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संघर्षों के बीच हौसले बुलंद: ओपन स्कूल से 10वीं की परीक्षा देने पहुंची युवतियां

सुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत

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इंदौर। मध्य प्रदेश में एक अनोखा और प्रेरणादायक दृश्य तब सामने आया, जब मध्य प्रदेश स्टेट ओपन स्कूल की 10वीं कक्षा की परीक्षा में शामिल होने के लिए कई युवतियां अपने निजी संघर्षों को पीछे छोड़कर परीक्षा केंद्र पहुंची। कुछ के पास साधन नहीं थे, कुछ को परिवार या पति का समर्थन नहीं मिला, तो कुछ महिलाएं नवजात शिशुओं को लेकर परीक्षा केंद्र पहुंचीं। सारी समस्याओं के बावजूद भी इन सभी के चेहरे पर सिर्फ एक ही भावना थी, “हम पढ़ेंगे और आगे बढ़ेंगे।” मध्य प्रदेश स्टेट ओपन स्कूल की 10वीं कक्षा की परीक्षा 2 जून से लेकर 15 जून तक हुई।

कठिनाइयों का सफर, लेकिन सपनों से समझौता नहीं

गांवों और कस्बों से आईं इन महिलाओं को परीक्षा केंद्र तक लंबी दूरी तय करनी पड़ी। कई को सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं मिली, तो उन्होंने पैदल चलना चुना। कुछ ने दूसरे गांव से आने वाली जीप में जगह मांगी, तो कुछ को रिश्तेदारों की मदद लेनी पड़ी। मगर किसी ने भी यह नहीं कहा कि “नहीं हो पाएगा।” इन महिलाओं ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष जारी रखा।

मातृत्व और शिक्षा की अनोखी पहल

एक महिला अपने 20 दिन के नवजात शिशु को लेकर आई। परीक्षा के दौरान शिक्षार्थी के पति ने बच्चे को संभाला। कुछ महिलाएँ 1-2 महीने के बच्चों के साथ परीक्षा देने पहुंचीं, जिनके बच्चों को एजुकेट गर्ल्स की टीम ने पूरे 3 घंटे संभाला। कुछ महिलाएं, जिनकी हाल ही में शादी हुई थी, अपने जीवनसाथी के साथ परीक्षा केंद्र पहुंचीं। कुल मिलाकर, किसी भी तरह की बाधा उन्हें रोक नहीं पाई।

दिव्यांग भी पीछे नहीं

द्रौपदी डामोर, जो दिव्यांग हैं, उन्होंने सभी प्रगति कार्यक्रम के कैंप में नियमित रूप से भाग लिया, बल्कि सफलतापूर्वक परीक्षा भी दी। द्रौपदी को परीक्षा केंद्र लाने में उनके साथी और एजुकेट गर्ल्स का प्रगति कार्यक्रम की प्रेरक दीदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हमें गर्व कि हम इनके सफर का हिस्सा हैं

जब हम लड़कियों की शिक्षा की बात करते हैं, तो हम उन लाखों अधूरी कहानियों की बात करते हैं, जिन्हें अब नया अध्याय मिला है। ये युवतियां, जो किसी समय स्कूल छोड़ने पर मजबूर हुई थीं, आज जब वो मध्य प्रदेश स्टेट ओपन स्कूल की 10वीं की परीक्षा में बैठती हैं, तो सिर्फ उत्तर नहीं लिख रही होतीं, वो खुद को फिर से साबित कर रही होती हैं। हमारा मानना है कि शिक्षा सिर्फ किताबों की बातें नहीं सिखाती, यह आत्म-सम्मान, आत्मनिर्भरता और अपनी पहचान की ओर पहला कदम है। इन बेटियों ने यह कदम बिना किसी डर, बिना किसी संकोच के उठाया है। एजुकेट गर्ल्स का प्रगति कार्यक्रम उनके लिए शिक्षा का दूसरा मौका देता है। और हमें गर्व है कि हम इनके इस सफर का हिस्सा हैं।

विक्रम सिंह सोलंकी- निदेशक ऑपरेशन्स, एजुकेट गर्ल्स

सुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत

हम पढ़ाई छोड़ चुके युवाओं को सुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयासरत है। हमारा लक्ष्य 10वीं और 12वीं की परीक्षा के माध्यम से उनके अधूरे सपनों को पूरा करने में सहायता करना है। एमपीएसओएस युवाओं को शिक्षित करने और उनके जीवन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर रहा है। हम एजुकेट गर्ल्स संस्था के प्रयासों की सराहना करते हैं, जो शिक्षा से वंचित युवतियों को परीक्षा की तैयारी में मदद कर रही है। इस पहल से भविष्य में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

प्रभात राज तिवारी, निदेशक- मध्य प्रदेश स्टेट ओपन स्कूल शिक्षा बोर्ड (एमपीएसओएस)