़के की है जिसका नाम अमित है। उसे घोड़े की सवारी बहुत पसंद है। वह घोड़े की सवारी करना चाहता है। यह उसका एक सपना बन गया है, वह उसके बारे में सोचता रहता है। एक दिन जब अमित सो रहा था। तो उसने एक सपना देखा सपने में अमित घोड़े की सवारी कर रहा था और सब उसे देख रहे तालियां बजा रहे थे। अमित भी बहुत खुश था। उसके मम्मी पापा उसकी फोटो ले रहे थे। वो भी बहुत खुश थे, फिर अमित की मम्मी उसे उठती है कि उठो अमित तुम्हारा स्कूल का समय हो रहा है। तब अमित उठा और उसको एक नई उम्मीद मिली कि उसका यह सपना जरूर बहुत जल्दी ही पूरा होगा। क्योंकि उसकी मम्मी बोलती है कि जो सपने सुबह के समय आते है वे जरूर सच होते हैं। फिर अमित बहुत खुश हुआ और मजे से स्कूल गया।
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नन्हा रक्षक और उसका घोड़ा तूफान
प्रतिभा खोरवाल, उम्र-12 साल
सुंदरपुर नाम के एक छोटे और हरे-भरे गांव में रोहन नाम का एक साहसी लड़का रहता था। रोहन की उम्र भले ही कम थी, लेकिन उसके हौसले बहुत बड़े थे। उसे घर में बैठने से ज्यादा बाहर खेतों में घूमना और नई जगहों को खोजना पसंद था। रोहन का सबसे पक्का यार उसका घोड़ा था। जिसका नाम उसने 'तूफान' रखा था। जैसा उसका नाम था, वह हवा से बातें करता था और दौड़ने में बहुत तेज था। रोहन को एक सिपाही या रक्षक की तरह तैयार होने का बहुत शौक था। वह अक्सर अपनी पीली शर्ट पहनता, सिर पर एक स्टाइलिश भूरे रंग की टोपी लगाता और अपनी पीठ पर एक बंदूक टांग लेता था। यह बंदूक उसे आत्मविश्वास देती थी कि वह अपने खेतों की रखवाली किसी भी जंगली जानवर से कर सकता है। एक सुहावनी सुबह, रोहन ने तय किया कि वह गांव के बाहरी हिस्से में गश्त लगाएगा। वह तूफान की पीठ पर सवार हुआ और दोनों निकल पड़े। हरी-भरी घास पर तूफान के दौड़ने की 'टप-टप' आवाज संगीत की तरह लग रही थी। रोहन के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी, जो बता रही थी कि उसे घुड़सवारी में कितना आनंद आता है। वे दोनों खेतों के बीच से गुजरे, जहां ठंडी हवा चल रही थी। रोहन का मानना था कि एक दिन वह बड़ा होकर देश का एक बहादुर सिपाही बनेगा। फिलहाल, वह अपने गांव का नन्हा रक्षक था। गांव वाले भी जब इस छोटे बच्चे को इतनी शान से घोड़े पर बैठा देखते, तो वे उसकी बहादुरी की तारीफ करते नहीं थकते थे।
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अर्जुन द छोटा हीरो
देवांशु यादव, उम्र-13 साल
यह चित्र एक छोटे से बहादुर लड़के अर्जुन की कहानी बताता है। अर्जुन को बचपन से ही घुड़सवारी का बहुत शौक था। हर सुबह वह अपने प्यारे घोड़े “बादल” पर सवार होकर खेतों और बगीचों के पास घूमने जाता था। बादल बहुत तेज और समझदार था। रास्ते में अर्जुन और बादल हवा की ठंडी सरसराहट का मजा लेते और खुले मैदान में दौड़ लगाते। एक दिन अर्जुन ने देखा कि जंगल के पास एक छोटी पगडंडी टूटी हुई है। उसने सोचा कि गांव के लोगों को रास्ता ठीक कराने की जरूरत है। वह तुरंत बादल को तेज दौड़ाते हुए गांव पहुंचा और सबको यह बात बताई। गांव वालों ने उसकी हिम्मत और समझदारी की सराहना की। अर्जुन खुश था, क्योंकि उसने अपने गांव की मदद की थी। तभी से वह सबका छोटा हीरो बन गया।
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चीकू और उसका प्यारा घोडा यूनिकॉर्न
श्रेयांश भाटी, उम्र-7 साल
एक छोटे से गांव में चारों ओर हरियाली थी। जहां चीकू नाम का एक लड़का रहता था। चीकू के पास एक बहुत ही सुंदर घोड़ा था। जिसके माथे पर एक छोटा-सा सींग था। गांव वाले उसे यूनिकॉर्न कहते थे, हालांकि वह पूरी तरह से एक आम घोड़े जैसा दिखता था। चीकू को घुड़सवारी का बहुत शौक था और वह अक्सर अपनी पीठ पर अपनी लकड़ी की बंदूक लेकर यूनिकॉर्न्स पर सवार होकर जंगल घूमने निकल जाता था। उसका सपना एक बहादुर योद्धा बनने का था जो गांव की रक्षा कर सक। एक धूप वाले दिन चीकू अपने घोड़े पर सवार होकर जंगल के अंदर एक छिपे हुए झरने की तलाश में निकला। रास्ते में चीकू को बहुत मुसिबत का सामना करना पडा। यूनिकॉर्न्स ने अपनी जादुई शक्ति का उपयोग करके उसे खतरों से बचाया। इस यात्रा ने चीकू को सिखाया कि सच्ची ताकत बंदूक में नहीं, बल्कि दोस्ती और बुद्धिमानी में होती है। वह और उसका जादुई घोड़ा सबसे अच्छे दोस्त बन गए और हमेशा गांव की मदद करने के लिए तैयार रहते थे।
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वह दोनों एक साथ खुश रहते थे
हिमानी खत्री, उम्र-10 साल
एक लड़का था जिसका नाम रिंकू था। उसके पास एक घोड़ा था। उसने अपने घोड़े का नाम पिंकू रखा वह दोनों बहुत अच्छे मित्र थे।दोनों को सैर करना बहुत अच्छा लगता था। दोनों एक साथ खाते, खेलते, सोते और घूमते वह दोनों एक साथ एक घर में रहते थे। उनके घर में दोनों की तस्वीर लगी थी। वह दोनों अपने बगीचे में जाते और ताजा फल तोड़ कर खाते थे। वह दोनों एक साथ खुश रहते थे। वह इतने अच्छे मित्र थे, कि वह आपस में कभी भी नहीं झगड़ते थे और उन दोनों को घूमना बहुत पसंद था। वह बगीचे में पिंकू के ऊपर बैठकर घूमने जाता और दोनों वहां खूब खेलते और मस्ती करते थे।
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घोड़ी की सवारी बहुत निराली
हनी सोनी, उम्र-10 साल
घोड़ी की सवारी बहुत निराली घास के हरे हरे मैदान में घोड़ी की सवारी का मजा लिया साथ में हम फौजी भी बने पुलिस भी बने पुलिस की ड्रेस में हम पूरे गांव में घुमे और खेतों में घुमे। घोड़ी की सवारी का आनंद लिया, बहुत ही अच्छा आनंद था। हम पढ़ते हैं घोड़ा आया घोड़ा आया, अपने साथ खुशियां लाया रंगबिरंगी मौसम लाया ,घोड़े की पैर में लगी नाल की आवाज से एक बहुत ही अच्छा बाजा सा बजता गया। हम घूमते रहे। हम घुमने गए पूरे गांव शहर का चक्कर लगाया।
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राजा का शरारती बेटा
आराध्या, उम्र-10 साल
एक बार की बात है। एक राजा था। उसके पास एक घोड़ा था। वह घोड़ा राजा को बहुत पसंद था। राजा का एक शरारती बेटा था। एक दिन वह राजा के पसंदीदा घोड़े के साथ महल से बाहर निकल गया। वह महल से बहुत दूर निकल गया। वह एक जंगल में पहुंचा। वहां उसे राजा का एक सैनिक मिला। वह उसे राजा के पास ले गया और राजा ने बिना पूछे घोड़ा जंगल में ले जाने के लिए अपने पुत्र को डांटा फिर सभी हंसने लगे।
Published on:
17 Dec 2025 01:33 pm
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