
होता है।
मंदिर के खुलने और बंद होने का समय
मंदिर में सुबह आठ बजे से साढ़े दस बजे तक आम लोगों को दर्शन होते हैं। इसके बाद मंदिर शाम को आठ बजे दोबारा खुलता है। रात को साढ़े दस बजे राजा शयन के लिए चले जाते हैं। मंदिर में दो बार आरती होती है एक प्रातःकालीन में और दूसरी सांयकालीन आरती। आरती के समय यहां का नज़ारा बहुत ही मनमोहक होता है।
यहां मंदिर से पहले बना था महल
मान्यताओं के अनुसार यहां पहले महल बनाया गया था, जिसमें मूर्ति को पहले ही स्थापित कर दिया गया था। इसके बाद जब मंदिर बना तब वहां से मूर्ति हटाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन सभी लोग इसमें असफल रहे। इस कारण से महल को मंदिर के रुप में बना दिया गया और मंदिर का नाम राजा राम मंदिर रख दिया गाया। स्थानिय लोगों के अनुसार कहा जाता है की यहां राम जी रोज अयोध्या से अदृश्य रूप में आते हैं।
मंदिर में वर्जित है ये चीज़ें
इसलिए कोई भी व्यक्ति बेल्ट पहनकर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता। इसके साथ ही मंदिर परिसर में फोटोग्राफी भी निषेध है। मंदिर का प्रबंधन मध्य प्रदेश शासन के हवाले है। पर लोकतांत्रिक सरकार भी ओरछा में राजाराम की हूकुमत को सलाम करती है। यहां पर लोग राजा राम के डर से रिश्वत नहीं लेते और भ्रष्टाचार करने से डरते हैं।
ये है मंदिर की मान्यता
मान्यताओं के अनुसार ओरछा की महारानी राजाराम के बाल रूप को अयोध्या से पैदल लेकर आईं थीं। रानी का नाम गणेशकुंवर था और राजा का नाम मधुरकशाह। रानी रामभक्त थीं। यज्ञ के बाद दक्षिणा में दे दिए पुराने 1,000 व 500 के नोट, पंडितों ने मचाया बवाल एक बार वह अयोध्या की तीर्थयात्रा पर गईं और वहां सरयू नदी के किनारे लक्ष्मण किले के पास अपनी कुटी बनाकर साधना शुरू की। इन्हीं दिनों संत शिरोमणि तुलसीदास भी अयोध्या में साधनारत थे। संत से आशीर्वाद पाकर रानी की आराधना और दृढ़ होती गईं, लेकिन रानी को कई महीनों तक राजा राम के दर्शन नहीं हुए। निराश होकर रानी अपने प्राण त्यागने सरयू की मझधार में कूद पड़ी। यहीं जल की अतल गहराइयों में उन्हें राजा राम के दर्शन हुए। रानी ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया और इस तरह प्रभु श्रीराम ओरछा आए।
Published on:
13 Apr 2019 04:13 pm
बड़ी खबरें
View Allट्रेंडिंग
