6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छोटी जानकारियां, बड़ी साजिश: बॉर्डर पर साइबर घुसपैठ का नया खतरा

बाड़मेर और जैसलमेर की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में अब दुश्मन पारंपरिक घुसपैठ नहीं, बल्कि डिजिटल जासूसी के हथकंडे अपना रहा है।

2 min read
Google source verification
jsm

बाड़मेर और जैसलमेर की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में अब दुश्मन पारंपरिक घुसपैठ नहीं, बल्कि डिजिटल जासूसी के हथकंडे अपना रहा है। पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स (पीआईओ) साइबर अपराधियों के जरिए सीमावर्ती इलाकों में बसे लोगों को फेक कॉल और सोशल मीडिया चैट के माध्यम से निशाना बना रहे हैं।

  • चौंकाने वाली बात यह है कि ये जासूस कोई संदिग्ध सवाल नहीं पूछते, बल्कि ऐसे सवाल करते हैं जो आम लगें, लेकिन असल में ये बॉर्डर सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने की साजिश का हिस्सा होते हैं। जैसे—गांव में आज ट्रेन कब आई, आज सडक़ पर हलचल ज्यादा थी क्या?,मोबाइल नेटवर्क कैसा चल रहा है? गांव में कोई नई सरकारी योजना का काम चल रहा है? ऐसे सवालों के जवाब से सीमा सुरक्षा से जुड़े लॉजिस्टिक्स, मूवमेंट और नेटवर्किंग की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई जाती है, जिसे दुश्मन अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है।

बीएसएफ ने बढ़ाई सतर्कता, लोगों को किया अलर्ट

इस साजिश को भांपते हुए बीएसएफ ने सीमावर्ती गांवों में जागरूकता अभियान तेज कर दिया है। सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत ग्रामीणों, छात्रों और सरकारी कर्मचारियों को 50 शॉर्ट फिल्मों के जरिए यह समझाया जा रहा है कि कैसे मासूम दिखने वाली जानकारी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है।

बीएसएफ इन बिंदुओं पर ग्रामीणों को जागरूक कर रही है—
-फेक कॉल्स और सोशल मीडिया फ्रॉड से बचें।

  • हनीट्रैप में न फंसें।
  • अनजान कॉल और पाकिस्तानी सिम का उपयोग न करें।
  • संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत बीएसएफ या पुलिस को सूचना दें।

हर नागरिक बने सुरक्षा कवच

बीएसएफ के डीआईजी राजकुमार बासटा बताते हैं कि छोटी जानकारी भी बड़े खतरे को जन्म दे सकती है। अगर सीमावर्ती लोग सतर्क रहेंगे, तो कोई भी साजिश सफल नहीं हो पाएगी।अब जरूरत है कि हर नागरिक डिजिटल घुसपैठ की इस नई चुनौती को समझे और सावधानी बरते, क्योंकि सतर्कता ही सुरक्षा की पहली शर्त है।