17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोहरे का सितम… दिसंबर के अंतिम पखवाड़े में अल सुबह की ड्राइव यानी हाई रिस्क एक्टिविटी

दो दिन पहले एक स्कूली बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मरुस्थलीय जिले में दिसंबर के अंतिम पखवाड़े में सुबह का समय सडक़ यात्राओं के लिए जोखिमपूर्ण बन चुका है।

3 min read
Google source verification

दो दिन पहले एक स्कूली बस के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मरुस्थलीय जिले में दिसंबर के अंतिम पखवाड़े में सुबह का समय सडक़ यात्राओं के लिए जोखिमपूर्ण बन चुका है। सर्द रातें और सर्द सुबह के समय घने कोहरे से दृश्यता केवल 20 से 30 मीटर तक सीमित हो जाती है। वाहन चालकों के लिए सडक़ पर स्थिति भांपना कठिन हो जाता है, और छोटी सी लापरवाही भी गंभीर दुर्घटना में बदलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दिसंबर का अंतिम पखवाड़ा टूरिज्म पीक के साथ मेल खाता है। बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में बसें, टैक्सी, निजी वाहन और स्थानीय यातायात सडक़ों पर उतरते हैं। जैसलमेर-पोकरण राष्ट्रीय राजमार्ग, सम मार्ग और जैसलमेर-बाड़मेर सीमा सडक़ इस समय सबसे संवेदनशील मार्ग बन चुके हैं। लंबा और सीधा मार्ग, ओवरटेक प्रयास और भारी वाहनों की आवाजाही जोखिम को कई गुना बढ़ा देती है। इसी तरह जैसलमेर से रामर्ग व तनोट मार्ग पर भी वाहन चलाते समय सावधानी बरतना जरूरी है।

हकीकत: दुर्घटनों का मुख्य कारण तकनीकी कमी व मानवीय त्रुटी

सडक़ सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार कोहरे में दुर्घटनाओं के पीछे तकनीकी कमी और मानवीय त्रुटि दोनों जिम्मेदार हैं। हाई बीम लाइट का लगातार उपयोग सामने आने वाले चालक की आंखों को प्रभावित करता है। फॉग लाइट का सही इस्तेमाल नहीं होना, रिफ्लेक्टिव मार्किंग की कमी और हेलमेट-सीट बेल्ट का अभाव दुर्घटना की गंभीरता बढ़ाते हैं। ग्रामीण मार्गों पर मोड़, पुलिया और स्पीड ब्रेकर बिना पर्याप्त चेतावनी खतरनाक बन चुके हैं।

फैक्ट फाइल-

-4 मुख्य मार्गोंे पर जैसलमेर से आवाजाही के दौरान सर्वाधिक सावधानी की जरूरत

-100 से अधिक हादसे हो चुके हंैं उक्त मार्गों में विगत 5 वर्षों में

-2 लाख से अधिक पर्यटकों के आने की उम्मीद आगामी वर्षों में

-24 तारीख से दिसंबर महीने के अंतिम दिन तक सर्वाधिक सावधानी की जरूरत 7

एक्सपर्ट व्यू: सर्द मौसम में वाहनों की तेज रफ्तार बढ़ाती है दुर्घटना की जोखिम

जिला पर्यटन अधिकारी टीआर पूनड़ का कहना है कि सर्दी के मौसम में कोहरे, अत्यधिक ट्रैफिक और तेज रफ्तार वाहन दुर्घटना जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं। जिम्मेदारीपूर्वक ड्राइविंग, सतर्कता, लो बीम लाइट और वाहन दूरी बनाए रखना सबसे प्रभावी सुरक्षा उपाय हैं।

सर्द मौसम में अल सुबह अनावश्यक यात्रा टालें और गति नियंत्रित रखें, वाहन दूरी बनाए रखें और लो बीम पर ड्राइव करें। दुपहिया वाहन हेलमेट जरूर पहनें। होटल, ट्रैवल एजेंसी और परिवहन प्रतिष्ठान बाहरी चालकों को कोहरे में सुरक्षित ड्राइविंग के बारे में जानकारी देंने की जरूरत है। सतर्कता ही इस मौसम में जीवन रक्षा का सबसे प्रभावी उपाय है।

यहां सडक़ों पर जोखिम, चुनौतियां भी

  • एक्सीडेंट कॉरिडोर: जैसलमेर से जोधपुर, सम, तनोट और बाड़मेर जाने वाले मार्ग कोहरे में दुर्घटनाओं के लिए संवेदनशील बन गए।
  • तेज रफ्तार और हाई बीम: वाहन चालक अक्सर हाई बीम का इस्तेमाल करते हैं, जो दृश्यता घटाता है।

-रिफ्लेक्टर और संकेतों की कमी: सडक़ किनारे रिफ्लेक्टिव मार्किंग और चेतावनी संकेत नहीं होने से टकराव बढ़ते हैं।

  • टूरिज्म दबाव: पीक सीजन में वाहनों की संख्या बढऩे से सडक़ सुरक्षा पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

सर्द सुबह-शाम..यूं करें सफर

-कोहरे में गति 30-40 किमी/घंटा से अधिक न रखें।

  • लो बीम और फॉग लाइट का सही उपयोग करें।
  • वाहन दूरी कम से कम 3-4 सेकंड बनाए रखें।
  • ओवरटेक या अचानक ब्रेक से बचें।
  • रिफ्लेक्टिव जैकेट और हेलमेट पहनें।
  • आपात स्थिति में वाहन सडक़ किनारे रोकें और हैजडऱ् लाइट ऑन करें।

यहां से गुजरना हो रहें सावधान…

-जैसलमेर- पोकरण मार्ग: लाठी और चाचा गांव मार्ग पर सुबह और कोहरे में विशेष सावधानी जरूरी।

-जैसलमेर-बाड़मेर हाईवे: रात में रिफ्लेक्टर और संकेतों की कमी, दिन में यात्रा सुरक्षित।

जैसलमेर-सम मार्ग: पर्यटकों के लिए लोकप्रिय, सुबह जल्दी या देर रात यात्रा से बचें।

जैसलमेर-जोधपुर मार्ग: ट्रक और बस की आवाजाही अधिक, लो बीम और वाहन दूरी प्राथमिकता।