
Protest against bauxite mining in the city
कटनी. शहर का ऑक्सीजन टैंक कहे जाने वाले जागृति पार्क के पीछे स्थित कई एकड़ सरकारी भूमि पर इन दिनों तेजी से बॉक्साइड व लैक्टराइट उत्खनन कार्य चल रहा है। यह वही इलाका है, जहां लंबे समय से स्थानीय नागरिक अपनी स्वैच्छिक भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के प्रयास किए हैं और लगभग 80 एकड़ से अधिक हिस्से में पौधे लगाकर तैयार किए हैं। बुधवार को जब पार्क में नियमित रूप से आने वाले नागरिकों को उत्खनन की जानकारी मिली, तो वे मौके पर पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित करते हुए इसे खनन कारोबारी की मनमानी और संसाधनों की लूट करार दिया।
प्रदर्शनकारियों ने मांग रखी कि उत्खनन कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। पर्यावरणीय स्वीकृति की जांच की जाए। मनमानी करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। नागरिकों ने सवाल उठाया कि क्या इस कार्य से पहले पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन कराया गया था और संबंधित विभागों से स्वीकृति ली गई है तो शहर हित को ध्यान में क्यों नहीं रखा गया। इस तरह से बीच शहर यह कार्य न केवल अवैध है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी गंभीर खतरा है।
प्रदर्शन कर रहे नागरिकों ने इस पूरे प्रकरण को लेकर कटनी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने की तैयारी की है। साथ ही वे स्थानीय विधायक और सांसद से भी इस मुद्दे पर दखल देने की अपील करेंगे। नागरिक संगठनों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने शीघ्र और ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले दिनों में इसे लेकर बड़े स्तर का जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। कांग्रेस शहर अध्यक्ष अमित शुक्ला, पार्षद मौसूफ अहमद ने भी कई लोगों के साथ खदान में पहुंचकर विरोध दर्ज कराया है व प्रशासन से कार्रवाई करने मांग की है। अमित शुक्ला ने कहा कि जागृति पार्क शहर का हृदय स्थल है। यहां हजारों लोग वॉकिंग करते हैं। खनिज विभाग व प्रशासन ने यह अनुमति गलत दी है। न्यायालय के नियम अनुसार शहर के अंदर खदान नहीं हो सकती। मौसूफ अहमद ने कहा कि इस खनन से पार्क को नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही लोगों के स्वास्थ्य के साथ दुर्घटना की आशंका है। स्थानीय प्रशासन तत्काल खनन पर रोक लगाए।
जागृति पार्क को कटनी शहर का ऑक्सीजन टैंक और हरित फेफड़ा कहा जाता है। यह केवल एक पार्क नहीं, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक और सुरक्षित स्थान भी है। यहां वर्षों से स्थानीय नागरिक और सामाजिक संगठन मिलकर वृक्षारोपण, पक्षी संरक्षण, स्वच्छता अभियान जैसी गतिविधियां संचालित करते आ रहे हैं। साइंस पार्क, तितली पार्क, ऊंचा तिरंगा, पाथ-वे आदि बना है। नागरिकों का कहना है कि इस तरह का उत्खनन न केवल पार्क की सुंदरता और प्राकृतिक संतुलन को नष्ट करेगा, बल्कि शहर की हवा और जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करेगा।
बॉक्साइड और लैटराइट की खदान शुरू होते ही विरोध शुरू हो गया है। जागृति पार्क पहुंचने लोग इसे मनमाना खनन बता रहे हैं। मंगलवार को भी लोगों ने विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह शहर का एक मात्र ऑक्सीजन टैंक है। इसके समीप व बीच शहर खनन नहीं होने दिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार इस्माइल एंड संस की बॉक्साइड और लैटराइट की खदान 2015 से खरान बंद थी। एक साल पहले खदान को चालू करने के लिए प्रक्रिया शुरू कराई गई। 31 अक्टूबर तक के लिए लीज बढ़ाई गई है। पर्यावरणीय स्वीकृति न होने के कारण व खदान रिन्युअल की प्रक्रिया में भी समय लगा। 50 साल के लिए लीज पर ही खदान दी गई है, जिसकी समयवधि 31 अक्टूबर को खत्म हो जाएगी।
बताया जा रहा है कि बॉक्साइड और लैटराइट की खदान की आड़ में अवैध कारोबार चल रहा है। कुछ माफिया रात में दूसरी खदान से बॉक्साइड और लैटराइट निकालकर बेच रहे हैं। बंद पड़ी खदान से भी खनिज निकालने का प्रयास चल रहा है।
वर्जन
2015 से बंद पड़ी खदान को नियमों के अनुसार स्वीकृति दी गई है। खदान की लीज भी समाप्त होने वाली है। 31 अक्टूबर तक ही कंपनी इस्माइल एंड संस बॉक्साइड और लैटराइट का खनन करेगी। लोग बेवजह विरोध कर रहे हैं। बॉक्साइड और लैटराइट के परिवहन में नो-एंट्री नियमों का पालन करना होगा। तय मानकों के अनुसार ही खनन हो यह व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी। अवैध खनन न हो, इसकी जांच होगी।
रत्नेश दीक्षित, उप संचालक खनिज।
Published on:
12 Sept 2025 09:04 pm
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