
जयपुर. जल जीवन मिशन की पेयजल परियोजनाओं में नियमों को ताक पर रख ठेका फर्मों के जरिये भ्रष्टाचार करने वाले जलदाय इंजीनियरों पर सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। दूदू स्थित नरैना के 72 गांवों में रख-रखाव के नाम पर बिना काम किए फर्म को 92 लाख रुपए का भुगतान करने और वित्तीय सीमा से बाहर जाकर टेंडर जारी करने वाले अधिशासी अभियंता जितेन्द्र शर्मा को जयपुर से 300 किलोमीटर दूर चित्तौड़गढ़ में तकनीकी सहायक के पद पर नॉन-फील्ड पोस्टिंग दी गई है।
शुक्रवार को जलदाय विभाग के संयुक्त सचिव प्रवीण लेखरा की ओर से 10 इंजीनियरों के पदस्थापन की सूची जारी की गई, जिसमें यह कार्रवाई सामने आई। सूची में छह महीने से अधिक समय से पदस्थापन की प्रतीक्षा कर रहे अधीक्षण अभियंता संजय अग्रवाल को भी जल भवन में नॉन-फील्ड पोस्टिंग दी गई।
दूदू में अधिशासी अभियंता जितेन्द्र शर्मा की तैनाती के दौरान जल जीवन मिशन की पेयजल परियोजनाओं में गड़बड़ियां सामने आई थीं। कांग्रेस सरकार के समय एसीबी की ओर से ट्रैप होने के बावजूद उन्हें फिर से दूदू में ही फील्ड पोस्टिंग दी गई थी। इस पूरे मामले को लेकर पत्रिका ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किए थे।
कांग्रेस सरकार के समय जल जीवन मिशन की पेयजल परियोजनाओं में हुए घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। एसआईटी की रडार पर जलदाय विभाग के 300 इंजीनियर रडार पर हैं। हाल ही में बिना काम 50 करोड़ रुपए का भुगतान उठाने वाली फर्म श्री श्याम व गणपति टयूबवैल कंपनी के प्रोपराइटर महेश मित्तल समेत पांच जनों को एसीबी ने गिरफ्तार किया है।
Published on:
27 Dec 2025 12:09 am
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