बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि तंबाकू के सेवन से काफी युवाओं को कैंसर होता है और उनकी मौत हो जाती है। यह देश में एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है और सरकार तंबाकू के सेवन से लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है।
बीएमएचआरसी के श्वांस रोग विभाग में प्रोफेसर डॉ. महेश राठौड़ ने कहा कि फेफड़ों के कैंसर की वजह से होने वाली 90 प्रतिशत मौत का कारण धूम्रपान है। स्मोकिंग की वजह से फेफडों की एक और घातक बीमारी सीओपीडी होती है। सीओपीडी के 80—85 प्रतिशत मामलों का मुख्य कारण स्मोकिंग ही है। इसकी वजह से फेफड़ों में फाइब्रोसिस भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि अगर आप स्मोकिंग नहीं करते हैं, लेकिन अगर आपके आसपास कोई स्मोकिंग करता है, तो आपको भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा है। इसे पेसिव स्मोकिंग कहते हैं और पेसिव स्मोकर्स में फेफड़ों के कैंसर के कई मामले सामने आते हैं।
कार्यक्रम में मनोचिकित्सा विभाग में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ रूपेश रंजन ने तंबाकू के सेवन और इससे प्रभाव से संबंधित भयावह आंकड़े सामने रखे। वहीं, मनोचिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. संजुक्ता घोष ने बताया कि बीएमएआरसी में तंबाकू निषेध क्लिनिक में मरीजों का उपचार किया जाता है, उन्हें दवा दी जाती है तथा काउंसलिंग भी की जाती है।