
इस सावन माह में 30 जुलाई मंगलवार का दिन है बेहद खास, इस दिन भगवान शिव होंगे सबसे आसानी से प्रसन्न
भोपाल। भगवान शिव का प्रिय माह सावन की शुरुआत 17 जुलाई 2019 से हो चुकी है। मान्यताओं के अनुसार सावन भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे। वहीं 30 जुलाई मंगलवार को सावन की शिवरात्रि ( sawan shivratri 2019 date in hindi ) मनाई जाएगी।
कहा जाता है कि फाल्गुन में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शंकर और मां पार्वती का विवाह हुआ था। कहते हैं कि इस शिवरात्रि के मौके पर शिव भगवान अपने भक्तों की आराधना से बहुत जल्दी पसन्न होते हैं। वहीं इस माह 30 जुलाई को भी भले ही सावन माह की मासिक शिवरात्रि ( Sawan Shivratri 2019 date in hindi ) होगी, लेकिन भोलेनाथ की ये शिवरात्रि कई मायनों में विशेष मानी जाती है।
सावन शिवरात्रि का महत्व : sawan shivratri 2019 date in hindi
प्रति वर्ष 12 शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन इन सभी में दो शिवरात्रि ( Shravan ) सबसे खास होती है। जिसमें से महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि ( sawan shivratri 2019 date in hindi ) मनुष्य के सभी पाप को धो देती है। ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है और कुवारें लोगों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।
शिवरात्रि की पूजा विधि, सावन शिवरात्रि ( sawan shivratri 2019 date in hindi ) का महत्व और शुभ मुहूर्त...
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार सावन शिवरात्रि ( Shravan Shivratri ) यानी 30 जुलाई को शिव पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:10 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक होगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त : 12:00 बजे से 12:54 बजे तक है।
इस दिन भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तु बेलपत्र, धतुरा और जल अवश्य चढ़ाएं मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार शिवरात्रि ( sawan shivratri 2019 date in hindi ) की रात में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और जीवन के सभी सुखों की प्राप्ति होती है।सावन मे भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करने से धन, सुख और शांति सभी की प्राप्ति होती है।
सावन की शिवरात्रि ( sawan shivratri 2019 date in hindi ) के दिन अगर कोई कुंवारी कन्या व्रत रखती है तो उसे मनचाहा वर प्राप्त होता है। सावन मास में लोग कांवड़ लेकर जल लेने जाते हैं और शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को उस जल से स्नान कराते हैं।
पूजा विधि- Sawan puja vidhi
: इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके मन को पवित्र कर लें।
: घर पर या मंदिर में शिव जी की पूजा करें और शिव जी के साथ माता पार्वती और नंदी गाय को पंचामृत जल अर्पित करें।
: ऐसा करने के बाद शिवलिंग पर यानि भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तु जैसे बेलपत्र, धतूरा, कच्चे चावल , घी और शहद सामग्रियों को एक एक कर के शिव मंत्र :ॐ नमः शिवाय के जाप के साथ चढ़ाते जाएं।
: इसके बाद शिवलिंग को धूप -दीप दिखाकर जल चढ़ाना चाहिए।
: भगवान की पूजा दिल से करें, इससे आप उन्हें जो कुछ भी अर्पित करेंगे उससे आपकी पूजा सफल मानी जाएगी।
: सावन की शिवरात्रि में खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए और इस दिन काले रंग के वस्त्र भी न पहनें।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार शिव का अर्थ कल्याण है। कहा जाता है कि कण-कण में भगवान शिव का वास है। वेदों में भी उनका साकार और निराकार का वर्णन किया गया है। भगवान शिव क्षण में ही पसीज कर भक्तों को अभय प्रदान करते हैं।
इस बार ये दो विशेष योग भी : Shravan Somvar ...
सावन में भगवान शिव का अभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं इस बार सोमवार ( Shravan Monday ) को प्रदोष व्रत और नागपंचमी का योग श्रेष्ठ है।
महादेव के प्रिय सावन के महीने में 29 जुलाई को सोमवार के साथ प्रदोष व्रत का दुर्लभ संयोग बन रहा है। वहीं 5 अगस्त को सोमवार और नाग पंचमी के संयोग का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन में भगवान शिव के पूजन-अर्चना से भोले बाबा की कृपा बरसती है।
ऐसे समझें सावन की शिवरात्रि : sawan shivratri 2019 date in hindi ...
सावन शिवरात्रि सावन मास में पड़ने वाली शिवरात्रि (Shivratri) को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। सावन शिवरात्रि का त्योहार (Sawan Shivratri Festival ) भगवान शिव को समर्पित है ।
इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। सावन मास में लोग कावड़ लेकर जल लेने जाते हैं और भगवान शिव पर शिवरात्रि के दिन वह जल अर्पित करते हैं।
सावन शिवारत्रि 2019 ( When Is Sawan Shivratri In 2019 ) ...
ज्ञात हो कि सावन शिवरात्रि 2019 (Sawan Shivratri 2019 Date) में 30 जुलाई 2019 (30 July 2019) के दिन है। शिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव को उनकी प्रिय वस्तु बेलपत्र , धतुरा और जल चढ़ाते हैं । जिससे उनके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाए।
सावन शिवरात्रि कथा ( Sawan Shivratri Katha )
पौराणिक कथा के अनुसार वाराणसी के वन में एक भील रहा करता था।जिसका नाम गुरुद्रुह था। वह वन में रहने वाले प्राणियों का शिकार करके अपने परिवार का पालन करता था। एक बार शिवरात्रि के दिन वह शिकार करने वन में गया। उस दिन उसे दिनभर कोई शिकार नहीं मिला और रात भी हो गई। तभी उसे वन में एक झील दिखाई दी। उसने सोचा मैं यहीं पेड़ पर चढ़कर शिकार की राह देखता हूं। कोई न कोई प्राणी यहां पानी पीने आएगा।
यह सोचकर वह पानी का पात्र भरकर बिल्ववृक्ष पर चढ़ गया। उस वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित था। थोड़ी देर बाद वहां एक हिरनी आई। गुरुद्रुह ने जैसे ही हिरनी को मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे। इस प्रकार रात के प्रथम प्रहर में अंजाने में ही उसके द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई। तभी हिरनी ने उसे देख लिया और उससे पुछा कि तुम क्या चाहते हो।
वह बोला कि तुम्हें मारकर मैं अपने परिवार का पालन करूंगा। यह सुनकर हिरनी बोली कि मेरे बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे। मैं उन्हें अपनी बहन को सौंपकर लौट आऊंगी। हिरनी के ऐसा कहने पर शिकारी ने उसे छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद उस हिरनी की बहन उसे खोजते हुए झील के पास आ गई। शिकारी ने उसे देखकर पुन: अपने धनुष पर तीर चढ़ाया। इस बार भी रात के दूसरे प्रहर में बिल्ववृक्ष के पत्ते व जल शिवलिंग पर गिरे और शिव की पूजा हो गई।
उस हिरनी ने भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर रखकर आने को कहा। शिकारी ने उसे भी जाने दिया। थोड़ी देर बाद वहां एक हिरन अपनी हिरनी को खोज में आया। इस बार भी वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग की पूजा हो गई। वह हिरन भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर आने की बात कहकर चला गया। जब वह तीनों हिरनी व हिरन मिले तो प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण तीनों शिकारी के पास आ गए।
सबको एक साथ देखकर शिकारी बड़ा खुश हुआ और उसने फिर से अपने धनुष पर बाण चढ़ाया जिससे चौथे प्रहर में पुन: शिवलिंग की पूजा हो गई। इस प्रकार गुरुद्रुह दिनभर भूखा-प्यासा रहकर वह रातभर जागता रहा और चारों प्रहर अंजाने में ही उससे शिव की पूजा हो गई और शिवरात्रि का व्रत संपन्न हो गया, जिसके प्रभाव से उसके पाप तत्काल भी भस्म हो गए। पुण्य उदय होते ही उसने सभी हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया।
तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उन्होंने गुरुद्रुह को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे। तुम्हें मोक्ष भी प्राप्त होगा। इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।
इस बार चार सावन सोमवार : sawan month Somvar ...
वैसे सावन में सोमवार को भगवान शिव की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। सावन शुरू होते ही जगह-जगह बोल बम के नारे गूंजने लगते हैं। इस बार सावन में कुल चार सोमवार का संयोग बन रहा है। इसमें 22 जुलाई, 29 जुलाई, 5 अगस्त और 12 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार पड़ेगा।
माना जाता है कि भगवान शिव के सिर पर स्थित चंद्रमा अमृत का द्योतक है। गले में लिपटा सर्प काल का प्रतीक है। इस सर्प अर्थात काल को वश में करने से ही शिव मृत्युंजय कहलाए। उनके हाथों में स्थित त्रिशूल तीन प्रकार के कष्टों दैहिक, दैविक और भौतिक के विनाश का-सूचक है। उनके वाहन नंदी धर्म का प्रतीक हैं। हाथों में डमरू ब्रह्म निनाद का-सूचक है।
Updated on:
29 Jul 2019 10:35 am
Published on:
20 Jul 2019 09:28 am
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