सामाजिक स्तर भी हो रहा विरोध
दलबदल करने वाले नेताओं का सामाजिक स्तर पर भी अंदर ही अंदर विरोध हो रहा है। साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों से भी उनसे दूरी बनाने लगे हैं। सामाजिक के प्रमुख लोगों द्वारा स्पष्ट हिदायत दी जा रही है, जब जिस पार्टी ने मान-सम्मान और पद दिया था, तब बड़े रुतबे से पार्टी का गुणगान गाते थे। अब उसी पार्टी को खराब बताया जा रहा है। ऐसे दलबदल करने वाले नेताओं को समाज से दूरी ही बनाएं रखें तो अच्छा होगा। जो व्यक्ति मान-सम्मान देने वाली पार्टी का नहीं हो सका, वो समाज का क्या होगा। वहीं कुछ ऐसे नेताओं का भी सामाजिक स्तर पर विरोध किया जा रहा है, जिन्होंने पार्टी में रहने के बावजूद समाज के लोगों के लिए कुछ नहीं किया।
प्रचार के दौरान पुरानी पार्टी के लग जा रहे नारे
जिन नेताओं ने दलबदल करने के बाद जिस पार्टी में शामिल हुए हैं, उनके प्रत्याशी के प्रचार के दौरान उनके समर्थकों द्वारा कई बार पुरानी पार्टी के जिंदाबाद के नारे भी लगा दिए जा रहे हैं। क्योंकि पिछले कई सालों से एक ही पार्टी जिंदाबाद के नारे लगाते आ रहे थे, ऐसे में प्रचार के दौरान उसी पार्टी के नारे ही मुंह से निकल जा रहे हैं। ऐसे में दलबदल कर प्रचार करने वाले नेताओं को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है।