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‘मेडिकल पेशा अनुभव पर आधारित, ऑनलाइन कक्षा कोई विकल्प नहीं’

आंध्र प्रदेश हाईकोर्टः विदेशी मेडिकल स्नातकों की याचिका खारिज अमरावती. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि चिकित्सा पेशे में व्यावहारिक ज्ञान और नैदानिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, क्योंकि एक नियमित चिकित्सा पाठ्यक्रम में कौशल प्रशिक्षण, मानव शरीर रचना और रोगी के बीच बातचीत को समझने के लिए प्रयोगशालाओं में विच्छेदन, केस स्टडी और […]

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जयपुर

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Nitin Kumar

May 08, 2025

medical students

आंध्र प्रदेश हाईकोर्टः विदेशी मेडिकल स्नातकों की याचिका खारिज

अमरावती. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि चिकित्सा पेशे में व्यावहारिक ज्ञान और नैदानिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, क्योंकि एक नियमित चिकित्सा पाठ्यक्रम में कौशल प्रशिक्षण, मानव शरीर रचना और रोगी के बीच बातचीत को समझने के लिए प्रयोगशालाओं में विच्छेदन, केस स्टडी और समस्या समाधान अभ्यास जैसे टीम आधारित शिक्षण शामिल होता है, और यह सब ऑनलाइन कक्षाओं द्वारा प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने यह बात उस रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान कही, जिसमें आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल की उन याचिकाकर्ताओं को स्थायी पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी न करने की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी जिन्होंने विदेशी विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस में स्नातक किया था और जिन्हें दो या तीन साल की अवधि के लिए अनिवार्य रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप (सीआरएमआइ) पूरी करने को कहा गया था।

याचिकाकर्ता विदेशी मेडिकल स्नातकों ने स्थायी पंजीकरण प्रमाणपत्र देने की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने विदेश से ऑफलाइन एमबीबीएस किया है, एनईईटी के माध्यम से प्रवेश लिया था और एफएमजीई परीक्षा पास कर ली थी। इसके बाद एक वर्ष की इंटर्नशिप भी पूरी की थी। इसके बावजूद आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने स्थायी पंजीकरण से इनकार कर दिया।

जस्टिस किरणमयी मंडावा की एकल पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि एनाटॉमी की लैब में डिसेक्शन, मरीजों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क और केस स्टडी जैसे व्यावहारिक अभ्यास मेडिकल शिक्षा का मूल हिस्सा हैं। केंद्र सरकार और नेशनल मेडिकल कमीशन के सर्कुलरों को उद्धृत करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन छात्रों ने किसी भी अवधि की पढ़ाई ऑनलाइन की है, उन्हें सीआरएमआइ करनी होगी।