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पंचक्रोशी यात्री आना शुरू, नागचंद्रेश्वर से बल लेकर आज से ही शुरू कर देंगे पदयात्रा

प्रदक्षिणा, उपासना और आराधना की पंचक्रोशी यात्रा का 3 से होगा श्रीगणेश उज्जैन. पुरातन काल से ही अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इंसान द्वारा तरह-तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता रहा है। इसका मकसद ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्त करने के साथ पुण्य अर्जित करना है। यह सिलसिला आज भी पंचक्रोशी यात्रा के […]

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प्रदक्षिणा, उपासना और आराधना की पंचक्रोशी यात्रा का 3 से होगा श्रीगणेश

उज्जैन. पुरातन काल से ही अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इंसान द्वारा तरह-तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता रहा है। इसका मकसद ईश्वर के प्रति आस्था व्यक्त करने के साथ पुण्य अर्जित करना है। यह सिलसिला आज भी पंचक्रोशी यात्रा के रूप में जारी है। प्रशासन ने इस यात्रा को शुरू करने की तारीख 3 मई निर्धारित की है, लेकिन हर वर्ष की तरह दो दिन पहले यानी मंगलवार से ही पंचक्रोशी यात्री आना शुरू हो गए हैं। कुछ यात्री एक और दो मई से ही यात्रा शुरू कर देंगे। इसके लिए प्रशासन तैयारी में जुटा है।
वयोवृद्ध ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास का कहना है इस ११८ किमी लंबी यात्रा में शामिल होने से निहित स्वार्थ, दुराग्रह, पूर्वाग्रह, कटुता, वैमनस्यता तथा मोहमाया के सारे बंधन पीछे छूटे जाते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा शहर की चारों दिशाओं के दिग्पाल, क्षेत्रपाल, पूरे नगर की प्रदक्षिणा, उपासना और आराधना की जाती है। इस तरह नगर के सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा हो जाती है। यह यात्रा सभी त्योहार और पर्वों से बड़ी है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि पूरे जीवन काल में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तथा पुण्यकारी काम वैशाख मास में पांच दिन का अवंतीवास है। प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन की पंचक्रोशी यात्रा को दिव्यशक्तियों के निकट ले जाने वाला माना जाता है।

नागचंद्रेश्वर से बल लेकर शुरू होगी यात्रा
पंचक्रोशी यात्रा पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर से आरंभ होती है। यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर को श्रीफल अर्पित कर उनसे बल प्राप्त करते हैं, ताकि उनकी यात्रा निर्विघ्न पूर्ण हो। अमावस्या पर यात्रा संपन्न होने के बाद यात्री भगवान को मिट्टी के अश्व (घोड़े) अर्पित कर बल लौटाने के बाद गंतव्य की ओर रवाना होते हैं।

चार द्वारपालों के दर्शन
पं. व्यास ने बताया उज्जयिनी के चारों द्वार पर चार द्वारपाल स्थापित हैं। शिवङ्क्षलग रूप में विराजित ङ्क्षपग्लेश्वर, दुर्दुदेश्वर, कायावरुणेश्वर तथा बिलकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान का अभिषेक पूजन किया जाता है। वैशाख मास शिव की आराधना व जलाभिषेक विशेष माना गया है।

कल से करना होगी ये व्यवस्था
पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों को पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर से लेकर प्रत्येक पड़ाव स्थल पर टेंट, लाइट, शामियाने, पेयजल, शौचालय एवं सफाई व्यवस्था 1 मई से ही करना होगी। हालांकि गांवों में सरपंच व ग्राम सचिवों द्वारा व्यवस्था जुटाई जाती है। सुरक्षा के लिए पुलिस बल व्यापक रूप से तैनात रहता है।
ङ्क्षपगलेश्वर पड़ाव स्थल पर यात्रा सबसे पहले पहुंचती है। यहां पीएचई को पानी के टैंकरों की व्यवस्था करना होगी।
सीईओ व जनपद पंचायत के माध्यम से समस्त पड़ाव स्थलों पर टेन्ट लगाए जाएं।
विभिन्न पड़ाव और उप पड़ाव स्थलों पर अस्थाई शौचालयों की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था रखें।
एम्बुलेंस और मेडिकल टीम की तैनाती होना चाहिए।
त्रिवेणी शनि मन्दिर परिसर व घाट पर बैरिकेङ् फव्वारे लगाए जाने चाहिए।

तपती धूप में यात्रा
वर्षों से पंचक्रोशी यात्रा में साथ चलने वाले महेंद्र कटियार ने कहा कि तपती धूप में लोग यात्रा करते हैं। वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या तक 118 किमी की लंबी पंचक्रोशी यात्रा का आयोजन किया जाता है। कुछ लोग तो अभी से आ गए हैं।